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पवन जल्लाद को सुरक्षा देने की कवायद शुरू

निर्भया कांड के गुनहगारों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद का नाम उजागर होने के बाद सरकार उसकी सुरक्षा को लेकर चितिंत हो गई है। शासन स्तर से उसकी सुरक्षा की कवायद शुरू हो गई है। जेल प्रशासन को फाइल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली से बुलावा आने के बाद उसे पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 07:00 AM (IST)
पवन जल्लाद को सुरक्षा देने की कवायद शुरू
पवन जल्लाद को सुरक्षा देने की कवायद शुरू

मेरठ, जेएनएन। निर्भया कांड के गुनहगारों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद का नाम उजागर होने के बाद सरकार उसकी सुरक्षा को लेकर चितिंत हो गई है। शासन स्तर से उसकी सुरक्षा की कवायद शुरू हो गई है। जेल प्रशासन को फाइल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली से बुलावा आने के बाद उसे पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।

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दिल्ली में निर्भया कांड के गुनहगारों को फांसी देने के लिए डीजीपी जेल आनंद कुमार ने दिल्ली सरकार को जल्लाद मुहैया कराने का भरोसा दिया है। डीजीपी आनंद कुमार ने बताया, पवन जल्लाद ने खुद ही मीडिया के सामने फांसी देने के लिए तैयार रहने की बात कही है। इसके चलते उसकी सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन को कहा गया है। दिल्ली से फांसी देने का बुलावा आने के बाद उसे सुरक्षा में रखा जाएगा। फिलहाल दिल्ली से जल्लाद का बुलावा नहीं आया है।

निर्भया कांड के चार गुनहगारों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद के शहर से बाहर जाने पर भी रोक लगा दी है। बता दें कि निठारी कांड के आरोपित सुरेंद्र कोली को फांसी देने के लिए भी पवन जल्लाद का जेल में ट्रायल हुआ था। वरिष्ठ जेल अधीक्षक बीडी पांडेय के मुताबिक, पवन को फांसी देने के लिए तैयार रहने को कहा है। कुछ कागजात पर हस्ताक्षर भी कराए। फिलहाल पवन के शहर से बाहर जाने पर रोक लगा दी है।

कई फासी में कर चुके मदद

पवन का कहना है कि उन्होंने भले ही किसी को फांसी के फंदे पर नहीं झुलाया लेकिन दादा के साथ फांसी की पांच प्रक्रियाओं में मदद जरूर की। इसमें रस्सी की मजबूती देखना, तख्त को ठीक करना, लीवर चेक करना आदि काम शामिल थे। पवन ने अपने दादा कल्लू और पिता मम्मू सिंह की मदद करने के दौरान पांच फासी देखीं। पवन के दादा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को भी फंदे पर लटकाया था। दादा के निधन के बाद पिता मम्मू सिंह ने जल्लाद का काम शुरू किया था। मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को पुणे की जेल में फासी देने के लिए मम्मू सिंह को ही मुकर्रर किया गया था, लेकिन इसी दौरान मम्मू का निधन हो गया। इसके चलते बाबू जल्लाद ने फांसी दी थी। पवन का दावा है कि उनके परदादा लक्ष्मण सिंह ने अंग्रेजों के जमाने में लाहौर जेल में भी फासी दी थी। बताते हैं, जब लक्ष्मण सिंह ने अपने बेटे कल्लू को जल्लाद बनाने के लिए मेरठ जेल में पेश किया तो उनके बड़े बेटे जगदीश ने विरोध भी किया था।


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