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Fight Against COVID-19: मेरठ मेडिकल कालेज में नई सुबह के इंतजार में तीमारदार

गुजर रही हैं रातें कुछ इस तरह जैसे नई सुबह नया संदेशा लेकर आने वाली है। किसी को अपनों की खबर तो किसी को अच्छी खबर का इंतजार है। कोई भर्ती के दिन गिन रहा है तो कोई घर जाने की खबर मिलने के इंतजार में है।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 04:07 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 04:07 PM (IST)
Fight Against COVID-19: मेरठ मेडिकल कालेज में नई सुबह के इंतजार में तीमारदार
मेरठ में नई सुबह के इंतजार में तीरमदार। तस्‍वीर- कोविड वार्ड के बाहर बैठे लोगों

मेरठ, जेएनएन। गुजर रही हैं रातें कुछ इस तरह जैसे नई सुबह नया संदेशा लेकर आने वाली है। किसी को अपनों की खबर तो किसी को अच्छी खबर का इंतजार है। कोई भर्ती के दिन गिन रहा है तो कोई घर जाने की खबर मिलने के इंतजार में है। आस-पास के जिलों से कोविड मरीजों को मेडिकल कालेज में भर्ती कराने आए तीमारदारों के दिन के साथ रात भी अस्पताल परिसर में ही कट रही है। मर्ज ऐसा है कि मरीज के पास रह नहीं सकते। अपने हैं इसलिए छोड़कर घर पर भी चैन की सांस नहीं ले पाते। इसलिए स्वजनों में कोई हर दिन लंबा सफर तय कर रहा है तो कोई अस्पताल परिसर में ही रह रहा है। रात में मच्छर सोने नहीं देते और दिन में मरीज के स्वास्थ्य ही चिंता बेचैन रखती है।

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अपना इंतजाम खुद कर रहे

मेडिकल कालेज परिसर में रह रहे तीमारदार स्वयं ही अपने खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं। दिन के समय कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं से खाना मिल जाता है लेकिन रात में बाहर से लाना पड़ता है। इसमें भी मेडिकल से बाहर निकलते ही लाकडाउन का हवाला देते हुए पुलिस के डंडे चलने लगते हैं। हापुड़, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद आदि जिलों के मरीज यहां भर्ती हैं जिनके स्वजन कोविड वार्ड के सामने जमीन पर बिस्तर लगाकर, मच्छरदानी लगाकर या फिर अपनी कार में ही रात गुजार रहे हैं। ऐसे लोगों को राहत देने के लिए कोई व्यवस्था न मेडिकल प्रशासन ने की है न ही जिला प्रशासन ने सुध लेने की जहमत उठाई है।

डाक्टरों से ही सूचना मिल पाती है

मेरी बहन चिंकी त्यागी आठ मई से कोविड वार्ड भर्ती है। उनकी सूचना हमें डाक्टर्स बता देते हैं तभी मिल पाती है। कंट्रोल रूम में तो फोन घुमाते रहें कुछ पता नहीं चल पाता है। हम लोग यही साथ में रात में रहते हैं। मच्छर इतने हैं कि नींद नहीं आ पाती है। बातों-बातों में ही रात काटनी पड़ती है। ऐसे में बहन को छोड़कर घर भी जाना ठीक नहीं है। काबुल त्यागी, मोदीनगर

एक महीने यहीं रहेंगी मां

मेरी मां कमलेश 10 दिन से कोविड में भर्ती हैं। पहले इमरजेंसी में थी अब जनरल वार्ड में हैं। उनका 75 फीसद फेफड़ा क्षतिग्रस्त है लेकिन रिकवरी हो रही है। उनका आक्सीजन स्तर पर पहले 60 था जो अब 75 पर पहुंचा है। डाक्टर ने बताया है कि करीब एक महीने इलाज चलेगा। आक्सीजन स्तर स्थिर होने पर ही अन्य उचार उपयोगी होंगे। रात के समय मैं और पति ग्रेटर नोएडा से यहां आ जाते हैं। दिन में भाई पिलखुवा के पास खेड़ा गांव से आते हैं। जनरल वार्ड में होने के कारण खुद ही हर दो घंटे में आक्सीजन के पानी को देखना पड़ता है। वहां मरीज बहुत ज्यादा हैं। इतना इलाज भी मिल पा रहा है, बाकी हम देख ले रहे हैं। प्रीति, ग्रेटर नोएडा

देवी मां, मेरी मां को ठीक करें

मेरी मां सुदेश 10 दिन से भर्ती हैं। शुक्रवार शाम को ही उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है और उम्मीद है कि शनिवार को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। इस दौरान बाहर ही रात गुजारी और देवी मां से प्रार्थना करते रहे कि मेरी मां स्वस्थ हो जाएं। माता रानी ने मेरी पुकार सुन ली। यहां जमीन पर रहना, खाने का इंतजाम करना स्वयं ही करना पड़ा। मां के ठीक होने की उम्मीद में ही रातें गुजरी हैं। शंकर, मुजफ्फरनगर

कोविड वार्ड में हुई बेटी

मेरी पत्नी गर्भवती थी। आठ मई को भर्ती कराई थी उसी दिन कोविड वार्ड में ही बेटी पैदा हुई। उस दिन तो किसी ने बिना पूछे कोई इंजेक्शन लगा दिया था। विरोध जताने के बाद अब सभी उपचार बताकर ही किए जा रहे हैं। बेटी को घर भेज दिया है। उसका नाम हमने वर्तिका रखा है। पत्नी की हालत में भी सुधार हो रहा है। आशा है जल्द ही घर भी ले जाने की अनुमति मिल जाएगी। दीपक त्यागी, मोदीनगर 


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