मेरठ में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा, कृषि क्षेत्र में बेटियों का आना देश के लिए शुभ संकेत
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षा समारोह में बुधवार को मेरठ पहुंची राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में बेटियों की संख्या और रुझान का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कृषि में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल बेटियों ने ही लिए हैं।
मेरठ, जागरण संवाददाता। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में बेटियों का आना देश के लिए शुभ संकेत है, जिससे खेती किसानी का उद्धार होगा और कृषि का विकास होगा। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षा समारोह में बुधवार को मेरठ पहुंची राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में बेटियों की संख्या और रुझान का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कृषि में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल बेटियों ने ही लिए हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाएं कार्य संपन्न करने के साथ ही अच्छे परिणाम के लिए भी काम करती हैं। ताजा आंकड़ों को देखें तो स्वयं सेवा समूह से जुड़ी महिलाओं को जो कर्ज सरकार की तरफ से दिए जाते हैं, उनमें से 99.9 फीसद महिलाओं ने बैंकों को कर्ज चुका दिया है। इससे बैंकों का भरोसा बढ़ा और उन्हें और भी कर देने में उत्साह दिखाते हैं। राज्यपाल ने कहा कि बैंकों का मोटा कर्ज लेकर देश के बाहर कौन भागा है, यह सब जानते हैं। महिलाएं नहीं भागतीं। वह भागती हैं तो कर्ज चुकाने के लिए। राजपाल ने कहा कि अब तक हर तरह के विश्वविद्यालयों में 20 से अधिक दीक्षा समारोह में हिस्सा ले चुकी हैं, जिनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वर्ण पदक छात्राओं ने ही अर्जित किए हैं। एक समय था जब पढ़ने नहीं भेजा जाता था। सातवीं कक्षा के बाद ही शादी करा दी जाती थी और परिवार में बेटियां अपनी ख्वाहिशें खत्म कर देती थी। परिवार में माताएं कहती रही हैं कि मैंने नहीं पढ़ा तो क्या मेरा जीवन आगे नहीं बढ़ा। वैसी सोच सामने आने से ही बेटियों की पढ़ाई खत्म हो जाती है। पिछले डेढ़ दशक में यह सोच बदली है। इसका परिणाम भी सामने है।
राजपाल ने कहा कि महिलाएं समाज की सशक्त कड़ी हैं। अवसर प्रदान किया जाए तो वह आगे भी बढ़ी हैं। इसका प्रमाण यह है कि कृषि विश्वविद्यालय में तीनों उत्कृष्टता पदक बालिकाओं को मिला है। कहा कि प्रधानमंत्री ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ही 1000 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं जिससे 16 लाख महिलाओं को लाभ मिलेगा।
कृषि वैज्ञानिक भी हैं किसान, उनके अनुभवों से सीखे शोधार्थी
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमारे देश के किसान भी कृषि वैज्ञानिक ही हैं। उन्होंने तरह-तरह के फसलों का विकास किया है और पुराने बीजों को संरक्षित कर उन्हें आगे बढ़ाया है। कृषि विवि में पढ़ने वाले छात्रों और शोधार्थियों को किसानों के अनुभवों से सीखना चाहिए। इसके लिए सभी को उनके पास जाना भी चाहिए। राज्यपाल ने बिलारी के किसान रघुपति सिंह का जिक्र किया जिन्हें कृषि पंडित के नाम से जाना जाता है। बताया कि किस तरह उन्होंने पुराने वैरायटी को संरक्षित कर तरह-तरह के पौधों के बीजों को