Hariom Ananad Suicide Case: अगले सप्ताह होगी एनसीएलटी में सुनवाई, मानसी ने दायर की याचिका Meerut News
पुलिस जांच के दौरान ही मानसी ने एनसीएलटी में याचिका दायार कर दी है। अब इस मामले में अगले सप्ताह को सुनवाई होगी। इधर पुसिल ने जांच के दौरान लोगों से पुछताछ कर रहा है।
मेरठ, जेएनएन। हरिओम आनंद आत्महत्या प्रकरण (Hariom Ananad Suicide Case) एक तरफ पुलिस की जांच चल रही हैं, जबकि दूसरी तरफ मानसी आनंद की ओर से एनसीएलटी (National Company Law Tribunal) में भी याचिका दायर कर दी गई है। जानकारों का मानना है कि याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई हो सकेगी। फिलहाल सभी पांच शेयरधारकों को वादी के अधिवक्ता की तरफ से नोटिस जारी किया गया है। शेयरधारकों के वकील ने आरोप लगाया है कि मानसी आनंद गैरकानूनी ढंग से आनंद अस्पताल पर कब्जा जमाना चाहती हैं, यही वजह है कि वे कभी शेयरधारकों को आत्महत्या के उकसाने का आरोप लगाकर फंसाने तो कभी एनसीएलटी में याचिका दायर कर 50 फीसद से अधिक शेयर रखने वालों शेयरधारकों को बोर्ड बैठक बुलाने और वोट देने के अधिकार से वंचित रखना चाहती हैं।
20 जुलाई दायर की याचिका
हरिओम आनंद की बेटी मानसी और पत्नी मीना ने 20 जुलाई को एनसीएलटी की इलाहाबाद बेंच में कंपनी एक्ट की धारा 241 व 242 के तहत याचिका दाखिल की है। शेयरधारकों के वकील मदन शर्मा का कहना है कि एनसीएलटी में याचिका गलत तथ्य दर्शाकर दाखिल की गई है। मानकों की पूरा किए बगैर यह याचिका डाली गई है। नियमानुसार 10 फीसद से कम के शेयरधारक याचिका दाखिल नहीं कर सकते हैं जबकि मानसी और उनके परिवार का हिस्सा चार फीसद से भी कम है।
अब एनसीएलटी में याचिका की सुनवाई अगले सप्ताह हो सकेगी। याचिका अभी स्वीकृत नहीं हुई है। वहीं, आनंद परिवार के वकील रामकुमार शर्मा का कहना है कि शेयर होल्डरों के खिलाफ एनसीएलटी में मामला चल रहा हैं। अगर उन पर साक्ष्य हैं तो वहां पेश करें। हमें आरोपित पक्ष की फर्जी दलीलों पर कोई टिप्प्णी नहीं करनी है। उसका जवाब पुलिस की विवेचना और एनसीएलटी में दायर याचिका देगी।
आनंद अस्पताल के शेयर होल्डर
जीएस सेठी 37.5 फीसद
अशोक व सनी तनेजा 25.50 फीसद
ललित भारद्वाज 15.00 फीसद
डा. एनपी सिंह 5.00 फीसद
डा. अजय गुप्ता 5.00 फीसद
डा. संजय अग्रवाल 5.00 फीसद
हरिओम आनंद 3.76 फीसद
टिब्यूनल में खिंचेगा मामला
आनंद अस्पताल पर मालिकाना हक के लिए शेयरधारकों में रस्साकशी बढ़ गई है। विधि के जानकारों की मानें तो एनसीएलटी किसी भी शेयरधारक के विवाद के कारणों को देखकर सुनवाई की अनुमति दे सकती है।
याचिका दायर करने के लिए नियमत
10 फीसद का शेयरधारक होना जरूरी है लेकिन विशेष परिस्थितियों में एनसीएलटी अनुमति दे सकता है। विषय विशेषज्ञों के अनुसार 50 फीसद से अधिक शेयर रखने वाले धारकों को बोर्ड बैठक बुलाने, वोटिंग अधिकार से वंचित रखने की मांग प्रथम दृष्टया तो अतार्किक और असंवैधानिक प्रतीत होती है, लेकिन एनसीएलटी के पास असीमित अधिकार हैं और वह कुछ भी निर्णय लेने में सक्षम है। मेरठ सीए ब्रांच के चेयरमैन सीए प्रदीप पंवार कहते है नेशनल कंपनी ला टिब्यूनल कंपनी मामलों को लेकर एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली कोर्ट है। इसमें एक बार अगर कोई मामला चला गया और उसकी फाइल खुल गई तो उसे बंद करने का अधिकार एनसीएलटी को ही है।