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Fungus Cause: सतर्क रहें, आपका मास्क भी बन सकता है ब्लैक फंगस का घर, इस तरह करें बचाव

Fungus Cause मास्क पहनने में लापरवाही से ब्लैक फंगस का खतरा भी खड़ा हो सकता है। बोलने व सांस लेने से मास्क में जमती है नमी यह नमी है घातक। कई दिनों तक प्रयोग घातक छह घंटे में मास्क बदलना जरूरी है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 12:07 PM (IST)
Fungus Cause: सतर्क रहें, आपका मास्क भी बन सकता है ब्लैक फंगस का घर, इस तरह करें बचाव
मास्‍क से भी हो सकता है फंगस का खतरा।

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। मास्क बेशक कोरोना वायरस से सुरक्षा देता है लेकिन मास्क पहनने में लापरवाही से ब्लैक फंगस का खतरा भी खड़ा हो सकता है। माइक्रोबायोलोजिस्टों की रिपोर्ट बताती है कि बोलने के दौरान मुंह से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदें मास्क में नमी बढ़ाती हैं। दूसरी ओर सांस लेने से इसमें फंगस पनपने लायक तापमान बन जाता है। डाक्टरों का दावा है कि लंबे समय तक एक ही मास्क पहनने वाले मरीजों मे ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है। कपड़े का मास्क संक्रमण के लिए सर्वाधिक अनुकूल माना जा रहा है, जिसमें धूल व नमी देर तक टिकती है।

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एनसीआर मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. स्वाति तिवारी बताती हैं कि ब्लैक फंगस 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और नम मौसम में पनपता है, मास्क में ये दोनों फैक्टर मिलते हैं। ज्यादातर मरीज एक मास्क का तीन से चार दिन तक प्रयोग करते हैं। पानी पीने एवं दवा खाने के दौरान कई बार मास्क में पानी पहुंच जाता है, जिसके बाद मुंह से निकलती भाप से गर्मी पैदा होती है, जो फंगस बना सकती है। एन-95 मास्क को भी छह से आठ घंटे में बदल देना चाहिए। माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अश्विनी शर्मा बताते हैं कि सॢजकल मास्क और कपड़े का मास्क ज्यादा देर तक नमी और धूल रोकता है। धूल कणों से भी फंगस संक्रमित होने का खतरा है।

ऐसे करें बचाव

- मास्क को एंटी सेप्टिक विलयन से धोएं।

- मास्क को धूप में रखने पर रेडिएशन से वायरस और फंगस नष्ट हो जाते हैं।

- कपड़े का मास्क पहनने से बचें। इसमें नमी व धूल देर तक रुकती है।

- मास्क पर हाथ न लगाएं। पीनी पीएं तो मास्क पर न गिरे।

- खांसने वाले मरीजों को मास्क छह घंटे में जरूर हटा देना चाहिए। मास्क को नीचे की तरफ से खोलें।

ये हैं सुरक्षित मास्क

- एन-95 : यह 0.12 माइक्रान वाले कोरोना वायरस को 95 फीसद, जबकि धूल व फंगस को पूरी तरह रोकता है।

- सॢजकल मास्क : इसमें तीन परतें होती हैं। यह सस्ता और वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से 80 फीसद बचाव देता है।

- एफफपी मास्क : इसमें एक, दो व तीन कटेगरी होती है। यह 85 फीसद तक बचाव देता है।

- कार्बन मास्क : यह गंध रोकता है लेकिन वायरस से महज 10 व फंगस से 50 फीसद ही बचाव करता है।

- कपड़े का मास्क : विशेषज्ञ इसे प्रयोग न करने की सलाह देते हैं लेकिन ज्यादतर मरीज इसे लगा रहे हैं। इसे दोबारा पहनना खतरनाक।

- स्पंज मास्क : इसे भी बड़ी संख्या में लोग पहन रहे हैं जो न वायरस रोकता है, और न धूल। यह फंगस की वजह बन सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

ब्लैक फंगस की कई वजहें हैं। कई मरीज तीन-चार दिनों तक मास्क नहीं बदलते। मुंह से निकलने वाले एरोसोल मास्क में नमी बनाते हैं जबकि सांस से गर्मी मिलती है। यह फंगस पनपने का बड़ा कारण है।

- डा. स्वाति तिवारी, माइक्रोबायोलोजिस्ट, एनसीआर मेडिकल कालेज 


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