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Fitness Mantra In Meerut: 77 की उम्र है और फुर्ती देखकर हर कोई रह जाता है दंग, जानिए इनका फिटनेस मंत्र

Fitness Mantra यहां शहर के शिवाजी रोड के रहने वाले राजेंद्र कुमार सिंघल आज जीवन के 77 वर्ष पूरे करने के बाद भी अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ अनुभव करते हैं। पिछले 25 वर्ष से वह योग का अभ्यास कर रहें हैं।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 06:50 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 06:50 AM (IST)
Fitness Mantra In Meerut: 77 की उम्र है और फुर्ती देखकर हर कोई रह जाता है दंग, जानिए इनका फिटनेस मंत्र
फिट रहने के हम मेरठ के 77 वर्षीय राजेंद्र कुमार सिंघल से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

मेरठ, [विवेक राव]। Fitness Mantra ईश्वर ने हमें यह जिंदगी दी है और इसे सही से जीने के तरीके भी बताएं।अगर हम अपने दिनचर्या को नियमित रखें। योग और अभ्यास नियमित तरीके से करते हैं। खान-पान आहार व्यवहार को अनुशासित रखें।तो किसी भी उम्र में खुद को जवा रख सकते हैं। आज अस्त व्यस्त दिनचर्या गलत खानपान से बीमारियों के चपेट में लोग आने लगे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने खान-पान से लेकर आहार व्यवहार को नियमित रखकर बढ़ती उम्र में भी खुद को पूरी तरह से स्वस्थ और फुर्तीला रखे हुए हैं। 77 साल की आयु में ऐसे ही एक व्यक्ति हैं राजेंद्र कुमार सिंघल। जिन्होंने अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी पूरी तरह से मजबूत रखा है। उन्होंने अपने दिनचर्या को साझा भी किया है।

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77 साल के हैं राजेंद्र

31 जगन्नाथपुरी शिवाजी रोड के रहने वाले राजेंद्र कुमार सिंघल आज जीवन के 77 वर्ष पूरे करने के बाद भी अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ अनुभव करते हैं। पिछले 25 वर्ष से वह योग का अभ्यास कर रहें हैं। वह बताते हैं कि योग व्यायाम ही नहीं अपितु जीवन जीने की कला है।

सुबह साढ़े चार बजे बिस्तर छोड़ देते हैं

सुबह 4:30 बजे वह बिस्तर छोड़ देते हैं। बिस्तर से उठकर वह अपने काम स्वयं करते हैं। स्नान के बाद सुबह 6 बजे योगाभ्यास करते हैं। इसमें ओम की तीन ध्वनि के साथ आसन करते हैं। इसमें वह सूर्य नमस्कार की सभी स्थिति, पद्मासन, अश्वत्थासन, त्रिकोणासन, ताड़ासन, आकर्ण धनुरासन, जानुशिरासन, कोणासन, वज्रासन, सर्प आसन आदि का अभ्यास करते हैं।

शरीर पर पड़ता है अच्छा प्रभाव

राजेंद्र बताते हैं कि योग से मेरे जीवन में अनुशासन आता है। उत्साह बना रहता है। शरीर सुडौल रहता है। प्रतिदिन की दुर्बलता शरीर की कमजोरी सब योगाभ्यास से दूर हो गई है। उम्र के साथ शारीरिक विकार जैसे उक्त रक्तचाप, मधुमेह, कब्ज, हृदय विकार, घुटनों में दर्द होने लगा था, रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो गई थी । परंतु अब योग के नित्य अभ्यास से मांसपेशियों की अच्छी कसरत हो जाती है, जिस कारण तनाव दूर होता है, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता है, रक्त का भ्रमण ठीक से होता है, व मधुमेह का लेवल भी घटा है। नींद अच्छी आती है ,भूख भी अच्छी लगती है और पाचन भी सही रहता है। घुटनों के दर्द की समस्या दूर हो गई है। बुढ़ापे में भी मेरा शरीर स्वस्थ है। पूरे दिन तरोताजा और स्फूर्ति महसूस करता हूं। मस्तिष्क व शरीर में संतुलित बना रहता है। सूर्य नमस्कार से मेरा शरीर लचीला बना है। प्राणायाम से, गहरे लंबे स्वांसों द्वारा प्राणशक्ति पर नियंत्रण करना सीखा है। मुद्राओं द्वारा प्रत्येक स्थान पर ईश्वरीय शक्ति का वास महसूस किया है।

खान-पान का भी प्रभाव

वह कहते हैं कि हमारे शरीर पर खानपान का भी प्रभाव पड़ता है। सुबह 8:00 बजे अखबार के साथ गाय के दूध का एक ग्लास लेता हूं। रोज तीन चने की रोटी या बाजरे की खिचड़ी का सेवन करता हूं। हरी सब्जियां जैसे पालक, बथुआ, मेथी सेम आदि का सेवन करता हूं। आठ गिलास गुनगुना पानी पीता हूं। भोजन निश्चित समय पर करता हूं। रात का भोजन शाम छह से सात बजे के बीच ले लेता हूं। प्रतिदिन 3-4 किलोमीटर भी चलने की क्षमता बनाए रखता हूं।

यह सभी के लिए जरूरी है

वह कहते हैं कि आज भागदौड़ के जीवन में मनुष्य एक मशीन बनकर रह गया है। वह शारीरिक व मानसिक तनाव से इतना ग्रसित है कि कई बीमारियों का शिकार बन बैठा है। इस सब से बचाव के लिए योग हमारा पूर्ण रूप से सहायक बनता है। यदि दृढ़ संकल्प हो तो 24 घंटों में से एक घंटा स्वास्थ्य के लिए निकालना कोई कठिन कार्य नहीं है। इन यौगिक दिनचर्या को जीवन में शामिल करने से लाभ ही लाभ है। आसन व प्राणायाम तो हर उम्र का व्यक्ति व महिला कर सकती हैं। सुबह वक्त ना मिलने की स्थिति में साईं काल में योग किया जा सकता है। प्रकृति की गोद में बैठकर योगाभ्यास करने से शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। शरीर के प्रत्येक अंग को अलग-अलग क्रियाओं से प्रभावित करना चाहिए। तीन से चार किलोमीटर चलने की आदत होनी चाहिए।मंत्रों के साथ योग क्रिया प्रारंभ करना और हंसी के ठहाको से उसका समाप्त करना मेरे इस 77 वर्ष में जीवन का संचार करते हैं। ईश्वर का अत्यंत शुक्रगुजार हूं जिसने योग के माध्यम से मेरी जिंदगी को महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण मार्ग दिखाया।


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