बड़े दमदार हैं तांबा-सोना..चित कर सकते हैं कोरोना
स्वर्ण आभूषण सिर्फ व्यक्तित्व निखारने के लिए नहीं हैं बल्कि प्रकृति ने कई धातुओं में औषधीय गुण भी डाला गया है।
मेरठ, जेएनएन। स्वर्ण आभूषण सिर्फ व्यक्तित्व निखारने के लिए नहीं हैं, बल्कि प्रकृति ने कई धातुओं में औषधीय गुणधर्म भी डाला है। दुनिया जहा कोरोना वायरस की महामारी की काट खोज रही है, वहीं आयुर्वेद ने इलाज का खजाना खोल दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक स्वर्ण सिद्ध जल के सेवन और ताबे के पात्र में रखे पानी के सेवन से न सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता बनती है, बल्कि संक्रमित वायरस नष्ट हो सकता है। आयुर्वेदाचार्य ने छह औषधियों से बने एक चूर्ण से लेकर स्वर्ण और ताबे के पात्र के पानी से इलाज को लेकर शोध पत्र जारी किया है, वहीं मेरठ के निजी कोविड अस्पताल में आयुर्वेद के नए फार्मूले आजमाए जा रहे हैं।
महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. देवदत्त भादलीकर ने बताया कि कोरोनाकाल में आयुर्वेद ने दर्जनों एंटीबायोटिक व एंटीवायरल दवाओं को सुझाया है, जिसके लिए अस्पताल या क्लीनिक जाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आयुर्वेदिक सिद्धातों के आधार पर इलाज को लेकर शोध पत्र जारी किया है, साथ ही आयुष मंत्रालय को पत्र भेजकर इस थेरपी को गाइडलाइन में शामिल करने का भी सुझाव दिया है। आठ लीटर जल में एक सोने का गहना डालें। साथ ही एक चांदी की चेन भी जोड़ दें। इसे 30 मिनट तक उबालकर आधा यानी चार लीटर तक रहने दें। इस प्रकार पानी में स्वर्ण संस्कार आ जाएगा, जिसे छानकर थोड़ा-थोड़ा पीना चाहिए। यह बेहद असरकारक जीवाणु व विषाणुनाशक होता है।
ताबे का पानी बढ़ाएगा आक्सीजन
भाप लेने से फेफड़े तक पहुंचा वायरस नष्ट होगा। ताबे के पात्र में पानी रखने पर इसमें एंटी इन्फ्लामेटरी, एंटीवायरल व एंटी बैक्टीरियल गुणधर्म आ जाता है। फेफड़ा साफ होने से शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ता है। भाप लेने के लिए पानी में तुलसी, पुदीना, सोंठ, काली मिर्च, अजवाइन, पीपली व हल्दी की एक चम्मच मात्रा डालकर उबालना चाहिए, जो नाक में छुपे वायरस को नष्ट करता है। इनका कहना है..
स्वर्ण सिद्ध जल और ताम्र पात्र में रखा उच्च कोटि एंटीवायरल और शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ाते हैं। प्रतिरोधक क्षमता भी ठीक रखता है। ताबें की परमाणु संख्या 29 है, जहा पर इलेक्ट्रान रहता है, जो क्षारीय माध्यम बनाकर फ्री रेडिकल शरीर से बाहर निकालता है, इससे शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ता है। इस माध्यम से वायरस के बाहर वसा की परत टूट जाती है। मैंने ऐसा कई आयुर्वेदिक सुझाव भारत सरकार को भेजा है।
डा. देवदत्त भादलीकर, प्राचार्य, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज आयुर्वेद ने इलाज की नई डगर दिखाई है। कोरोना मरीजों के लिए हल्दी, त्रिफला, और ज्येष्ठमधु के साथ सेंधा नमक मिलाकर गरारा कराने से बड़ा लाभ मिल रहा है। उन्हें ताबे का पानी दिया जा रहा है। आधा चम्मच तिल का तेल मुंह में डालकर दो मिनट में थूक देने से वायरस से बचाव मिलता है।
डा. संजय जैन, आर्थोपेडिक डाक्टर, आनंद-कोविड अस्पताल