संसद में आज तक शिक्षा पर कोई बहस नहीं: सत्यपाल मलिक
मेरठ: बिहार के राज्यपाल और मेरठ कालेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सत्यपाल मलिक ने कहा कि देश
मेरठ: बिहार के राज्यपाल और मेरठ कालेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सत्यपाल मलिक ने कहा कि देश की आजादी से लेकर आज तक हमारी संसद में शिक्षा को लेकर कभी बहस नहीं हुई। शिक्षा का बजट महज छह फीसद है जबकि दुनियाभर के देश और लोगों की तरक्की में शिक्षा का सर्वाधिक योगदान रहा है। वह मेरठ कालेज के 125 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आडीटोरियम में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे।
बिहार का राज्यपाल बनने के बाद पहली बार पहुंचे सत्यपाल मलिक ने अपने स्वागत से अभिभूत होकर कहा कि यह कालेज उनकी दूसरी मां है, जिसकी गोद में आने के बाद वह सबकुछ भूल जाते हैं। आज वह जो कुछ भी हैं, मेरठ कालेज की बदौलत हैं। पांच साल कालेज में गुजारा समय बहुत कीमती है। इसके लिए वह सर्वस्व न्यौछावर कर सकते हैं। उन्होंने छात्र नेताओं को एकजुट और पढ़ाई पर ध्यान देने की नसीहत देते हुए कहा, शिक्षा सबसे बड़ी ताकत है। शिक्षा के लिए जरूरत पड़े तो सरकार से भी लड़ने के लिए तैयार रहो। इसे हासिल करने के लिए हरसंभव स्थान पर जाने को तैयार रहना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा, तमाम लोग शिक्षा के सहारे ही तरक्की की सीढि़यां चढ़े हैं। इंसान ने जितनी तरक्की छह हजार साल में नहीं की, उतनी पिछले 50 साल में और जितनी 50 साल में नहीं की, उतनी पिछले 10 साल में की है। अमेरिका जैसे देश में एमआइटी जैसा संस्थान आज भी उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। आधे से अधिक नोबल प्राइज पाने वाले यहीं से निकले हैं।
याद किए वो दिन
सत्यपाल मलिक ने मेरठ कालेज के शिक्षकों को विश्व के उम्दा शिक्षक बताते हुए कहा कि वह गांव से मेरठ कालेज में पढ़ने आए। साइंस के स्टूडेंट थे लेकिन छात्र राजनीति की वजह से हाजिरी कम रही, जिससे परीक्षा छूट गई। अगले साल बीएससी की परीक्षा दी। इसके बाद कानूनी पढ़ाई पढ़ी। उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, आइबी के चीफ ने भी कानून की शिक्षा ली। कहा, छात्र राजनीति में वह लोहियावादी विचारधारा के थे। बाद में चौ. चरण सिंह के संपर्क में आए। चौ. चरण सिंह उन्हें अजित सिंह से भी अधिक मानते थे। चौ. चरण सिंह का लक्ष्य लखनऊ का था, लेकिन उन लोगों के प्रयास से वह दिल्ली की ओर मुड़े और प्रधानमंत्री तक बने।
पटना आइए..लेकिन सिफारिश नहीं
मंच से सत्यपाल मलिक ने मेरठ वालों को पटना आने का न्यौता दिया। कहा, वहां बहुत बड़ी बागवानी और मछली के तालाब है। जो भी आएगा, पूरा सम्मान करेंगे, लेकिन सिफारिश लेकर कोई न आए। राज्यपाल का काम बस सम्मान देने का है। मंच से मजाकिया लहजे में उन्होंने कुलपति प्रो. एनके तनेजा का नाम लेकर कहा कि वह उन्हें बिहार ले जाना चाहते हैं।
म्यूजियम का शिलान्यास
राज्यपाल ने कालेज में इतिहास विभाग के म्यूजियम का शिलान्यास और कालेज की पत्रिका का विमोचन किया। इससे पहले उन्होंने कालेज परिसर में शहीद स्मारक, भगत सिंह स्मारक, महात्मा गांधी, चौ. चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। एनसीसी कैडेट्स ने गार्ड आफ आनर दिया।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन मेरठ मैनेजमेंट के अध्यक्ष रामकुमार गुप्ता व शिक्षिका डा. अंजलि ने किया। आभार सचिव अरविंद नाथ सेठ ने जताया। सांसद राजेंद्र अग्रवाल, चौ. चरण सिंह विवि के कुलपति प्रो. एनके तनेजा व प्राचार्य बी कुमार ने भी संबोधित किया। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व एमएलसी रहे जगत सिंह, अंकित मलिक, दुष्यंत तोमर, विराट चौधरी, अमित बड़ौली, निर्माण सिंह, देवेंद्र कुमार, सौरभ सिंह आदि ने उनका स्वागत किया। अंकित ने अशोक की लाट और सौरभ ने सरस्वती की प्रतिमा भेंट की। इस दौरान सेठ दयानंद गुप्ता, प्रदेश के पूर्व भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, डा. तनुराज सिरोही, डा. हरिओम पंवार, प्रो. वाई विमला, धर्म दिवाकर, पूर्व विधायक राजेंद्र शर्मा, डा.राजकुमार सांगवान, नरेंद्र पुनिया, डा. ज्ञानेंद्र शर्मा, संदीप चौधरी कालेज कार्यकारिणी के सदस्य, शिक्षक, छात्र नेता और उनके पूर्व सहपाठी उपस्थित रहे।
एकजुटता के बाद गुटबाजी
कार्यक्रम के दौरान छात्र नेताओं में एकजुटता दिख सत्यपाल मलिक ने सराहना की। छात्रों ने सत्यपाल मलिक के स्वागत में जमकर नारे लगाए। वहीं कार्यक्रम के बाद एक गुट ने कालेज मैनेजमेंट के खिलाफ नारेबाजी भी कर दी। सत्यपाल मलिक के कमेटी हाल में पहुंचने के दौरान कुछ अव्यवस्था भी दिखी।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग
बिहार के राज्यपाल को छात्रों ने ज्ञापन देकर सीसीएसयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में अनिल तोमर सहित अन्य शोध छात्र रहे।
राजनीतिक बात नहीं करुंगा
बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राजनीतिक बात करने से मना कर दिया। कहा, राजनीतिक बात कर उन्हें फंसना नहंी है। छात्र राजनीति गलत दिशा में जाने के सवाल पर कहा कि यह केवल मेरठ कालेज या यूपी के हालत नहीं है, हर जगह यह समस्या है। यह चिंताजनक है। छात्र नेता एकजुट होकर शिक्षा के हित में काम करें, तभी लोकतंत्र की नर्सरी सुरक्षित रहेगी।
उत्साह से लबरेज छात्र नेता
सत्यपाल मलिक मेरठ कालेज से वर्ष 1966-67 में बीएससी करने के बाद 1970 में एलएलबी की। कालेज के पहले प्रीमियम छात्रसंघ अध्यक्ष बने। छात्रसंघ चुनाव की नियमावली भी बनाई, जो आज तक छात्रसंघ चुनाव का आधार है। उनके इस सफर को लेकर कालेज के उत्साहित छात्रों ने उन्हें 'शेर का बच्चा' संबोधित किया।