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Fight Against Corona: नोडल अफसर के प्रवास का नतीजा, अब दौड़ने लगी मेडिकल की नब्ज Meerut News

मेरठ को कोरोना संकट से उबारने के लिए पहुंचे नोडल अधिकारी ने छह दिन के अपने प्रवास के दौरान मेडिकल कालेज की नब्ज को चेक किया और उसे दौड़ा दिया।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 01:40 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 01:40 PM (IST)
Fight Against Corona: नोडल अफसर के प्रवास का नतीजा, अब दौड़ने लगी मेडिकल की नब्ज Meerut News
Fight Against Corona: नोडल अफसर के प्रवास का नतीजा, अब दौड़ने लगी मेडिकल की नब्ज Meerut News

मेरठ, [अनुज शर्मा]। Fight Against Corona मेरठ को कोरोना संकट से उबारने के लिए पहुंचे नोडल अधिकारी ने छह दिन के अपने प्रवास के दौरान मेडिकल कालेज की नब्ज को चेक किया और उसे दौड़ा दिया। हालांकि नोडल अधिकारी आबकारी विभाग के प्रदेश के मुखिया थे लेकिन उन्होंने डॉक्टरों से भी बढ़कर इलाज किया। मेडिकल कालेज में कोरोना मरीजों की मौत के असली कारणों को जान लिया और समाधान की व्यवस्था भी कर दी। इन प्रयासों से उम्मीद तो जगी है लेकिन नतीजे आने वाले समय में दिखाई देंगे। उन्होंने वरिष्ठ चिकित्सकों को वार्ड के भीतर भेजने की व्यवस्था बनाई। वार्ड में कैमरे लगवाकर उनकी निगरानी प्रशासनिक अफसरों को सौंपी। टेङ्क्षस्टग की स्पीड़ बढ़ाई। दूसरी बीमारियों के मरीजों के लिए इमरजेंसी वार्ड में कोरोना जांच की मशीनें अलग से लगवा दीं। मरीजों के पीने के पानी और मेडिकल कालेज की जरूरतों को भी पूरा करा दिया। अब सुधार की उम्मीद करें।

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साहब ने बांध लिया सामान

लगभग ढाई महीने से अधिक के लॉकडाउन के बाद सरकार ने जैसे ही अनलॉक-1 की घोषणा की वैसे ही साहब लोगों के चेहरों पर तनाव साफ दिखाई देने लगा है। विभाग भले ही कोई सा भी हो। प्रशासन से लेकर नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, बिजली, चिकित्सा अथवा अन्य कोई भी, सभी में यह चर्चा गरम है कि अब बदलाव की बयार आने वाली है। कई अफसरों ने तो अपने कमरों का सामान तक बांध लिया है। कुछ अधिकारी अपनी मनपसंद जगह पर जाना चाहते हैं तो कुछ हटना नहीं चाहते। सभी अपनी अपनी सेङ्क्षटग में जुटे हैं। इसी बीच कोरोना नोडल अधिकारी ने भी छह दिन के दौरान अफसरों की कार्यप्रणाली की रिपोर्ट तैयार की। जिसे उन्होंने सीएम को सौंपा है। अब इस रिपोर्ट से अफसर तनाव में हैं। कोरोना नियंत्रण के कार्य से जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और नगर निगम सीधे-सीधे जुड़े हैं।

सुनने लगी आर्डर-आर्डर की आवाज

लॉकडाउन ने न्याय प्रक्रिया को भी तीन महीने तक प्रभावित किया। अदालतें भी नहीं बैठ रहीं थीं। लोग इंसाफ को तरस रहे थे और इंसाफ दिलाने वाले अधिवक्ता आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। नए और बुजुर्ग अधिवक्ताओं की समस्या गंभीर थी। आखिरकार तीन महीने के इंतजार के बाद मेरठ में अदालतें सोमवार को पहली बार खुलीं। अदालतों में जहां केस के नाम पुकारे गए तो वहीं न्यायाधीश के आर्डर-आर्डर की आवाज भी काफी दिनों बाद कानों तक पहुंची। दूसरे स्थानों पर यह प्रक्रिया कई दिन पहले ही शुरू हो गई थी लेकिन मेरठ में कोरोना विलेन बना था। लंबे इंतजार के बाद कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट की छाया हटी और यह दिन आया। यह बात भी जानना बहुत जरूरी है कि न्यायालय खोलने की सहमति बनते ही एसएसपी ऑफिस हॉटस्पॉट बन गया था। मजिस्ट्रेट को दूरी मापनी पड़ी। जिसके बाद कचहरी को ग्रीन सिग्नल मिला।

फिर से हरियाली की तैयारी

पिछले साल प्रदेश के साथ मेरठ ने भी पौधारोपण का रिकार्ड बनाया था। 18.35 लाख पौधे अकेले मेरठ जनपद ने रौपे थे। इस कामयाबी को अफसरों ने पूरे साल भुनाया। तारीफें पाईं। अब फिर से पौधारोपण का समय है। अबकी लक्ष्य पिछले साल से भी साढ़े पांच लाख पौधे ज्यादा तय किया गया है। जिला प्रशासन और वन विभाग इस लक्ष्य को पूरा करने में जुट गए हैं। वन विभाग ने अपने साथ-साथ कुल 32 सरकारी विभागों को इस कार्य में पार्टनर बनाया है। सभी को लक्ष्य भी दे दिए गए हैं। एक जुलाई से पौधारोपण शुरू होगा। जिसके लिए अभी गड्ढे खोदने का काम भी शुरू करा दिया गया है। अफसर इस बार भी हुंकार भर रहे हैं, यह बात अलग है कि पिछले साल लगाए गए पौधे कैसे हैं इसकी जानकारी अभी इक्का दुक्का विभागों ने ही उपलब्ध कराई है। जिससे नाराजगी जायज है। 


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