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यह है भारत की पहली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्‍टम ट्रेन का पहला लुक, इन खूबियों से होगी लैस

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने आज भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेन के प्रथम लुक का अनावरण एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह और एनसीआरटीसी के बोर्ड के सदस्यों की उपस्थिति में किया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 08:50 PM (IST)
यह है भारत की पहली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्‍टम ट्रेन का पहला लुक, इन खूबियों से होगी लैस
भारत की पहली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) ट्रेन का प्रथम लुक।

मेरठ, जेएनएन। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने आज भारत की पहली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम ट्रेन के प्रथम लुक का अनावरण राष्ट्रीय राजधानी परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह और एनसीआरटीसी के बोर्ड के सदस्यों की उपस्थिति में किया। इस मौके पर मंत्रालय, एनसीआरटीसी और बॉम्बार्डियर के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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पहली आधुनिक प्रणाली की ट्रेन

180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन स्पीड वाली आरआरटीएस ट्रेन भारत में अपने प्रकार की पहली आधुनिक प्रणाली वाली ट्रेन है। स्टेनलेस स्टील से बनी ये एयरोडायनामिक ट्रेनें हल्के होने के साथ-साथ पूरी तरह से वातानुकूलित होंगी। प्रत्येक कोच में प्रवेश और निकास के लिए ‘प्लग-इन’ प्रकार के छह (दोनों तरफ तीन-तीन) स्वचालित दरवाजे होंगे जबकि बिजनेस क्लास कोच में ऐसे चार (दोनों तरफ दो-दो) दरवाजे होंगे। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक ट्रेन में एक बिज़नेस क्लास कोच होगा। बिजनेस क्लास कोच के अंदर फूड डिस्पेंडिंग मशीन भी लगा होगा । आरआरटीएस ट्रेनों में 2x2 ट्रांसवर्स आरामदायक सीटें, यात्रियों के पैर रखने के लिए पर्याप्त जगह, खड़े होकर यात्रा कर रहे लोगों के आरामदायक सफर के लिए दोनों तरफ की सीटों के बीच में पर्याप्त जगह (wide isle space), सामान रखने का रैक, मोबाइल/ लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट, वाई-फाई और अन्य यात्री-केंद्रित सुविधाएं भी होंगी।

आरआरटीएस ट्रेनों का डिज़ाइन नई दिल्ली के प्रतिष्ठित लोटस टेम्पल से प्रेरित है। लोटस टेम्पल एक ऊर्जा-कुशल इमारत का प्रतीक है क्योंकि इसका डिज़ाइन प्रकाश और वायु के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखता है। इसी तरह, आरआरटीएस ट्रेन में भी ऐसी प्रकाश और तापमान नियंत्रण प्रणाली होगी जो ऊर्जा के कम खपत के बावजूद यात्रियों को आरामदायक अनुभव देगी। आधुनिक सुविधाओं से लैस आरआरटीएस ट्रेन नए युग की तकनीक और भारत की समृद्ध विरासत का एक अनूठा मेल होगा।

आरआरटीएस परियोजना के लाभों की चर्चा करते हुए एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह ने कहा, “भारत के प्रथम आरआरटीएस ट्रेन सेट को न्यू इंडिया की आकांक्षाओं को पूरा करने के विजन के साथ डिजाइन किया गया है। ट्रेन रोकने (ब्रेकिंग) के दौरान लगभग 30% ऊर्जा पुनर्जनन के साथ आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा-कुशल होंगी। एनसीआरटीसी ने इन ट्रेन सेटों के निर्माण का कार्य एक दीर्घकालिक रखरखाव के कांट्रैक्ट के साथ अवार्ड किया हैं जिससे इन ट्रेनों के लाइफ-साइकल लागत में कमी आएगी। मुझे विश्वास है कि आरआरटीएस एनसीआर के परिवहन की रीढ़ की हड्डी साबित होगा और सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में एक नए बेंचमार्क को परिभाषित करेगा जिससे इस क्षेत्र का समग्र विकास होगा।“

आरआरटीएस ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप 2022 तक निर्मित हो जाएगा और विस्तृत परीक्षण के बाद सार्वजनिक उपयोग में लाया जाएगा। एनसीआरटीसी रीजनल रेल सेवाओं के संचालन के लिए 6 कोच के 30 ट्रेन सेट और मेरठ में स्थानीय परिवहन सेवाओं के लिए 3 कोच के 10 ट्रेन सेट खरीदेगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के सम्पूर्ण रोलिंग स्टॉक का निर्माण गुजरात में बॉम्बार्डियर के सावली प्लांट में किया जाएगा।

भारत के पहले आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक की मुख्य विशेषताएं 

• यात्री सुविधा को ध्यान मे रखते हुये इन ट्रेनों में 2x2 ट्रांसवर्स बैठने की व्यवस्था होगी।

• खड़े यात्रियों के लिए अधिक जगह, सामान रखने का रैक, मोबाइल / लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट, बैठे यात्रियों के पैर रखने की लिए पर्याप्त जगह (लेगरूम) और ट्रेन में वाईफाई की सुविधा होगी।

