सांसों की जंग को हौसले का सहारा, सहारनपुर में दोस्तों ने मिलकर बनाया आक्सीजन बैंक
लघु उद्योग भारती लघु उद्यमियों की संस्था है। कोरोना का प्रकोप पुन फैला तो संस्था ने इस बार भी मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी। आक्सीजन की डिमांड ज्यादा है तो संस्था ने यह निर्णय लिया गया कि सभी उद्यमी मिलकर अधिकतम आक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदेंगे।
सहारनपुर, [अश्वनी त्रिपाठी]। कोरोना से युद्ध छिड़ा है। सरकारी इंतजाम कम पड़नेे लगे हैं। आक्सीजन घटने लगी है। अस्पताल हाउसफुल होने लगे हैं, लेकिन हौसले ने अभी हिम्मत नहीं हारी है। हौसले की ऐसी ही कहानी सहारनपुर के लघु उद्यमियों की भी है, जो लगातार कम पड़ रही आक्सीजन से भी हारने को तैयार नहीं हैं। पहले अपनी औद्योगिक इकाइयों की आक्सीजन कोविड हास्पिटलों को दे दी, अब लघु उद्योग भारती संस्था से संबद्ध उद्यमी मित्रों ने आपसी सहयोग से लाखों रुपये जुटाकर कई आक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के आर्डर दे दिए हैं, ताकि आक्सीजन की कमी से किसी की मौत न हो।
लघु उद्योग भारती लघु उद्यमियों की संस्था है। कोरोना का प्रकोप पुन: फैला तो संस्था ने इस बार भी मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी। आक्सीजन की डिमांड ज्यादा है, इसलिए सिलेंडर से पूर्ति हो पाना मुश्किल लगने लगा, तो संस्था के जिलाध्यक्ष अनुपम गुप्ता के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया कि सभी उद्यमी मिलकर अधिकतम आक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदेंगे, ताकि आक्सीजन की आपूर्ति में सहयोग किया जा सके। सभी मित्रों ने 11 हजार रुपए का सहयोग शुरू किया, तो एक लाख रुपए तथा इससे अधिक देने वाले दानदाता भी आगे आ गए। अनुपम बताते हैं, कि 11 हजार से हुई शुरुआत में काफी लोग बड़ा सहयोग भी करने के लिए आगे आ गए हैं। शुरुआती स्तर पर दस आक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाने के लिए आर्डर कर दिए हैं, उनका लक्ष्य सौ आक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाने का है। इस सप्ताह के अंत तक सहयोग से हम काफी कंसंट्रेटर खरीदने की स्थिति में होंगे। उन्होंने अन्य समाजसेवी संस्थाओं से भी ऐसी मुहिम चलाने की अपील की है।
ऐसे बना कारवां...
मुहिम की शुरुआत जिलाध्यक्ष अनुपम गुप्ता और महामंत्री सोम गोयल से हुई, दोनों ने 11 हजार रुपये देकर आक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने की मुहिम चलाने का प्रस्ताव रखा, तो संयोजक राजकमल, डा एके ङ्क्षसह समेत बड़ी संख्या में उद्यमी जुड़ गए।
क्या होता है आक्सीजन कंसंट्रेटर
यह पोर्टेबल मशीन मरीज को आक्सीजन देने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें आक्सीजन देने के लिए किसी आक्सीजन सिलेंडर का प्रयोग नहीं होता, बल्कि वायुमंडल से आक्सीजन लेकर यह मरीज को प्रदान करती है। यह वायुमंडल से हवा लेेने के बाद उससे धूल, मिट्टी व नाइट्रोजन को अलग कर देती है, सिर्फ आक्सीजन को मरीज तक पहुंचाती है। इसमें बैट्री भी लगी होती है। इसकी कीमत करीब 55 हजार है। कोरोना के कारण इसके रेट बढे हुए हैं।