श्रद्धा ही है आनंद का मूल स्रोत : भाव भूषण
मेरठ, जेएनएन। हस्तिनापुर के दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर के त्रिमूर्ति जिनालय में चल रहे शांतिनाथ विधान के 17वें दिन भगवान का अभिषेक व शांतिधारा की गई। गुरुवार को विधान में 170 परिवारों ने भाग लिया।
विधान के मध्य धर्म सभा में मुनि भाव भूषण महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि श्रद्धा ही आनंद का मूल स्रोत है। दान और पूजन श्रावकों का मुख्य धर्म है। दान देने से भोग भूमि का बंध होता है। जितना विश्वास रोटी पर है कि इसके खाने से पेट भरेगा, इतना विश्वास भी संसारी प्राणी कर ले कि परमात्मा की पूजा अर्चना से संसार कटेगा, तो भगवान बनने में देर नहीं। महामंत्र की महिमा अचिंत्य है। मंत्र, जाप, मन शुद्धि का महान स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि जब वस्तु स्वतंत्रता का ज्ञान प्राणी प्राप्त करता है, तो यह सर्वभय से मुक्त हो जाता है। विधान की सभी मांगलिक क्रियाएं विधानाचार्य आशीष जैन शास्त्री ने संपन्न कराई। सांय के समय भगवान की महाआरती की गई व रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। विधान में अध्यक्ष जीवेंद्र जैन‚, महामंत्री मुकेश जैन,‚ कोषाध्यक्ष राजेंद्र जैन,‚ महाप्रबंधक मुकेश कुमार जैन,‚ अशोक कुमार जैन व‚ उमेश जैन आदि रहे।