Move to Jagran APP

मैं नारी..समाज से नहीं हारी, स्वावलंबन की राह बना रही महिलाएं

मेरठ (जेएनएन)(प्रदीप उलधन)। संविधान में महिलाओं को बराबरी का हक दिया गया है, लेकिन आज भी विशेषतौर पर

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 07 May 2018 05:00 PM (IST)
मैं नारी..समाज से नहीं हारी, स्वावलंबन की राह बना रही महिलाएं

मेरठ (जेएनएन)(प्रदीप उलधन)। संविधान में महिलाओं को बराबरी का हक दिया गया है, लेकिन आज भी विशेषतौर पर गांवों में हालात अच्छे नहीं हैं। कई स्थानों पर महिलाओं से रोजगार कराना भी पुरुष अच्छा नहीं समझते हैं, लेकिन गुलावठी क्षेत्र के हरचना गांव की महिलाओं ने साबित कर किया है कि वे बेशक नारी हैं, लेकिन किसी से हारी नहीं हैं। एक दर्जन महिलाओं का समूह गांव में जैविक खाद तैयार करता है। इस खाद को वह बाजार में बेचकर अपना परिवार पाल रहीं हैं। कृषि भूमि व फसलों को रासायनिक खादों के कुप्रभाव से बचा रही हैं।

loksabha election banner

गुलावठी ब्लाक का हरचना गांव मेरठ-बुलंदशहर मार्ग से करीब पांच किलोमीटर दूर है। गांव में किसान, मजदूर व नौकरीपेशा लोग रहते हैं। करीब दो साल पहले यूनियन बैंक ने गांव की एक दर्जन महिलाओं का एक समूह बनवाया। उस समय महिलाएं ये समझकर समूह से जुड़ गई कि सौ-दो सौ रुपये जमा करके वह कुछ नकदी जमा कर लेंगी, लेकिन कुछ दिन बाद जब उनके खाते में धनराशि जमा हुई तो बैंक ने उन्हें कोई उद्योग शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए समूह की अध्यक्ष व सचिव समेत कुछ सदस्यों को प्रशिक्षण देकर जैविक खाद तैयार करना सिखाया। आज यह समूह गांव में जैविक खाद तैयार करता है। इस समूह में शामिल एक दर्जन महिलाओं ने इसे रोजगार का सहारा बना लिया है। आस्ट्रेलियन व इंडियन केचुए से तैयार करती हैं खाद

जय गोपाल महिला उत्थान स्वयं सहायता समूह में कुल 12 महिलाएं हैं। इस समूह की अध्यक्ष रेनू लता, सचिव नीलम कोषाध्यक्ष सुनीता व सदस्य अनोखी व सतबीरी ने बताया कि समूह के माध्यम से तैयार की जा रही जैविक खाद वह बुलंदशहर व निकट के क्षेत्रों में सप्लाई करती हैं। खाद छह से आठ रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है। आस्ट्रेलियन (आइसीना फीड) व इंडियन केचुए की मदद से वह एक माह में लगभग 50 कुंतल खाद तैयार करती हैं। इससे उन्हें तीन से पांच हजार रुपये प्रति माह आमदनी होती है। आस्ट्रेलियन केचुआ मेरठ से 300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा था, जबकि इंडियन केचुआ बुलंदशहर से सौ रुपये किलोग्राम खरीदा। कृषि भूमि के लिए है टॉनिक

कृषि विशेषज्ञ जैविक खाद को कृषि भूमि के लिए टॉनिक मानता है। जिला कृषि अधिकारी अश्विनी कुमार का कहना है कि रासायनिक खादों के प्रयोग से कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति तो कमजोर होती ही है, साथ ही इस भूमि पर तैयार फसल को खाने में इस्तेमाल करने के भी कुप्रभाव ही पड़ते हैं। महिलाओं की यह उम्दा पहल है। इससे सीख लेकर किसानों को भी जैविक खाद तैयार करके खेती में इसका ही इस्तेमाल करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.