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बच्चे से कुकर्म मामले में प्रभारी डीपीओ का तबादला, नहीं छोड़ा चार्ज

मेरठ राजकीय बाल गृह में बालक से कुकर्म के मामले में शासन ने प्रभारी डीपीओ श्रवण कुमार गुप्ता का तबादला कर दिया है। हालांकि उन्होंने अभी चार्ज नहीं छोड़ा है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 12:22 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 12:22 PM (IST)
बच्चे से कुकर्म मामले में प्रभारी डीपीओ का तबादला, नहीं छोड़ा चार्ज
बच्चे से कुकर्म मामले में प्रभारी डीपीओ का तबादला, नहीं छोड़ा चार्ज
मेरठ, जेएनएन। सूरजकुंड स्थित राजकीय बाल गृह में बच्चे से हुए कुकर्म के मामले में शासन ने अब जाकर प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी पर कार्रवाई की है। अधिकारी का तबादला प्रशासनिक आधार पर झांसी कर दिया गया है। हालांकि प्रकरण में स्टे होने के कारण अभी अधिकारी ने चार्ज नहीं छोड़ा है।
प्रधान मजिस्ट्रेट ने की थी जांच
राजकीय बाल गृह की जांच के लिए प्रधान मजिस्ट्रेट 21 अगस्त को जांच के लिए बाल गृह पहुंचे थे, जहां रहने वाले बालक ने अपने साथ हुई घटना के संबंध में जानकारी दी। बच्चे के साथ जुलाई माह में आरोपित संविदा कर्मी द्वारा कुकर्म किया गया था। इसके बाद 23 अगस्त को कुकर्म के आरोपित संविदा कर्मी जावेद अंसारी के खिलाफ डीएम के निर्देश पर मामला दर्ज किया और पुलिस ने आरोपित को जेल भेज दिया। प्रकरण की जांच के लिए लखनऊ से टीम आई और गहन दो दिन हर बिंदु पर जांच की गई।
स्टे के कारण नहीं छोड़ा चार्ज
उधर, प्रकरण में प्रभारी डीपीओ को दोषी मानते हुए डीएम अनिल ढींगरा ने कार्रवाई की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेज दी। अगस्त में हुई घटना के बाद कई बार जांच हुई। लेकिन कार्रवाई को लेकर लखनऊ खामोश रहा। अब शासन ने प्रशासनिक आधार पर प्रभारी डीपीओ श्रवण कुमार गुप्ता का स्थानांतरण झांसी के लिए किया है। प्रभारी डीपीओ ने बताया कि उन्होंने भी अपना पक्ष जांच टीम के साथ शासन के समक्ष रखा और अपनी रिपोर्ट भी भेजी। अभी स्टे लिया हुआ और 20 दिसंबर तक प्रभावी है। इस कारण चार्ज अभी उन्हीं के पास है।
मुरादाबाद में नौकरी कर रहा है दूसरा आरोपित
बाल गृह में हुए कुकर्म के मामले में संविदा कर्मी के साथ प्रभारी अधीक्षक अय्यूब हसन को भी आरोपित बनाकर मुकदमा दर्ज किया गया। उधर, घटना के बाद से ही आरोपित फरार हो गया और बाद में मुरादाबाद में जिला प्रोबेशन विभाग में ही तैनाती पा ली। उधर, प्रकरण काफी गंभीर होने के बाद पुलिस ने सिर्फ मुख्य आरोपित संविदा कर्मी को ही जेल भेजकर मामले को लगभग बंद कर दिया। दूसरे आरोपित के बारे में पूरी जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई पुलिस द्वारा नहीं की गई।

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