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ऑक्‍सीजन 92 फीसद भी है तो घर पर ही करें इलाज, जानें- सांस रोग विशेषज्ञों की सलाह

सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने शहर के पांच डाक्टरों से परामर्श मांगा है। डाक्टरों ने साफ किया है कि हर व्यक्ति को ऑक्‍सीजन की जरूरत नहीं है। सांस रोग विशेषज्ञों का दावा है कि घर में आइसोलेट मरीजों की सांस की दर पल्स रेट एवं ऑक्‍सीजन पर नजर रखें।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 02:35 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 02:35 PM (IST)
ऑक्‍सीजन 92 फीसद भी है तो घर पर ही करें इलाज, जानें- सांस रोग विशेषज्ञों की सलाह
92 फीसद ऑक्‍सीजन होने पर घबराएं नहीं।

मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बीच लोग मानसिक रूप से दबाव में आ रहे हैं। हालात ये हैं कि जिनकी ऑक्‍सीजन 93-95 है वो भी भर्ती के लिए भटक रहे हैं। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने शहर के पांच डाक्टरों से परामर्श मांगा है। डाक्टरों ने साफ किया है कि हर व्यक्ति को ऑक्‍सीजन की जरूरत नहीं है। सांस रोग विशेषज्ञों का दावा है कि घर में आइसोलेट मरीजों की सांस की दर, पल्स रेट एवं ऑक्‍सीजन पर नजर रखें। सटीक परामर्श और इलाज से 92 फीसद ऑक्‍सीजन मेंटेन करने वाले भी आसानी से रिकवर कर जाते हैं। अस्पतालों में भर्ती कई मरीजों को 95 फीसद पर आक्सीजन दी जा रही है, जबकि यह आक्सीजन 85 फीसद आक्सीजन वाले मरीजों को देकर जान बचाई जा सकती है।

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ऐसे करें मानीटरिंग

  • आक्सीमीटर तर्जनी अंगुली में लगाएं। नेल पालिश न लगी हो। 30 सेकंड से एक मिनट तक लगाने के बाद आक्सीजन का स्तर नोट करें।
  • छह मिनट चलकर देखें, अगर आक्सीजन स्तर गिरे तो हाइपोक्सिया है। डाक्टर से संपर्क करें। घबराएं नहीं।
  • मोटे और खर्राटे लेने वाले लोगों को ज्यादा ध्यान देना होगा। उन्हें रात में हाइपोक्सिया यानी आक्सीजन की कमी जल्दी होती है। उन्हें सी पैप लगाना चाहिए।
  • पेट के बल लेटने पर ज्यादातर मरीजों का आक्सीजन लेवल बढ़ जाता है।
  • आक्सीजन 90-93 के बीच है तो डाक्टरों के परामर्श से 40 मिलीग्राम की पड्रिनीसोलोन जरूर दें। बेहद कारगर राहत मिली है।

ऐसे मरीज घर पर रहें

आक्सीजन 92 फीसद, पल्स 100 से कम, बुखार 101 से कम और सांस की गति 24 प्रति मिनट तक हो और लगातार खांसी न हो तो घर पर रहकर इलाज लें।

डा. वीरोत्तम तोमर, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ ने कहा-  कोविड मरीज अस्पतालों में भागने की मनोदशा न बनाएं। घर में भाप और इन्हेलर का प्रयोग करें। आक्सीजन 92 भी हो तो घबराएं नहीं। सांस की गति 24 से कम है तो घर पर इलाज लें। लगातार खांसी हो तो सतर्क रहें। स्टेरायड बेहद कारगर मिल रही है। तनाव में रहेंगे तो आक्सीजन बिगड़ेगी। कई लोग ठीक हो चुके हैं। 

डा. अमित अग्रवाल, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ ने कहा- प्रशासन से अनुरोध है कि एक आनलाइन पोर्टल बनाया जाए, जिससे मरीजों को बेड आवंटित करने में मदद होगी। अगर अस्पताल में भर्ती मरीज की आक्सीजन 91-92 है तो उन्हें 96-97 फीसद आक्सीजन मेंटेन करने के लिए सपोर्ट न दें, बल्कि यही आक्सीजन जरूरतमंद मरीज को दी जाए, जिससे जिदंगी बचाई जा सकेगी। 


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