जीवन की सच्चाई का अहसास करता है उत्तम आकिंचन्य धर्म
दिगंबर जैन मंदिरों में बुधवार को अकिंचन्य धर्म की आराधना हुई। विधानों में जैन समाज के लोगों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
मेरठ, जेएनएन : दिगंबर जैन मंदिरों में बुधवार को अकिंचन्य धर्म की आराधना हुई। विधानों में जैन समाज के लोगों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
कैंट स्थित ऋषभ एकेडमी में मुनि प्रणम्य सागर ने कहा कि हमारे अंदर जो रौद्र ध्यान चलता है, उससे मुक्ति के बिना हम प्रत्यक्ष ध्यान नहीं कर सकते। मुनि ने शिविर में उपस्थित लोगों को आत्म शुद्धि और निरोगी काया के लिए अर्ह योग कराया। रंजीत जैन, दिनेश जैन, सुनील जैन, विनेश जैन, मृदुल जैन, संदीप जैन आदि मौजूद रहे।
आनंदपुरी स्थित दिगंबर जैन मंदिर में सोलह कारण दस लक्षण धर्म रत्नत्रय की पूजाएं संपन्न हुई। श्रावकों ने इंद्रों के स्वरूप में 222 अर्घ्य भक्तिभाव से अर्पित किए। विधानाचार्य स्वप्निल शास्त्री ने कहा कि मेरा मेरी आत्मा के सिवाय कुछ भी नहीं है, यह भाव ही आकिंचन है। प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि अनंत चौदस को तीरगरान दिगंबर जैन मंदिर से वार्षिक रथयात्रा निकलेगी। अनिल जैन, संभव जैन, अचल, रचित, प्रदीप, मनीष, शोभित, मौलिक आदि मौजूद रहे।
असौड़ा हाउस दिगंबर जैन मंदिर में मुनि जिनानंद महाराज ने कहा कि अकिंचन्य से तात्पर्य है कि हम किन किन चीजों को अपना मानते हैं। इस धर्म की आराधना का अर्थ यह है कि हम यह जानें कि क्या वास्तव में हमारा है। हम जो व्यर्थ का बटोर रहे हैं, क्या वह हमारे साथ जाएगा। अकिंचन्य धर्म हमें जीवन की सच्चाई का आभास करता है। पंडित अजित शास्त्री ने नित्य पूजन और नवग्रह विधान कराया।
शांतिधारा का सौभाग्य राकेश जैन, रचित जैन, श्रेयांस जैन, प्रिंस जैन को मिला। शाम को सोनिया जैन ने एक शाम शहीदों के नाम नाटिका का प्रस्तुतीकरण किया। सुभाष, रमेश, अनिल, विपिन, मयंक, अतुल, जेके जैन, शशि जैन आदि मौजूद रहे।