शरीर के बदलाव को लेकर शर्म कैसी.. खुलकर कीजिए बात
पहली बार जब छात्राओं को पीरियड होता है तो वह शर्म और झिझक के चलते किसी से बात नहीं करती हैं। इधर-उधर से जानकारी लेकर अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा लेती हैं। अपने परिजनों को भी नहीं बनाती। यह प्राकृतिक क्रिया है इसे लेकर शर्म करने की जरूरत नहीं है। छात्राएं आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहें।
मेरठ, जेएनएन। पहली बार जब छात्राओं को पीरियड होता है, तो वह शर्म और झिझक के चलते किसी से बात नहीं करती हैं। इधर-उधर से जानकारी लेकर अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा लेती हैं। अपने परिजनों को भी नहीं बनाती। यह प्राकृतिक क्रिया है, इसे लेकर शर्म करने की जरूरत नहीं है। छात्राएं आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहें। डीएन डिग्री कॉलेज में मंगलवार को सेनेट्री नेपकिन वेंडिंग मशीन के उद्घाटन के अवसर पर चिकित्सकों ने यह बात कही।
कॉलेज के शंकर ऑडिटोरियम में वेंडिंग मशीन का उद्घाटन एमडीए सचिव प्रवीना अग्रवाल ने किया। उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित करने हुए कहा कि जीवन लक्ष्य टुकड़ों में बनता है। कल अगर डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर या कुछ भी बनने का सपना देखते हैं तो उसके लिए आज पर फोकस करते हुए पढ़ना जरूरी है। नारी कमजोर नहीं है। नारी सशक्तीकरण के मुहावरे में मत आइए। सपने के रास्ते में चुनौती का सामना करें। प्यारे लाल शर्मा अस्पताल की काउंसलर डॉ. विनीता शर्मा ने छात्राओं को पीरियड को लेकर कई भ्रमों को दूर किया। बताया कि टीबी, थायराइड, एनीमिया की वजह से भी पीरियड नहीं आते। पर्यावरणविद डॉ. मधु वत्स ने कहा कि शहर में 50 लाख यूज नेपकिन निकलता है। इसके निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। कालेज में जो मशीन लगी है, उसमें निस्तारण की भी व्यवस्था है। डॉ. दीप्ति शुक्ला ने छात्राओं के आंतरिक सफाई पर जोर दिया। साबुन की जगह एलोवेरा और रोज वाटर का इस्तेमाल करने को कहा। प्राचार्य डॉ. बीएस यादव ने भी संबोधित किया। डॉ. एसके अग्रवाल, जेस्ट कंपनी के चेयरमैन मोहन दास नागर, महिला प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ. सविता, रोवर्स रेंजर की डॉ. वंदना गर्ग, डॉ. एवरेस्ट सिवाच, डॉ. अंजुला जैन का विशेष सहयोग रहा।
दस रुपये में मिलेंगे तीन पैड
डीएन पहला कोएड कॉलेज है, जहां छात्राओं के लिए सेनेट्री नेपकिन वेंडिंग मशीन लगाई गई है। इस मशीन में दस रुपये डालने पर तीन कॉटन के सर्टिफाइड पैड निकलेंगे, जो बाजार की अपेक्षा काफी सस्ते हैं। प्रयोग में लाए नैपकिन के लिए एक अलग से मशीन लगाई गई है। इससे छात्राओं के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के साथ पर्यावरण की भी सुरक्षा करेगी।