समाधि के पुनíनर्माण को पाकिस्तान पर दबाव बनाए भारत सरकार
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में परमहंस स्वामी अद्वैतनंद महाराज का समाधि स्थल तोड़े जाने से नंगली साहिब में संत और अनुयायियों में गहरा रोष है।
मेरठ, जेएनएन। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में परमहंस स्वामी अद्वैतनंद महाराज का समाधि स्थल तोड़े जाने से नंगली साहिब में संत और अनुयायियों में गहरा रोष है। नंगली साहिब में परमहंस महाराज के शिष्य स्वरूपानंद की समाधि है।
नंगली साहिब तीर्थ ट्रस्ट के महामंडलेश्वर शिव प्रेमानंद महाराज ने बताया कि 30 दिसंबर को करक जिले के टेरी गांव में उन्मादी भीड़ ने परमहंस महाराज की समाधि का बड़ा हिस्सा ध्वस्त कर दिया। उनकी समाधि पर पहले भी हमला हुआ था। तब भी पाकिस्तान सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी। इससे स्थानीय लोगों की भावना को गहरा आघात लगा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को पाकिस्तान सरकार पर समाधि का पुनर्निर्माण और मामले में कड़ी कार्रवाई के लिए दबाव बनाना चाहिए। परमहंस महाराज ने 1919 में टेरी ग्राम में समाधि ली थी। उन्हें दादा गुरुदेव के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 1846 में बिहार के छपरा में हुआ था। स्वामी स्वरूपानंद महाराज बाल्यकाल से ही उनके सानिध्य में रहे। टेरी में ही स्वामी स्वरूपानंद महाराज का जन्मस्थल (1884 में) है। अद्वैत मत के अधिष्ठाता होने के कारण अनुयायियों में उनके प्रति अगाध श्रद्धा है। उनके निधन के बाद स्वामी स्वरूपानंद को गद्दी मिली। नंगली साहिब में उन्होंने 1936 में समाधि ली। प्रेमानंद महाराज ने बताया कि पांच जनवरी को नंगली साहिब ट्रस्ट की उच्च स्तरीय बैठक होगी, जिसमें भविष्य की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
परमहंस महाराज की समाधि पर 1997 में भी तोड़फोड़ हुई थी। एक स्थानीय मौलवी ने मंदिर के कुछ हिस्सा कब्जा लिया था। 2015 में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी हिदू परिषद के संरक्षक रमेश कुमार वंकवानी की अपील पर फैसला दिया था कि खैबर पख्तूनख्वा सरकार फिर से मंदिर बनवाए। 30 दिसंबर 2020 की घटना के बाद स्थानीय हिदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर पांच जनवरी को सुनवाई होगी।