विकसित किया है। उन्होंने कहा कि छात्रों को समय के अनुरूप शोध करना चाहिए। रासायनिक के स्थान पर प्राकृतिक और गौ आधारित कृषि की ओर बढ़ना चाहिए। पहले खेतों में गोबर और मूत्र जमीन में मिलते थे। इससे उर्वरता बढ़ती थी। किसानों को चाहिए कि वह खाद खुद बनाएं और इस्तेमाल करें, जिससे उन्हें बाहर से कुछ खरीदना न पढ़े और गांव का पैसा गांव में ही रहे। डिग्री व पदक पाने वाले मेधावियों से राज्यपाल ने कहा कि केवल डिग्री धारक युवा न बने। देश के विकास में योगदान दें और आत्मनिर्भर व सक्षम भारत के निर्माण में योगदान दें।
हिम्मतवाली कृष्णा का अचार खा रही दुनिया
महिला सशक्तिकरण का उदाहरण देते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बुलंदशहर की उद्यमी कृष्णा यादव का जिक्र करते हुए वाकया सुनाया। बताया कि किस प्रकार अभाव के कारण पति के व्यवसाय में नुकसान हो जाने से कृष्णा को बुलंदशहर छोड़कर गुरुग्राम में कामकाज की तलाश में जाना पड़ा। कुछ समय बीता तो कृष्णा को आभास हुआ कि उनकी नानी ने उन्हें आचार बनाना सिखाया था। उन्होंने बाजार से ऑर्गेनिक गाजर, गोभी का पत्ता, आंवला, टमाटर आदि खरीद कर आचार बनाए और पति को बेचने के लिए भेजा। कुछ दिन बीता। कुछ महिलाओं ने स्वाद चखा। इतना पसंद आया कि लोगों ने खरीदना शुरू कर दिया। बाजार में ऑर्गेनिक सब्जियां कम पड़ने लगी तो कृष्णा ने पति के साथ मिलकर किसानों को थोड़े जगह में ऑर्गेनिक खेती करने के लिए प्रेरित किया और उनका सारा सामान खरीदने लगी। व्यवसाय अब इतना बढ़ गया कि उनकी चार कंपनियां केवल आचार ही बनाती हैं और देश से लेकर दुनिया भर में आचार की सप्लाई होती है। राज्यपाल ने कहा कि अपने भीतर किसी भी हुनर को छिपे न रहने दें। अगर आपमें कुछ अच्छा है तो उससे एक छोटा काम शुरू करिए। वह बड़ा बनेगा और आप भी उसके साथ बड़े और समृद्ध होंगे।
कृषि में बढ़ रही गुणवत्ता की मांग
दीक्षा समारोह में आए भारत सरकार के नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने बताया अगले 20 सालों में उपभोक्ता कृषि उत्पादों में 33 फीसद कीमत गुणवत्ता के लिए देंगे, जबकि 67 फीसद कीमत क्वांटिटी के लिए देंगे। उन्होंने बताया कि कृषि में गुणवत्ता की मांग बढ़ रही है और इसके लिए जरूरी है कि कृषि को उसी दिशा में विकसित किया जाए। उन्होंने बताया कि कृषि विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता एवं लगभग 40 फीसद आबादी को आजीविका प्रदान करता है। विकासशील देश ही विश्व का 80% भोजन उत्पादित करते हैं। भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसने गत वर्ष 296.65 मिलियन टन खाद्यान्न, बागवानी, 319.50 मिलियन टन उत्पादन एवं 198.40 मिलियन टन दूध, 8.6 मिलियन टन मांस और 114.40 बिलियन अंडों का उत्पादन किया है। कहा कि देश भर में पराली ही नहीं बल्कि अन्य फसल अवशेषों को जलाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है जबकि हमें किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ फसल अवशेषों के जलाने की प्रक्रिया को समाप्त कर रोजगार के माध्यम उपलब्ध कराने होंगे। फसल अवशेषों एवं अन्य पदार्थों की धुलाई, संग्रह, भंडारण और विपणन के लिए आवश्यक उपकरणों के व्यवसायिक निर्माण व उनके परीक्षण के सफल तरीके ढूंढने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जल्द ही पशुओं के लिए टेलीमेडिसिन की सुविधा भी शुरू की जाएगी।