Fake NCERT Books In Meerut: करोड़ों की कागज खरीद पर देना होगा तीन साल का सीजीएसटी
मेरठ में फर्जी किताब प्रकरण संजीव गुप्ता और सचिन को नोटिस भेज रहा है सीजीएसटी। 2017 से अब तक कागज की खरीदारी का मांगा गया ब्योरा।
मेरठ, [सुशील कुमार]। करोड़ों रुपये कीमत के अवैध किताब प्रकरण में हर एजेंसी ने नकेल कसनी शुरू कर दी है। एनसीईआरटी किताबों की छपाई में प्रयोग हुए कागज पर केंद्रीय वस्तु एवं उत्पाद कर (सीजीएसटी) की भी पड़ताल की जा रही है। माना जा रहा है कि किताबों की छपाई में प्रयोग हुए कागज पर कर नहीं दिया गया है। ऐसे में जुलाई 2017 से लेकर 2020 तक खरीदे गए कागज का ब्योरा मांगा गया है। यदि उस पर सीजीएसटी नहीं दिया गया है तो फर्म से वसूला जाएगा। प्रथम दृष्ट्या हर वर्ष 30 से 40 करोड़ के कागज की खपत का अनुमान है। जितनी भी राशि का कागज चार वर्ष में खरीदा गया होगा, उस पर 12 फीसद जीएसटी देना होगा।
21 अगस्त को पुलिस ने छापा मारकर परतापुर और गजरौला से लगभग 60 करोड़ रुपये कीमत की किताबें और मशीनें जब्त की थीं। अधिकांश किताबें एनसीईआरटी की अवैध रूप से प्रकाशित की जा रही थीं। इस कांड के मुख्य आरोपित भाजपा नेता संजीव गुप्ता और भतीजा सचिन गुप्ता हैं।
मामला सामने आने के बाद इसी बीच सीजीएसटी, एनसीईआरटी, आयकर विभाग, एमडीए समेत कई विभागों ने जांच शुरू कर दी। सीजीएसटी की जांच में आया है कि टीएनएचके फर्म की मालिक अनीता गुप्ता हैं, जिनके गोदाम से करोड़ों की किताबें मिलीं। साथ ही मोहकमपुर में मेरठ सिक्योरिटी प्रिंटर्स के नाम से संजीव गुप्ता की प्रिंङ्क्षटग प्रेस है।
करोड़ों का धंधा, साल की कमाई नौ लाख
गोदामों में करोड़ों का स्टॉक रखने वाली फर्म के संचालकों की आय एक साल में मात्र नौ लाख रुपये दिखाई जा रही थी। दो जगहों से 60 करोड़ की किताबें व अन्य सामान मिलने के बाद आयकर विभाग भी सक्रिय हो गया है। उन्होंने भी एक साल की आय का ब्योरा मांगा है। इधर, सचिन गुप्ता का कहना है कि उनकी आय चार साल पहले नौ लाख थी, जो अब बढ़कर 15 लाख हो गई है। उनका प्रिंङ्क्षटग का नहीं, ट्रेङ्क्षडग का काम है। कई प्रकाशनों से खरीद-बिक्री करते हैं।
इनका कहना है...
सीजीएसटी विभाग का काम किताबों की छपाई के लिए आए कागज पर सीजीएसटी की जानकारी करना है। अगर फर्म की तरफ से कागज पर सीजीएसटी नहीं दिया गया तो उन्हें नोटिस भेजकर एक जुलाई 2017 से 2020 तक सीजीएसटी वसूला जाएगा।
- ओपी वर्मा, ज्वाइंट कमिश्नर, केंद्रीय वस्तु एवं उत्पाद कर विभाग