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Hindi Diwas 2021: हिंदी में है उन्नति, आस्ट्रेलिया और अमेरिका में सिखा रहीं मेरठ की डा. मृदुल कीर्ति

आज विश्‍व हिंदी दिवस है। पीएचडी कर चुकीं मूल रूप से मेरठ निवासी डा. मृदुल कई साल से आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में हिंदी की धारा आगे बढ़ा रही हैं। आस्ट्रेलिया में छह से 11 वर्ष तक के बच्चों को हिंदी वर्णमाला सिखाती हैं।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 06:40 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 10:11 AM (IST)
Hindi Diwas 2021: हिंदी में है उन्नति, आस्ट्रेलिया और अमेरिका में सिखा रहीं मेरठ की डा. मृदुल कीर्ति
मेरठ की मूल निवासी डा. मृदुल कीर्ति विदेशों में हिंदी का कीर्तिमान बढ़ा रही हैं।

मेरठ, जेएनएन। World Hindi Day हिंदी से प्रेम करने वालों की संख्या विश्वभर में निरंतर बढ़ रही है। कई हिंदी प्रेमी तो विदेशों में भारतीय प्राचीन ज्ञान का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं। वे गैर हिंदी भाषियों को इस वैज्ञानिक भाषा के महत्व और गौरव से अवगत करा रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं मेरठ की मूल निवासी और अब आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रह रहीं डा. मृदुल कीर्ति।

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हिंदी की धारा आगे बढ़ा रही

पीएचडी कर चुकीं डा. मृदुल कई साल से आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में हिंदी की धारा आगे बढ़ा रही हैं। आस्ट्रेलिया में छह से 11 वर्ष तक के बच्चों को हिंदी वर्णमाला सिखाती हैं। कई अभिभावक भी उनसे हिंदी सीखने आते हैं। वह 15 दिन में खेल-खेल में वर्णमाला सिखा देती हैं। डा. मृदुल कहती हैं कि आस्ट्रेलिया की अपनी भाषा अंग्रेजी है। वहां जन्म से बच्चे अंग्रेजी ही बोलते हैं। जो लोग भारत से रिश्ता रखते हैं, वह अपने बच्चों को हिंदी सिखाना चाहते हैं। अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी अपने बच्चों को हिंदी सिखाते हैं। उन्हें इस बात का मलाल है कि भारत जहां हिंदी का जन्म हुआ है, वही हिंदी को कम महत्व दे रहा है। वह बताती हैं कि हिंदी जैसी वैज्ञानिक भाषा दूसरी कोई नहीं है। हिंदी वर्णमाला के रहस्य को जानने के बाद विदेशी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

अर्थ से जुड़े हिंदी

डा. मृदुल कहती हैं कि मैकाले शिक्षा पद्धति ने हिंदी भाषा और संस्कृति दोनों पर चोट की। हम पर अंग्रेजी थोप दी गई। अब तकनीक के साथ तालमेल से हिंदी का प्रसार हो रहा है। जब तक भारत में हिंदी अर्थतंत्र से नहीं जुड़ेगी, इसका विकास नहीं होगा। जब माता-पिता बच्चों से हिंदी में वार्तालाप करेंगे तभी बच्चे इसका अनुसरण करेंगे। विदेशों में भी इस भाषा को सीखने वालों की संख्या बढ़ रही है।

आओ लौटें प्राचीन ज्ञान की ओर

आस्ट्रेलिया और अमेरिका में डा. कीर्ति भारतीय संस्कृति को सरल रूप में लोगों तक पहुंचा रही हैं। भारतीय प्राचीन ज्ञान से लोगों को परिचित करा रही हैं। उनका उद्देश्य लोगों को उस ज्ञान की ओर ले जाना है जिसमें विश्वकल्याण की भावना भरी है। उन्होंने पतंजलि योग दर्शन और अष्टावक्र गीता काव्यानुवाद जैसी पुस्तकें लिखी हैं। इसके साथ ही सामवेद का हिंदी पद्यानुवाद किया है। विश्व हिंदी सम्मेलनों में भी वह प्रतिभाग करती रही हैं। उनकी पुस्तक पतंजलि योग दर्शन का भारतीय संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया था। उनकी वेबसाइट मृदुल कीर्ति डाट काम पर उनके काम को देखा जा सकता है।


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