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Famous Temples In Bijnor: आस्‍था का बड़ा केंद्र है बिजनौर में स्‍थित 430 वर्ष पुराना झारखंडी शिव मंदिर, दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

Famous Temples In Bijnor बिजनौर में चांदपुर में झारखंडी शिव मंदिर की भी काफी मान्‍यता है। बताते हैं कि मंदिर का 430 वर्ष पुराना इतिहास है। बुजुर्ग बताते हैं कि जिस स्थान पर मंदिर है। उस स्थान पर झाडियां हुआ करती थीं। यहां बहुत भक्‍त आते हैं।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 08:30 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 08:30 AM (IST)
Famous Temples In Bijnor: आस्‍था का बड़ा केंद्र है बिजनौर में स्‍थित 430 वर्ष पुराना झारखंडी शिव मंदिर, दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
Jharkhandi Shiva temple Bijnor सावन के महीने के झारखंडी शिव मंदिर में बड़ी संख्‍या में भक्‍त आते हैं।

बिजनौर, जागरण संवाददाता। Famous Temples In Bijnor बिजनौर जिले के चांदपुर में समीपवर्ती गांव स्याऊ स्थित झारखंडी शिव मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। मंदिर अपने आकर्षण के लिए भी जाना जाता है। यहां वर्षों पुराना शिवलिंग है। जिसकी बहुत मान्यता है और दूर-दराज से लोग यहां पूजा अर्चना कर दूध चढ़ाने पहुंचते हैं। यही नहीं विधि विधान के साथ यहां पूजा अर्चना होती है। सावन माह में लोग यहां बहुत दूर-दूर से जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ भोर से ही मंदिर में उमड़ती है। विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से जो श्रद्धालु मन्नतें मांगता है, वह अश्वय पूरी होती है। सावन हो या फिर अन्य माह हर सोमवार को यहां विशेष आस्था देखने को मिलती है।

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यह है मंदिर का इतिहास

बाबा झारखंडी का मंदिर चांदपुर से नगर से करीब पांच किलोमीटर दूरी गांव स्याऊ से छाछरी मार्ग पर स्थित है। बताते हैं कि मंदिर का 430 वर्ष पुराना इतिहास है। बुजुर्ग बताते हैं कि जिस स्थान पर मंदिर है। उस स्थान पर झाडियां हुआ करती थीं। ग्वाला जब गाय चराने आता था तब एक या दो गाय अलग होकर उक्त स्थल पर अपना दूध चढ़ाती थीं। लोगों ने वहां देखा तो शिवलिंग जैसा कुछ निकला। लोगों ने इसे पत्थर समझा तो वहां की खुदाई कराई गई, लेकिन शिवलिंग की गहराई का पता नहीं लगा। उसके बाद से ही यहां मंदिर का निर्माण हो गया। बताते हैं कि खुदाई के समय शिवलिंग पर फावड़ा लगने पर उसमें रक्तस्त्राव भी हुआ। उसके बाद से ही इसकी महत्ता और प्रसिद्धि और बढ़ गई। वहीं, बाद में लगातार मंदिर परिसर का विस्तार होता चला गया। उधर, मंदिर का पता लगने के बाद गांव को शिव आऊ कहा जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम स्याऊ रखा गया। यह मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का केंद्र है। साथ ही लोग मंदिर को वरदान भी मानते हैं। मान्यता यह भी है कि उनकी सभी मनोकामना भी पूर्ण होती हैं।

तालाब के बीच बनी प्रतिमा से बढ़ता है आकर्षण

मंदिर की विशेषता यह है कि यह काफी क्षेत्रफेल में फैला हुआ है। मंदिर परिसर में ही बड़ा तालाब है। जिसमें सावन माह के आसपास कमल के फूल खिले रहते हैं। विशेषकर सावन माह में जिस समय कमल खिलते हैं। उस समय यहां का नजारा कुछ और ही नजर आता है। साथ ही तालाब के बीच भगवान विष्णु और लक्ष्मी की प्रतिमा बनी है। जिस पर शेषनाग पर भी लिपटा हुए नजर आता है। यह भी प्रतिमा के रूप में है। यह प्रतिमा मंदिर के आकर्षण को और अधिक बढ़ाती है। हर सोमवार के अलावा सावन के अवसर पर यहां सुबह शाम श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

मछलियां और कछुओं की भरमार

मंदिर परिसर में स्थित तालाब में मछलियां और कछुए आदि भी बहुतायत में है। जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। लोग यहां पहुंचकर मछलियों और कछुओं को आटा व अन्य सामग्री खिलाते हैं। बुधवार को मछलियों को आटा या अन्य चीज खिलाना लोग शुभ मानते हैं तो इस दिन भी भीड़ रहती है। शिवरात्रि पर यहां भंडारे और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

श्रद्धालुओं का लगा रहता है तांता

पुजारी अशोक गिरी का कहना है कि भगवान शिव सर्वोपरि हैं। झारखंडी मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं। यहां आधी रात को भी लोग उनकी पूजा करने पहुंचते हैं। सुबह और शाम के समय गांव व शहर के लोग पूजा करने पहुंचते हैं और घंटों यहां रहते हैं। जिससे उनका मन और चित्त शांत रह सके। लाेगाें की सेवा भाव भी खूब है। तन मन से लोग यहां सेवा करते रहते हैं। समय-समय पर यहां पर भंडारे का आयोजन होता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सावन की शिवरात्र में सामाजिक संस्थाएं यहां शिविर लगाकर लोगों की सेवा करते हैं।

श्रद्धा के साथ करते हैं साफ सफाई

मंदिर आने पर अलग की अनुभूति प्राप्त होती है। यहां का माहौल बहुत शांत है। पूजा अर्चना करने के साथ-साथ यहां लोग घंटों ध्यान लगाकर बैठते हैं। समय मिलने पर लोग स्वत: ही यहां की साफ सफाई भी करते हैं। सेवक व श्रद्धालु राय बहादुर आर्य ने बताया कि वह स्वयं यहां आकर साफ-सफाई करते हैं। मन और चित को यहां बहुत शांति मिलती है। झारखंडी शिव मंदिर की समिति के साथ वह यहां की व्यवस्था संभालने में लगे रहते हैं। सावन व शिवरात्रि के अवसर पर यहां का माहौल देखते ही बनता है। लंबी-लंबी लाइनों के साथ शिव शंकर के जय घोषों से मंदिर गुंजायमान हो जाता है। शिवरात्रि पर आधी रात से लेकर अगले दिन शाम तक श्रद्धालुओं की लाइन लगी रहती है। यहां पर होने वाला कीर्तन आदि भी बहुत प्रसिद्ध है। 


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