शिवालिक वन्य क्षेत्र में मिला अतिदुर्लभ प्रजाति, जाने क्या है ये अलबीनो सांभर
शिवालिक वन्य क्षेत्र में तेंदुओं की दस्तक बढऩे के बाद अब यहां अतिदुर्लभ अलबीनो वन्य शिवालिक एलीफेंट रिजर्व क्षेत्र में दिखाई दिया है। इसकी पहचान अलबीनो सांभर के रूप में की गई है।
सहारनपुर, जेएनएन। शिवालिक वन्य क्षेत्र में तेंदुओं की दस्तक बढऩे के बाद अब यहां अतिदुर्लभ अलबीनो वन्य शिवालिक एलीफेंट रिजर्व क्षेत्र में दिखाई दिया है। इसकी पहचान अलबीनो सांभर के रूप में की गई है। अलबीनो वन्य जीवों की प्रजाति है, जिसमें वन्य जीव पूरा सफेद या काला हो जाता है। अलबीनो सांभर को डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कैमरे में कैद किया गया है। टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए रिसर्च और मॉनिटरिंग की जा रही है। इस दौरान जगह-जगह कैमरे भी लगाए गए है। अधिकारी निरीक्षण भी कर रहे हैं। इस दौरान बहुत ही अनोखी चीजें जानने और देखने को मिल रही हैं। हालाकि टाइगर रिजर्व के लिए शासन को भेजे गए प्रस्ताव में भी अलबीनो सांभर का जिक्र किया गया है।
पच्चास लाख वर्ष पूराना हाथी का जिवास्म भी मिला था
सहारनपुर वन वृत्त के शिवालिक वन क्षेत्र को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद चल रही है। डबल्यूडबल्यूएफ की मॉनिटरिंग में यहां तेंदुओं की आवाजाही पाई गई है। हाल ही में पचास लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म भी मिला। इसके आधार पर इस वन क्षेत्र को चौथा टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। सहारनपुर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक वीके जैन ने बताया कि सहारनपुर कमिश्नर संजय कुमार व उन्होंने प्रमुख सचिव वन को प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर भेजी है। यहां लगाए गए कैमरे में अलबीनो सांभर की मौजूदगी पता चली है।
अति दुलर्भ प्रजाति है अलबीनो सांभर
डब्ल्यूआइआइ के कैमरे में शिवालिक के संसारा बीट के शाकुंभरी रेंज में यह अलबीनो दुर्लभ सांभर मिला है। इसे अति दुर्लभ वन्यजीव की श्रेणी में रखा जाता है। उन्होंने बताया कि करीब तीन सौ से अधिक कैमरे लगाकर शिवालिक के जंगलों में वन्य जीवों की आवाजाही और मौजूदगी का पता लगाया गया। कैमरे में सफेद रंग का वन्य जीव दिखा, इसकी पहचान अलबीनो सांभर के रूप में वन विशेषज्ञों ने की।