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Fraction In BKU: बाबा टिकैत के जाने के बाद टूटता चला गया भारतीय किसान यूनियन का कुनबा

भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बिखर गई है। वर्ष 2011 में चौ. महेंद्र सिंह टिकैत के निधन के बाद संगठन की कमान चौ. नरेश टिकैत को सौंपी गई थी। राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत बने। इसके कुछ समय बाद संगठन में बिखराव शुरू हो गया।

By Parveen VashishtaEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 01:06 PM (IST)
बाबा टिकैत के जाने के बाद टूटता चला गया भाकियू का कुनबा

मुजफ्फरनगर, संजीव तोमर। Another Fraction In Bhartiya Kisan Union भारतीय किसान यूनियन का नाम आते ही चौ. महेंद्र सिंह टिकैत की यादें ताजा हो जाती हैं। आंदोलनों का संचालन और संगठन के प्रंबधन में बाबा का कोई सानी नहीं था। यही वजह है कि उनके निधन के बाद भाकियू का कुनबा टूटता चला गया और देखते देखते कई संगठन खड़े हो गए। अब फिर भाकियू में टूट हुई है।  

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1986 में चौ. महेंद्र सिंह टिकैत को जिम्मेदारी देना हुआ था तय 

पूर्व प्रधानमंत्री और किसान मसीहा चौ. चरण सिंह के निधन के बाद किसान दुखी थे। नए रहनुमा को लेकर बागपत और मुजफ्फरनगर में किसानों ने बैठकें की। वर्ष 1986 में तय हुआ कि चौ. महेंद्र सिंह टिकैत को यह जिम्मेदारी दी जाए। इसके पीछे की मूल वजह यह थी कि वह सात साल की आयु से बालियान खाप के चौधरी की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक संभाल रहे थे। इसी साल उन्हें भाकियू अध्यक्ष बनाया गया। एक साल बाद ही खेड़ीकरमू बिजलीघर पर बड़ा आंदोलन किया। इसके बाद मेरठ कमिश्नरी, नईमा कांड़ समेत कई बड़े आंदोलन हुए।

वर्ष 2011 में नरेश टिकैत को सौंपी गई कमान

वर्ष 2011 में बाबा के निधन के बाद संगठन की कमान चौ. नरेश टिकैत को सौंपी गई। राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत बने। इसके कुछ समय बाद संगठन में बिखराव शुरू हो गया। इसी साल ठा. भानु प्रताप ने भाकियू से अलग होकर भाकियू भानू बनाया। वर्ष 2014 में ठाकुर पूरन सिंह ने किसान मजदूर संगठन बना लिया। इसके अलावा भाकियू से अलग होकर भाकियू अम्बात, भाकियू असली, भाकियू लोकशक्ति, भाकियू सर्व, भाकियू तोमर, राष्ट्रीय किसान मजदूर मंच, भारतीय किसान संगठन, किसान आंदोलन, किसान सेना आदि संगठन बन गए। इनके सभी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी चौ. महेंद्र सिंह टिकैत के साथ रहे थे।

नए संगठन के सामने अनेक चुनौती

भाकियू अराजनैतिक संगठन के सामने अनेक चुनौतियां रहेंगी। भाकियू में समय-समय पर टूट हुई और संगठन बनते गए, लेकिन भाकियू का मुख्यालय सिसौली ही रहा। दबदबा इन्हीं की रहा। शासन-प्रशासन में चौ. नरेश टिकैत और चौ. राकेश टिकैत की गहरी छाप रही। अन्य संगठनों के पदाधिकारी इस प्रकार का मुकाम हासिल नहीं कर पाए। नए संगठन में राष्ट्रीय अध्यक्ष जिला फतेहपुर के हैं। उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी बुलंदशहर के हैं। संरक्षक और राष्ट्रीय प्रवक्ता जनपद से ही हैं। संरक्षक गठवाला खाप चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक व प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक हैं। ऐसे में आपसी सामंस्य बैठाना आसान नहीं रहेगा। देखना होगा कि भाकियू से निकला यह संगठन टिकैत बंधुओं को कितनी चुनौती दे पाता है और किसान राजनीति में कितनी गहरी पैठ बना पाता है।


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