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बेटी हूं कमजोर न मानो..मेरी शक्ति को पहचानो

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर गुरुवार को दैनिक जागरण की ओर से कनोहर लाल महिला पीजी कालेज में 'बेटियों की डायरी' अभियान के तहत हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। इसमें कालेज की हजारों छात्राओं ने भाग लिया और बेटी होने पर गौरव जाहिर किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 06:00 AM (IST)
बेटी हूं कमजोर न मानो..मेरी शक्ति को पहचानो
बेटी हूं कमजोर न मानो..मेरी शक्ति को पहचानो

मेरठ। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर गुरुवार को दैनिक जागरण की ओर से कनोहर लाल महिला पीजी कालेज में 'बेटियों की डायरी' अभियान के तहत हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। इसमें कालेज की हजारों छात्राओं ने भाग लिया और बेटी होने पर गौरव जाहिर किया। कार्यक्रम की शुरुआत छात्राओं ने हस्ताक्षर बोर्ड पर संदेश लिखकर की, जिसमें उन्होंने लिखा-मुझे बेटी होने पर गर्व है।

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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर दैनिक जागरण की ओर से बेटियों की डायरी नाम से राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया। लाखों छात्राएं इस अभियान का हिस्सा बनीं और उन्होंने एक ही मंच से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई। दैनिक जागरण के इस अभियान का उद्देश्य देश की बेटियों को एक मंच पर एकत्रित कर उन्हें महिला शक्ति और एकजुटता से अवगत कराना था। कार्यक्रम में कार्यवाहक प्राचार्य वीना प्रकाश, डा. विनीता गुप्ता, स्मृति यादव और पूनम सिंह भी उपस्थित रही।

हजारों बेटियों ने दिया संदेश

मुझे गर्व है कि मैं अपनी मां की बेटी हूं। जहां नारी की पूजा होती है वहीं देवता निवास करते हैं। आज बेटी को मरवाओगे तो कल बहू कहां से लाओगे। बेटी होती है घर का उजियारा। हस्ताक्षर अभियान के तहत छात्राओं ने बोर्ड पर कुछ इस तरह के संदेश लिखकर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।

हैश टैग अभियान से जुड़ी छात्राएं

छात्राओं ने अपने एंड्रायड फोन में हैश टैग का प्रयोग कर सोशल मीडिया के माध्यम से बेटी बचाओ का संदेश दिया। कुछ ही समय में लाखों बेटियां सोशल मीडिया पर एक-दूसरे जुड़ गई। साथ ही एक-दूसरे के फोटो और संदेश भी सांझा किए।

आज भी कायम है भेदभाव

एमए प्रथम वर्ष की छात्रा एश्वर्या शर्मा कहती हैं कि भले ही लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आया हो लेकिन जब बात बेटों की होती है तो बेटियां पीछे ही रह जाती है। घर हो या समाज बेटियों को बेटों के आगे अनदेखा कर दिया जाता है। वहीं बीए द्वितीय वर्ष की मानसी चौधरी कहती हैं कि घर में मां और बेटियां आज भी सबसे बाद में खाना खाती है। इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा पुरुषवादी समाज का।

बेटियों ने कर दिखाया कमाल

बेटियों की डायरी में शहर की उन बेटियों को उत्साहित किया गया, जिन्होंने अपने हौसले और बुलंद इरादों से आगे बढ़ते हुए ऐसे कार्यक्षेत्र को चुना जिन पर अभी तक पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था। वर्मी कंपोस्ट तैयार करने वाली सना खान हो या कैट¨रग के क्षेत्र में आगे बढने वाली संध्या गर्ग। देश की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहीं स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी शर्मा या फिर लेफ्टिनेंट वत्सला पांडेय, ये सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

हार नहीं मानेंगे हम

हम आगे बढ़कर अपनी जगह खुद बनाएंगे। आज लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए घर-परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। माता पिता बेटों की तरह हम पर भी गर्व करते हैं।

-काजल बीए तृतीय वर्ष

पढ़ लिखकर पैरों पर खड़े होना है मकसद

मेरा लक्ष्य पढ लिखकर एयरफोर्स में जाना है और मैं अपनी मंजिल तक पहुंचकर रहूंगी। कोई ऐसा काम नहीं है जिसे लड़के कर सकते हैं और लड़कियां नहीं कर सकतीं।

-सोनम बीए तृतीय वर्ष

गर्व है मुझे..मैं बेटी हूं

मुझे बेटी होने पर गर्व है और मैं अपने पैरों पर खड़ी होकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करूंगी। मैं उनकी बेटी नहीं, बेटा हूं।

-आंचल माहौर, एमए प्रथम वर्ष

बेटों से आगे हैं बेटियां

बेटियां अब बेटों के समान नहीं बल्कि उनसे भी आगे निकल चुकी हैं। शहर ही नहीं गांव देहात की बेटियां भी पढ लिखकर अपना भविष्य संवार रही हैं।

-अंजलि बीए द्वितीय वर्ष


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