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र साल लखनऊ जाता है नाला ढकने का प्रस्ताव, वह सुनते नहीं हममें दम नहीं

शहर के नालों को ढकने के लिए शासन को कार्ययोजना हर साल लखनऊ भेजी जा रही है लेकि

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 07:20 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 07:20 AM (IST)
र साल लखनऊ जाता है नाला ढकने का प्रस्ताव, वह सुनते नहीं हममें दम नहीं

मेरठ,जेएनएन। शहर के नालों को ढकने के लिए शासन को कार्ययोजना हर साल लखनऊ भेजी जा रही है लेकिन फायदा कुछ नहीं मिला। ये नाले जलभराव से लेकर मौत का कारण बन रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों को इसकी फिक्र नहीं है। अधिकारी हों या फिर जनप्रतिनिधि, वे भी इस शहर की अव्यवस्था से आजिज हैं लेकिन इतना दम कोई नहीं दिखा पा रहा कि मेरठ के लिए कलंक बन चुकी इस समस्या से निजात के लिए शासन से महज 409 करोड़ रुपये स्वीकृत करा सके। प्रस्ताव भेजने का यह सिलसिला नया नहीं है। जिन दिनों भाजपा के महापौर हरिकात अहलूवालिया थे, तब से हर साल यहा से प्रस्ताव जा रहा है। हरिकात अहलूवालिया के समय कार्ययोजना पर खर्च दिखाया गया था 231 करोड़ रुपये। महंगाई बढ़ती गई तो संशोधित प्रस्ताव बनाया गया 409 करोड़ रुपये का। काश, ये नाले ढक गए होते तो सोमवार को दस वर्षीय बालक अर्श न इसमें डूबता, न उसकी मौत होती। इन नालों को ढकने की थी योजना

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409 करोड़ रुपये की कार्ययोजना के तहत ओडियन, आबू नाला-एक और आबू नाला-दो सहित 27 सहायक नालों को ढकने की कार्ययोजना है। तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज चौहान और तत्कालीन नगर आयुक्त डा. अरविंद चौरसिया के समय यह कार्ययोजना शासन को मंजूरी के लिए भेजी गई थी। वर्तमान महापौर सुनीता वर्मा ने 2019 में व्यक्तिगत रूप से यह कार्ययोजना राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन को भेजी लेकिन अभी तक मामला वहीं का वहीं है। अब तैयार होगा नया प्रस्ताव

409 करोड़ रुपये का जो प्रस्ताव तैयार हुआ था वह पुराना हो चुका है, 2017 में यह तैयार हुआ था। तब से अब तक कई बार प्रस्ताव शासन को भेजा गया लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। अब नई दर व नई जरूरतों के हिसाब से प्रस्ताव बनेगा। यह है असली पेच

सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिर नगर निगम खुद क्यों नहीं नाले ढक देता। उसे बार-बार शासन को प्रस्ताव क्यों भेजना पड़ रहा है। एक बार में न सही लेकिन अलग-अलग बजट में ऐसा हो सकता है। यह ठीक है कि नगर निगम के बायलाज में नाला ढकने का प्रावधान नहीं है लेकिन यदि शासन इसकी अनुमति देता है तो वह बाकायदा कैबिनेट की मुहर से स्वीकृत होकर आएगा। दूसरी बात, नगर निगम के पास न इतना धन है न ही वित्तीय अधिकार। नगर निगम का बोर्ड किसी एक कार्य के लिए अधिकतम 30 लाख रुपये तक की स्वीकृति दे सकता है। बड़े कार्य के लिए स्वीकृति शासन से ली जाती है। नाला ढकने के लिए शासन न तो धनराशि दे रहा है और न ही इस बात की स्वीकृति दे रहा है कि नगर निगम खुद के धन से नाला ढकना चाहे तो उसे अनुमति दी जाती है।


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