कैसे चलेंगे निजी अस्पताल, विशेषज्ञों ने किया मंथन
कोरोना महामारी के दौरान निजी हॉस्पिटल आइवीएफ सेंटर व लैब कारपोरेट हॉस्पिटलों का संचालन कैसे हो? इसे लेकर शनिवार को ग्लोबल एआरटी फोरम ने अनलॉकिग द लॉकडाउन विषय पर वेबिनार आयोजित किया।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना महामारी के दौरान निजी हॉस्पिटल, आइवीएफ सेंटर व लैब, कारपोरेट हॉस्पिटलों का संचालन कैसे हो? इसे लेकर शनिवार को ग्लोबल एआरटी फोरम ने 'अनलॉकिग द लॉकडाउन' विषय पर वेबिनार आयोजित किया। इसमें देश-विदेश के लगभग 1,800 विशेषज्ञ डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। शाम छह बजे से रात साढ़े आठ बजे तक चली वेबिनार में एक गाइडलाइन तय की गई। इसमें अमेरिका से डॉ. अशोक अग्रवाल, लंदन से डॉ. अल्पेश दोषी, हैदराबाद से डॉ. एस. शांताकुमारी, मुंबई से डॉ. प्रकाश त्रिवेदी और डॉ. कृष्ण कुमार, अपोलो हॉस्पिटल के चीफ डॉ. अनुपम सिबाल, यूपी आइएमए के सचिव डॉ. जयंत शर्मा और मेरठ से जिदल हॉस्पिटल के एंड्रोलॉजिस्ट एवं रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुनील जिदल मुख्य वक्ता रहे। डॉ. जिदल ने बताया कि कोरोना महामारी की स्थिति और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा हुई। लॉकडाउन बाद जब भी प्राइवेट हॉस्पिटल खुलेंगे तो तीन बातें बेहद जरूरी होंगी। एक तो मरीज से मरीज को संक्रमण न फैले। दूसरा मरीज से अस्पताल के स्टाफ को संक्रमण न हो। तीसरा कम्यूनिटी में संक्रमण न फैले। डॉ. जिदल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद कोरोना से राहत नहीं मिलेगी। यह साल डेढ़ साल तक चलेगा। इस दौरान सुरक्षित प्रैक्टिस कैसे हो, इस पर जोर दिया गया है। डॉक्टरों ने अपने लिए यह गाइडलाइन तय की
-जब मरीज नर्सिग होम के गेट पर आएगा तो सबसे पहले उसे हाथ धोने होंगे। मॉस्क पहनना होगा।
-मरीज के शरीर का तापमान मापा जाएगा। तापमान बढ़ा है तो कोरोना की संदिग्धता परखी जाएगी। लक्षण प्रतीत होने पर उसे कोविड-19 अस्पताल भेजा जाएगा।
-मरीज को अस्पताल में प्रवेश देने में चार बातों का ध्यान रखा जाएगा। भीड़ न लगे। तीमारदार को प्रवेश नहीं मिलेगा। मरीज का रजिस्ट्रेशन कम्प्यूटर पर होगा। कागज उसे नहीं दिया जाएगा। फीस का भुगतान भी डिजिटल होगा।
-अस्पताल में प्रवेश मिलने के बाद मरीज डॉक्टर के चेंबर में जाएगा। इस दौरान डॉक्टर से कम से कम चार फीट दूर एक स्टूल होगा। डॉक्टर मरीज का परीक्षण उतना ही करेंगे जितना जरूरी हो।
-दवा लिखने के बाद दवा का पर्चा ऑनलाइन केमिस्ट के पास भेजा जाएगा, जिससे कागज या पर्चे से संक्रमण न फैल सके।
-अस्पताल का समस्त स्टॉफ निर्धारित पीपीई किट पहनकर ही ड्यूटी करेगा। अगर किसी मरीज का ऑपरेशन होना है तो पहले उसका कोरोना टेस्ट होगा। रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी ऑपरेशन के दौरान स्टॉफ पीपीई किट में रहेगा।