Move to Jagran APP

Green Corridor: मेरठ से ग्रीन कोरीडोर के माध्‍यम से क्रास ग्रुप किडनी ट्रांसप्लांट के लिए गुरुग्राम पहुंचा सैंपल

Green Corridor दो घंटे में गुरुग्राम तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कोरीडोर बनाया गया था। मेरठ में गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गर्ग ने बताया कि सैंपल मेरठ से सोमवार सुबह 4.43 सात बजे भेज गया था। इस संबंध में रिपोर्ट शाम तक मिल जाएगी।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 12:07 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 01:32 PM (IST)
मेरठ के न्यूटिमा अस्पताल से एंबुलेंस सुबह 4.43 बजे रवाना हुई थी।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Green Corridor किडनी प्रत्यारोपण करने से पहले मरीज के शरीर में ग्रुप-बी के खिलाफ बनी एंटीबाडी का स्तर जांचने के लिए सोमवार तड़के पांच बजे ब्लड सैंपल गुरुग्राम के लिए भेजा गया। न्यूटिमा अस्पताल से ग्रीन कोरीडोर बनाकर एंबुलेंस सुबह गुरुग्राम के लिए रवाना की गई। गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गर्ग ने बताया कि सैंपल मेरठ से सोमवार सुबह 4.43 सात बजे भेज गया, जो 6.12 बजे गुरुग्राम की लैब पहुंच गया, जहां से रिपोर्ट शाम तक मिल जाएगी।

loksabha election banner

प्लाज्मा फेरसिस कर मरीज को किया तैयार

हापुड़ निवासी 48 साल की महिला मरीज को उनकी बेटी गुर्दा दान दे रही है। मरीज का ब्लड ग्रुप ओ, जबकि डोनर का बी है। डाक्टरों ने बताया कि क्रास ग्रुप में गुर्दा प्रत्यारोपण करने से पहले इम्युनोसप्रेशन दवाएं दी जाती हैं। महिला मरीज के शरीर से ओ ग्रुप का प्लाज्मा निकालकर उसे बी ग्रुप वाले का प्जाज्मा दिया गया। साथ ही तीन दवाएं दी गई हैं। इससे मरीज का शरीर दूसरे ब्लड ग्रुप का गुर्दा लेने के लिए तैयार हो रहा है। डा. संदीप गर्ग ने बताया कि मरीज के शरीर में डोनर के बी ब्लड ग्रुप के खिलाफ एंटीबाडी न्यूनतम स्तर पर आ गई है, जो जरूरी है। प्रत्यारोपण से पहले इसी एंटीबाडी की अंतिम बार जांच कराने के लिए सैंपल गुरुग्राम भेजा जा रहा है।

24 घंटे में प्रत्यारोपण जरूरी

अगर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट मिल गई, तभी तत्काल प्रत्यारोपण किया जा सकेगा। इसीलिए पुलिस विभाग ने ग्रीन कोरीडोर बनाकर मरीज का ब्लड सैंपल गुरुग्राम तक पहुंचाया है। मूत्र रोग विशेषज्ञ डा. शालीन शर्मा ने बताया कि मरीज के शरीर में डोनर के बी-ब्लड ग्रुप के खिलाफ बनी एंटीबाडी को दवाइयों से कम किया गया है, जो 24 घंटे बाद फिर बढऩे लगेगी, इसीलिए जांच रिपोर्ट के अगले ही दिन ट्रांसप्लांट जरूरी हो गया है।

ट्रांसप्लांट से पहले ये तीन बड़े उपाय

1 डाक्टर ने बताया कि मरीज के शरीर से प्लाज्मा निकाला गया, जिससे उसके ब्लड में बी ग्रुप के खिलाफ एंटीबाडी न रह जाए।

2 ऐसी दवाएं दी गईं, जो बी ग्रुप के खिलाफ नई एंटीबाडी बनने ही न दे।

3 मरीज में डोनर का प्जाज्मा चढ़ाकर यह देखा गया कि क्या उसका शरीर दूसरे ग्रुप की किडनी लेने के लिए तैयार है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.