• बाहर के मनोरम दृश्य के लिए डबल ग्लेज्ड, टेम्पर्ड प्रूफ बड़ी शीशे की खिड़कियांं।

• आपातकालीन सार्वजनिक घोषणा और प्रदर्शन प्रणाली, डायनामिक रूट मैप डिस्प्ले, इंफोटेनमेंट डिस्प्ले, और संचार सुविधाओं से लैस। ट्रेन में आधुनिक औडियो और विडियो घोषणाओं की सुविधा होगी जो यात्रियों को अगले स्टेशन, अंतिम स्टेशन, आगमन और प्रस्थान के अनुमानित समय के साथ-साथ अन्य सूचनाओं से अवगत कराएंगी।

• स्वचालित प्लग-इन प्रकार के चौड़े दरवाजे जो घर्षण और शोर को कम करेंगे।

• सीसीटीवी, फायर एंड स्मोक डिटेक्टर, अग्निशामक यंत्र और डोर इंडिकेटर।

• दिव्यांगजनों के अनुकूल: ट्रेन के दरवाजों के पास व्हीलचेयर के लिए जगह।

• उच्च विश्वसनीयता के लिए कॉम्पैक्ट प्रोपलसन प्रणाली।

• इनोवेटिव ट्रेन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम (टीसीएमएस) तकनीक, साथ ही अनुमान के आधार पर और स्थिति-आधारित मॉनिटरिंग, जो की ट्रेन-टू-ग्राउंड डायग्नोस्टिक्स प्रदान करके ट्रेन के प्रदर्शन को बढ़ाएंगी।

• ट्रेन का डिज़ाइन 160 किमी प्रति घंटे की परिचालन गति और प्रत्येक 5-10 किमी पर स्टेशन की उपलब्धता, उच्च-एक्सीलीरेसन और उच्च-डीसेलीरेसन को को ध्यान में रखकर किया गया है।

• ट्रेन में पुश बटन भी होगा जो जरूरत होने पर दरवाजों को खोलने के काम आएगा। इससे प्रत्येक स्टेशन पर ट्रेन के सभी दरवाजों को खोलने की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ वही दरवाजें खुलेंगे जहाँ किसी को चढ़ना हो या उतरना हो। इससे ऊर्जा की भारी बचत होगी।

• आरआरटीएस ट्रेन ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन के अंतर्गत संचालित होंगी। इससे यह यात्रियों को आरामदायक सफर का आनंद तो मिलेगा ही साथ ही ऊर्जा की भी बचत होगी।

• प्रत्येक ट्रेन में एक कोच महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।

• प्रत्येक आरआरटीएस ट्रेन में एक बिजनेस क्लास कोच होगा जिसमें आरामदायक रिक्लाइनिंग सीटें होंगी। साथ ही बिज़नेस क्लास कोच में प्रवेश के लिए प्लैटफ़ार्म पर एक विशेष लाउंज भी होगा। बिजनेस क्लास कोच के अंदर फूड डिस्पेंडिंग मशीन भी लगा होगा ।

• प्‍लैटफार्म पर बिजनेस क्लास लाउंज के क्षेत्र में एक ऑटोमैटिक वेंडिंग मशीन भी लगाई जाएगी।

• उच्च-गति को ध्यान में रखते हुये प्रत्येक आरआरटीएस स्टेशन पर प्लैटफ़ार्म स्क्रीन दरवाजें होंगे। ये दरवाजें ट्रेन के दरवाजों के साथ समन्वित होंगे।

पहला आरआरटीएस कॉरिडोर

दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर प्राथमिकता वाले तीन आरआरटीएस कॉरिडोर में से एक है। 82 किलोमीटर लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर भारत में लागू होने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है। यह कॉरिडोर दिल्ली से मेरठ के बीच यात्रा के समय को लगभग एक तिहाई कर देगा। वर्तमान में सड़क मार्ग से दिल्ली से मेरठ तक का आवागमन समय 3-4 घंटे का समय लगता है। आरआरटीएस की मदद से यह दूरी 60 मिनट से भी कम मे तय की जा सकेगी। साहिबाबाद से शताब्दी नगर (मेरठ) के बीच लगभग 50 किलोमीटर लंबे खंड पर सिविल निर्माण कार्य पूरे जोरों से जारी हैं। साथ ही गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुलधर और दुहाई आरआरटीएस स्टेशन का निर्माण कार्य भी पूरे जोरों पर है। साहिबाबाद से दुहाई के बीच के 17 किमी लंबे प्राथमिक खंड पर परिचालन 2023 से प्रस्तावित है जबकि पूरे कॉरिडोर को 2025 में जनता के लिए खोल दिया जाएगा। अन्य दो फेज़ -I आरआरटीएस कॉरिडोर -- दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत हैं। दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी कॉरिडोर के लिए पूर्व-निर्माण गतिविधियां जारी हैं और इसकी डीपीआर भारत सरकार के विचारधीन है। वहीं दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस कॉरिडोर की डीपीआर संबंधित राज्य सरकारों के विचारधीन है।


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