नेताजी के जीवन से हर पीढ़ी होती है रोमांचित
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जीवन और उनका पूरा व्यक्तित्व हर पीढ़ी को रोमांचित करता है।
मेरठ, जेएनएन। नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जीवन और उनका पूरा व्यक्तित्व हर पीढ़ी को रोमांचित करता है। आजादी की लड़ाई जिस तरह से उन्होंने लड़ी, उसे पूरा विश्व याद करता है। नेताजी की जयंती पर गुरुवार को चौ. चरणसिंह विश्वविद्यालय में विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व के हर पहलू पर चर्चा की।
इतिहास विभाग में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता जेके अग्रवाल ने कहा कि नेताजी का मुरीद पूरा जापान था। उनके प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके कहने पर दो लाख लोग अंग्रेजी फौज की नौकरी छोड़ आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए थे। हिटलर उनकी बात का लोहा मानता था। डा. सुमंगल प्रकाश ने कहा कि महात्मा गाधी और नेताजी के बीच मतभेद था। ऐसा कहा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं था। दोनों का उददेश्य आजादी था। उनके तरीके बस अलग थे।
अजय मित्तल ने कहा कि 1939 में जब नेताजी ने काग्रेस छोड़ी तो उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी का मार्ग अपनाना होगा। उन्होंने अंग्रेजों को छह महीने का अल्टीमेटम देते हुए भारत छोड़ने के लिए कहा था। काग्रेस के नेताओं से मतभेद रहते थे। उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया। स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंद घोष और राजगोपालाचार्य का नेताजी पर विशेष प्रभाव था। अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो.एनके तनेजा ने कहा कि शोध का कार्य केवल शिक्षक और छात्र ही नहीं करते बल्कि और भी लोग करते हैं। हम लोगों को जो इतिहास पढ़ाया जाता है, उसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके आजाद हिंद फौज को विशेष स्थान नहीं मिला। उन्होंने देश के लिए कितना त्याग और बलिदान दिया। उनकी प्रेरणा से ब्रिटिश फौज की नौकरी छोड़कर दो लाख लोग आजाद हिद फौज में शामिल हुए। इन विषय पर आज भी शोध किया जा सकता है। प्रतिकुलपति वाई विमला ने भी संबोधित किया। संचालन डा. शुचि गुप्ता ने किया। रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा, चीफ प्राक्टर प्रो. बीरपाल, प्रो. पीके मिश्रा, प्रो. अजय विजय कौर, प्रो. विध्नेश कुमार त्यागी, प्रो. आराधना गुप्ता, डा. जीनत जैदी, डा. अलका तिवारी, डा. विवेक कुमार त्यागी, डा. पूर्णिमा वशिष्ठ, डा. सुशील शर्मा, डा. धनपाल, डा. पवन कुमार, डा. महीपाल, डा. योगेश, डा. विकास राठी, अपेक्षा चौधरी, अंजलि मित्तल, विकास आदि मौजूद रहे।