Gupt Navratri: 30 जून से शुरू होंगे गुप्त नवरात्र, इस प्रकार आराधना करने से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
Gupt Navratri 2022 इस बार 30 जून से गुप्त नवरात्र शुरू हो रहे हैं। देवी के दस स्वरुपों का होगा पूजन। गुप्त नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5.26 से शुरू होगा। गुप्त नवरात्रि में साधक बाधाओं का नाश करने के लिए देवी उपासना करते हैं।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Gupt Navratri 2022 आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बारे में कम ही लोग जानते हैं, गुप्त नवरात्रि जिसमें गुप्त साधना के लिए मां भगवती के अलग अलग रुपों की पूजा अर्चना की जाती है। इस बार आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र 30 जून से प्रारंभ होकर 8 जुलाई का संपन्न होंगे। नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं। दो बार गुप्त और दो बार सामान्य रूप से नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक बाधाओं का नाश करने के लिए देवी उपासना करते हैं।
आराधना करने का विधान
गुप्त नवरात्र की पूजा को गोपनीय रखा जाता है। साधना जितनी गुप्त होगी उसका फल भी उतना ही फलदायी होगा। इस नवरात्र में देवी की दस महाविद्याओं की साधना और आराधना करने का विधान है। इनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बंगलापुरी, मातंगी और मां कमला देवी की साधना होती है।
दोनों समय मंत्र जाप
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज का कहना है कि गुप्त नवरात्र में कलश स्थापना करने पर सुबह शाम दोनों समय मंत्र जाप, चालीसा और सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए। मां भगवती को लौंग और बताशे का भोग भी लगाए। गुप्त नवरात्र 30 जून गुरुवार को प्रारंभ हो रहे हैं। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5.26 बजे से सुबह 6.43 बजे तक रहेगा। इस समय विधि विधान से कलश स्थापना कर विधि पूर्वक पूजा उपासना कर संकल्प लें।
गुप्त नवरात्रि में आराधना करने से सभी मनोकामनाएं होती है पूरी
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसूत का कहना है कि गुप्त नवरात्रि में देवी के समक्ष घी का दीपक चलाने और लाल फूलों की माला चढ़ाने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है, जो शक्ति का स्वरूप है। गुप्त नवरात्र में मां शक्ति के सभी रुपों की उपासना करने से शारीरिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है।