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हर तीसरे सैंपल में स्वाइन फ्लू का वायरस, तमाम एलोपैथिक दवाएं हो रही बेअसर

स्वाइन फ्लू का वायरस हर माहौल में खुद को ढाल चुका है। एंटीबायोटिक समेत तमाम एलोपैथिक दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 11:19 AM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 11:19 AM (IST)
हर तीसरे सैंपल में स्वाइन फ्लू का वायरस, तमाम एलोपैथिक दवाएं हो रही बेअसर

मेरठ, जेएनएन। स्वाइन फ्लू का वायरस हर माहौल में खुद को ढाल चुका है। एंटीबायोटिक समेत तमाम एलोपैथिक दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं। चिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषित हवा एवं खानपान से प्रतिरोधक क्षमता गिरी और वायरस लोड बढ़ गया।
मेरठ में संख्‍या 260 से भी ज्‍यादा
मेडिकल कालेज में शनिवार को 12 नए मरीजों के साथ संख्या 384 तक पहुंच गई। मेडिकल कालेज में जनवरी से शनिवार तक स्वाइन फ्लू की जांच के लिए 1020 सैंपल लगाए गए। इसमें 384 में वायरस की पुष्टि हो गई। अकेले मेरठ में संख्या 260 से ज्यादा पहुंच चुकी है। विभाग का दावा था कि इस बार स्वाइन फ्लू संक्रमित नहीं होगा, किंतु प्रदेश में सबसे ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। मेरठ में इस वर्ष चार मरीज एच1एन1 से जान गंवा चुके हैं। विभाग ने सर्विलांस टीम को एक्टिव करने के साथ ही टेमीफ्लू की 30 हजार टेबलेट का स्टाक जुटा लिया है।
छींकने वालों से दूर रहें..खानपान दुरुस्त रखें

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  • हल्दी, लहसुन, अदरक और विटामिन सी युक्त फल खाएं। इससे वायरस कमजोर पड़ेगा।
  • गुनगुने दूध में हल्दी घोलकर लें। यह शरीर में सूजन घटाने के साथ संक्रमण से मुकाबला करेगा।
  • हाई प्रोटीन खाना जैसे-दही, पनीर, दाल, सोयाबीन, अंडा, व मीट खाएं। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
  • प्राणायाम से फेफड़ों में ज्यादा आक्सीजन पहुंचने से निमोनिया का खतरा कम होगा।
  • गिलोय, तुलसी, सोंठ का काढ़ा पिएं।
  • छींकने वालों से दूर रहें। किसी टेबल, दरवाजे, हैंडल या ठोस वस्तु को न छुएं।
  • अगर मरीज को हल्का बुखार, कफ, गले में खराश, बदन दर्द व डायरिया है तो जांच जरूरी नहीं। घर पर आराम करें।

संदिग्ध मरीज भी खा सकते हैं दवा
टेमीफ्लू टेबलेट 75 मिलीग्राम, 45 एवं 30 मिलीग्राम में उपलब्ध है। चिकित्सकों का कहना है कि तेज नाक बहने, लगातार खांसी और सांस फूलने जैसे लक्षणों में दवा देनी चाहिए। इससे निमोनिया बनने से पहले मरीज को बचाया जा सकता है।
इन्‍होंने कहा
स्वाइन फ्लू 90 फीसद लोगों में सामान्य लक्षण के साथ प्रकट होता है। अगर सांस तेजी से फूलने लगे तो माना जाता है कि एच1एन1 वायरस का तेज अटैक हुआ है। छाती में जकड़न, दर्द, उल्टी, बुखार व लगातार खांसी गंभीर लक्षण हैं।
-डा. राजकुमार, सीएमओ
एच1एन1 वायरस के लिए मौसम अनुकूल है। हल्के बुखार, खांसी व थकान के लक्षणों के साथ उभरने वाली बीमारी ज्यादातर लोगों में खुद ठीक हो जाती है, किंतु प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर वायरस फेफड़े तक पहुंच सकता है। लैब में अब तक 384 मरीजों में पुष्टि हो चुकी है।
-डा. अमित गर्ग, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलोजी विभाग, मेडिकल कालेज


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