कैसे रोकेंगे कोरोना, ब्लीचिंग पाउडर के पैकेट ही नहीं खुले
कोरोना का खौफ और स्वास्थ्य केंद्रों की घोर लापरवाही..। जहां सिर्फ सफाई ही बचाव है वहां दस दिन पहले मंगाया गया ब्लीचिंग पाउडर स्वास्थ्य केंद्रों के कमरों में बंद मिला जबकि इससे अस्पतालों का फर्श ओपीडी ओटी व कुर्सियों की सफाई होनी थी।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना का खौफ और स्वास्थ्य केंद्रों की घोर लापरवाही..। जहां सिर्फ सफाई ही बचाव है, वहां दस दिन पहले मंगाया गया ब्लीचिंग पाउडर स्वास्थ्य केंद्रों के कमरों में बंद मिला, जबकि इससे अस्पतालों का फर्श, ओपीडी, ओटी व कुर्सियों की सफाई होनी थी। पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लीचिंग पाउडर का पैकेट खोला तक नहीं गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तो इसका वितरण ही नहीं हुआ। उधर, प्रशासन रोजाना ब्लीचिंग एजेंट से सफाई का दावा कर रहा है।
कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए अस्पतालों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, सिनेमाहाल एवं कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर विसंक्रामक का छिड़काव किया जा रहा है। इसके लिए ब्लीचिंग पाउडर या हाइपोक्लोराइट का प्रयोग किया जाता है। सीएमओ डा. राजकुमार ने सोमवार को विभागीय मीटिंग में सिर्फ सफाई अभियान तेज करने पर फोकस किया।
दैनिक जागरण ने सफाई के दावों की पड़ताल की। सीएमओ आफिस स्थित ड्रग स्टोर से पता चला कि सभी 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्लीचिंग पाउडर के 25-25 पैकेट दिए गए हैं। हर पैकेट में 20-20 किलो ब्लीचिंग पाउडर है।
एंबुलेंसों की भी होनी थी सफाई
प्रदेश सरकार ने कोरोना पर नियंत्रण के लिए इसे तत्काल 31 प्राथमिक एवं 26 अर्बन स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने के लिए कहा, किंतु ऐसा नहीं हुआ। पड़ताल में पता चला कि अर्बन स्वास्थ्य केंद्रों ने ब्लीचिंग पाउडर की कोई डिमांड भी नहीं की जबकि अधिकारियों का दावा है कि अस्पतालों की नियमित सफाई की जा रही है। उधर, जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज की ओपीडी, ओटी व हर वार्ड में गंदगी मिली। मवाना सीएचसी में सभी पैकेट कमरे में बंद मिले। सरधना सीएचसी में गंदगी मिली। भूड़बराल में ब्लीचिंग पाउडर से सफाई का दावा तो किया गया, किंतु यहां भी फर्श पर गंदगी मिली। 102 और 107 एंबुलेंसों की सफाई के लिए अलग से ब्लीचिंग पाउडर के पैकेट भेजे गए हैं। सीएमओ डॉ राजकुमार ने कहा कि अस्पतालों की दीवारों पर सात मीटर ऊंचाई तक ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव अनिवार्य है।