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कानून के छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े

पांच वर्षीय बीएएलएलबी या तीन वर्षीय एलएलबी करने के बाद कई क्षेत्रों में करियर बनाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 10:00 PM (IST)
कानून के छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े
कानून के छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े

मेरठ : पांच वर्षीय बीएएलएलबी या तीन वर्षीय एलएलबी करने के बाद कई क्षेत्रों में करियर बनाया जा सकता है। सोमवार को चौ. चरण सिंह विवि के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज विभाग में 'करियर आप्शन फार लॉ ग्रेजुएट' विषय पर गेस्ट लेक्चर हुआ, जिसमें आगरा की डा. बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. डीएन जौहर ने छात्रों को विस्तार से बताया।

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उन्होंने कहा कि विधि के छात्र राज्य, केंद्रीय, कारपोरेट, सिविल, न्यायिक क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। सैन्य क्षेत्र में जेएजी कॉर्पस, एकेडमिक क्षेत्र में विश्वविद्यालय और कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर भी बन सकते हैं। उन्होंने बताया कि वकालत करते हुए युवा सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में सीधे न्यायाधीश भी बन सकते हैं। अनुच्छेद 123बी में बैंक, रेलवे ट्रिब्यूनल में जज भी बन सकते हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जो लीगल पॉलिसी बनाई जाती हैं उसमें भी एडवोकेट और लीगल ऑफिसर से सहयोग लिया जाता है। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि कठिन परिश्रम का कोई भी शार्टकट नहीं हो सकता है। ¨हदी भाषा के छात्र अपनी अंग्रेजी भाषा को सुधार लें, तो रोजगार की कमी नहीं होगी। इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज के निदेशक प्रो. सत्यप्रकाश ने सभी का स्वागत किया। डा. विवेक कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन अपेक्षा चौधरी ने किया। डा. विकास, प्रो. शैलेंद्र, डा. प्रशांत, डा. योगेंद्र शर्मा, मनोज श्रीवास्तव, चंदन उपाध्याय, प्रफुल्ल राठी, विक्रम प्रताप राठी, मयंक गुप्ता, रौनक खान आदि अन्य लोग उपस्थित रहे।

मौन रहकर बड़ों से सीखें छात्र

मेरठ: इस्माईल नेशनल महिला पीजी कालेज के गांधी अध्ययन केंद्र में सोमवार को 'गांधी के विचारों की वर्तमान समय में प्रासंगिता' विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि डीएन कालेज के प्राचार्य प्रो. बीएस यादव ने छात्राओं को बताया कि प्रसन्नता और दूसरों की तारीफ करना इत्र की तरह है। हमें अपने बड़ों के आगे मौन रहकर सीखना पडे़गा।

गांधी जी के मौन का बहुत महत्व है। विद्यार्थियों को सत्य, ¨हसा, अ¨हसा और मौन का पालन करना चाहिए। हमें ऐसे कार्य करने चाहिए कि लोग हमारे काम के लिए हमें याद करें। वहीं आइआइएमटी की डा. मोनिका मलहोत्रा ने कहा कि गांधी जी का आज भी प्रत्येक क्षेत्र में प्रभाव देखने को मिलता है। युवाओं को अपना केंद्र बिंदु मानकर उन युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने के लिए गांधी जी ने सदा ही सार्थक प्रयास किए है। इस दौरान प्राचार्य डा.नीलिमा गुप्ता, डा. दीपा त्यागी और ममता मौजूद रहीं।


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