कारगिल शहीदों को गढ़वाल ने दी सलामी
मेरठ। भारतीय सेना के गढ़वाल रेजिमेंट की 18वीं बटालियन ने शुक्रवार को 20वां द्रास-डे मनाया।
मेरठ। भारतीय सेना के गढ़वाल रेजिमेंट की 18वीं बटालियन ने शुक्रवार को 20वां द्रास-डे मनाया। कारगिल युद्ध के 19 वर्ष पूर्ण होने पर बटालियन के अफसर व जवानों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके बलिदान को याद किया। 29 जून 1999 को ही बटालियन ने द्रास सेक्टर की तीन चोटियों को पाकिस्तानी घुसपैठियों से आजाद कराया था। उस युद्ध में दिल दहला देने वाली परिस्थितियों में अजेय गाथा लिखने वाली बटालियन के कमान अधिकारी कर्नल प्रणव प्रसून की अगुवाई में शहीद बेदी पर पुष्पगुच्छ चढ़ाकर शहीदों को सलामी दी गई।
याद किए युद्ध के पल
बटालियन के अफसर व जवानों के परिजनों ने दिन की शुरुआत श्री बद्री विशाल के मंदिर में पूजा-अर्चना की और जवानों के साथ ही उनके परिवार को भी हर परिस्थिति में मजबूती से खड़े रहने की हिम्मत मिले, इसकी प्रार्थना की। सैन्य परंपरा के तहत श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद विशेष सैनिक सम्मेलन में कमान अधिकारी ने अफसरों व जवानों को संदेश दिया और अपने प्रदर्शन को लगातार सर्वोत्तम बनाए रखने और देश सेवा में जुटे रहने के लिए प्रेरित किया। शाम को आयोजित बड़ा खाना में पूरा बटालियन शामिल हुआ।
गठन के बाद हर ऑपरेशन में शामिल
15 फरवरी 1985 में गठन के बाद से इस बटालियन ने सभी महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। साल 2000 में बटालियन ने स्थापना दिवस कर रजत जयंती समारोह में शामिल हुई थी। इससे पूर्व बटालियन ने अब्टूबर 1987 से दिसंबर 1989 तक श्रीलंका के ऑपरेशन पवन में शामिल थी। इसके बाद नवंबर 1991 से अप्रैल 1992 तक पंजाब के ऑपरेशन रक्षक में, मार्च 1993 से अगस्त 1993 तक सियाचिन के ऑपरेशन मेघदूत में, दिसंबर 1997 से दिसंबर 1999 तक जम्मू-कश्रीर के ऑपरेशन रक्षक में, मई-जुलाई 1999 तक कारगिल के ऑपरेशन विजय में, जुलाई 2003 से जुलाई 2005 तक तवांग के ऑपरेशन फाल्कन में और जुलाई 2005 से अगस्त 2006 तक मणिपुर के ऑपरेशन हिफाजत में अभूतपूर्व योगदान दिया।