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मेरठ में घोड़ों में मिला ये खतरनाक संक्रमण, जाने क्‍या हैं लक्षण और कैसे करें इस लाइलाज बीमारी से बचाव Meerut News

मेरठ में इंचौली क्षेत्र के दो गांवों की दो घोड़ियों में ग्‍लैंडर्स की पुष्टि हुई है। ग्लैंडर्स का फैलाव रोकने के लिए कार्य योजना तथा प्रयासों की नियमित सूचना देने का निर्देश जारी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 01:30 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 01:30 PM (IST)
मेरठ में घोड़ों में मिला ये खतरनाक संक्रमण, जाने क्‍या हैं लक्षण और कैसे करें इस लाइलाज बीमारी से बचाव Meerut News
मेरठ में घोड़ों में मिला ये खतरनाक संक्रमण, जाने क्‍या हैं लक्षण और कैसे करें इस लाइलाज बीमारी से बचाव Meerut News

मेरठ, जेएनएन। अश्व प्रजाति में पाई जाने वाली लाइलाज बीमारी ग्लैंडर्स ने मेरठ जनपद में दस्तक दी है। इंचौली थानाक्षेत्र के दो गांवों में एक-एक घोड़ी में इसकी पुष्टि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार में खून के नमूनों की जांच में हुई है। इसके बाद रिसर्च सेंटर के निदेशक ने जनपद के पशुपालन अफसरों को एडवाइजरी जारी की है। बीमारी की दस्तक से पशु चिकित्सकों में हड़कंप मचा है।

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मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को भेजी रिपोर्ट

ग्लैंडर्स के लक्षण मिलने पर स्थानीय पशु चिकित्सकों ने इंचौली थानाक्षेत्र के गांव देदवा की एक घोड़ी और गांव उलखपुर की एक घोड़ी के सीरम का नमूना राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र सिरसा रोड हिसार को जांच को भेजा था। अनुसंधान केंद्र के निदेशक ने नमूनों की जांच के बाद बीमारी की पुष्टि करते हुए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मेरठ को रिपोर्ट भेजी है। साथ ही अन्य पशुओं और मानव समाज को इस बीमारी से बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। इससे स्थानीय अफसरों में हड़कंप मचा है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. अरविंद कुमार सिंह ने पशु चिकित्साधिकारी लावड़ को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। इसकी सूचना उन्होंने ग्लैंडर्स बीमारी के नोडल अधिकारी पशु चिकित्साधिकारी आबूलेन, एसडीएम, सीएमओ, सीडीओ, डीएम, अपर निदेशक पशुपालन, निदेशक रोग नियंत्रण तथा निदेशक प्रशासन समेत सभी अधिकारियों को दी है।

दस किमी की परिधि में प्रत्येक पशु की जांच करें

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के निर्देशों के मुताबिक मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने संबंधित पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया है कि बीमारी से ग्रसित पशुओं के फोटो अवश्य ले। पुष्ट क्षेत्र से 10 किमी की परिधि में रहने वाले अश्व प्रजाति के प्रत्येक पशु के रक्त की जांच की जाए। प्रत्येक पशु का सघन अनुश्रवण करें। बीमारी के प्राथमिक लक्षण मिलने पर खून का नमूना एकत्र करके अश्व अनुसंधान केंद्र पर विशेष वाहक द्वारा जांच के लिए भेजा जाए। ग्लैंडर्स के फैलाव को रोकने के लिए कार्य योजना बनाने तथा प्रयासों की नियमित सूचना देने का निर्देश दिया है।

बीमारी के लक्षण

  • गले और पेट में गांठ पड़ जाना।
  • जुकाम होना, लसलसा पदार्थ निकलना।
  • श्वासनली में छाले।
  • फेफड़े में इन्फेक्शन।

बचाव के उपाय

  1. पशु को समय पर ताजा चारा और पानी दें।
  2. बासी खाना न दें।
  3. ज्यादा देर तक मिट्टी कीचड़ में न रहने दें।
  4. साफ सफाई का ख्याल रखें।
  5. गर्मी में नहलायें।
  6. दवाओं का छिड़काव जरूर करें।
  7. बीमार पशुओं के नजदीक किसी को न जाने दें।

इस बात का ध्यान रखें

बीमारी से प्रभावित पशु को मारने के बाद गड्ढे में दबाना अथवा जला देना चाहिए। गड्ढा कम से कम 4 फीट

गहरा होना चाहिए।

क्या है बीमारी

ग्लैंडर्स एक संक्रामक रोग है। बीमारी के बैक्टीरिया सेल में प्रवेश कर जाते हैं। इलाज से भी ये पूरी तरह नहीं मरते हैं। ऐसे में दूसरे जानवर और इंसान भी इससे संक्रमित हो जाते हैं। बीमारी आक्सीजन के जरिए फैलती है। शरीर में गांठे पड़ जाती हैं। गांठों में संक्रमण होने से घोड़ा उठ नहीं पाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। ग्लैंडर्स 2017 में सैकड़ों घोड़ों, गधों की जान ले चुका है। 


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