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विदेशियों को अब नहीं भा रहा ¨हदुस्तानी बासमती

कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण यूरोपीय और अरब देश कर रहे किनारा

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST)
विदेशियों को अब नहीं भा रहा ¨हदुस्तानी बासमती
विदेशियों को अब नहीं भा रहा ¨हदुस्तानी बासमती

संजीव तोमर, मोदीपुरम।

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बासमती धान में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग करने वाले उत्पादकों के लिए खतरे की घंटी है। कीटनाशकों के प्रयोग से गुणवत्ता बिगड़ने के कारण यूरोपीय और अरब देश के लोगों को अब ¨हदुस्तानी बासमती के बजाय पाकिस्तान का चावल रास आने लगा है। इन देशों में पाकिस्तानी बासमती की बढ़ती मांग इसका प्रमाण है।

मोदीपुरम स्थित बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीईडीएफ) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा कहते हैं कि यूरोप के साथ अब अरब देश भी बासमती चावल की खरीद के लिए पाकिस्तान की ओर हाथ बढ़ा रहे हैं। इसके चलते भारतीय बासमती का एक्सपोर्ट भी कम हुआ है।

पाकिस्तान में कीटनाशकों का कम प्रयोग

डा. रितेश बताते हैं कि भारतीय उत्पादक बासमती की फसल में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं जबकि पाकिस्तान के किसान भारत के मुकाबले मात्र दस प्रतिशत कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करते हैं। इसके चलते भारतीय बासमती की गुणवत्ता घट गई है। यूरोप में पाकिस्तान के मुकाबले महंगा बिकने वाला ¨हदुस्तानी बासमती चावल अब वहां सस्ता बिक रहा है। वह बताते हैं, ज्यादा कीटनाशक के प्रयोग से पैदा हुए चावल की टे¨स्टग होती है तो उसमें कीटनाशकों के अंश अधिक मिलते हैं। साथ ही दुर्गंध भी आती है। भ्रमित करती हैं कंपनियां

वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि कीटनाशक दवा कंपनियों के एक्सपर्ट किसानों को भ्रमित करते हैं कि अगर फसल में कीटनाशक दवा का अधिक इस्तेमाल नहीं किया तो बैक्टीरिया के प्रभाव से फसल खराब हो जाती है। उनका कहना है कि अधिक दवा का छिड़काव करने से फसल खराब होती है।


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