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दो साल के बेटे से पांच माह से दूर हैं डॉ. दंपती, लिपटने को तड़पता है बेटा पर दिल पर पत्‍थर रख कह देते हैं बाय-बाय

Meerut Coronavirus Warriors पांच मार्च से अपने आवास नहीं जा सके डॉ. संकेत व डॉ. श्वेता। कोरोना संक्रमण में इलाज को मान लिया राष्ट्रसेवा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 08:43 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 08:43 PM (IST)
दो साल के बेटे से पांच माह से दूर हैं डॉ. दंपती, लिपटने को तड़पता है बेटा पर दिल पर पत्‍थर रख कह देते हैं बाय-बाय
दो साल के बेटे से पांच माह से दूर हैं डॉ. दंपती, लिपटने को तड़पता है बेटा पर दिल पर पत्‍थर रख कह देते हैं बाय-बाय

मेरठ, जेएनएन। हमारा दो साल का बेटा पांच माह से गोद में नहीं बैठ सका। वो मेरे पिताजी के साथ कार में आता है और हम दूर से थोड़ी बात कर लेते हैं। वो हमसे लिपटने के लिए तड़पता है। रोता है...और हम दिल पर पत्थर रखकर उसे बॉय-बॉय कर देते हैं। आखिर हम दोनों के बीच कोरोना संक्रमण की दीवार जो खड़ी है। ये अल्फाज लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर दंपती डॉ. संकेत त्यागी और डॉ. श्वेता महेश्वरी के हैं, जो पांच मार्च से कोविड की ड्यूटी की वजह से घर नहीं जा सके।

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कर्नल पिता से मिली संघर्ष की प्रेरणा

बाल रोग विभाग के सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर संकेत त्यागी ने तीन से 16 अगस्त तक कोविड वार्ड के आइसीयू में ड्यूटी की। उन्हेंं विपरीत परिस्थितियों में मानसिक रूप से मजबूत रहने की सीख रिटायर्ड कर्नल पिता से मिली। जब भी डॉ. संकेत घर के लिए भावुक हुए उनके पिता ने संभाला और इसे सैनिकों की तरह राष्ट्रसेवा जैसी ड्यूटी कहा। डॉ. संकेत ने आइसीयू में रेमिडिसिवीर दवा शुरू करने से लेकर पेट के बल लिटाकर वेंटिलेटर लगाने जैसे कई प्रयोगों में योगदान दिया। डेथ रेट में भी गिरावट आई। डॉ. संकेत बताते हैं कि वो पांच मार्च के बाद से माता-पिता से मिलने शीलकुंज स्थित आवास पर नहीं जा सके। दो साल के बच्चे से वीडियोकॉल पर बात होती है। माता-पिता उसे कैंपस में ले आते हैं, जहां उससे दूर रहने की मजबूरी भावुक कर देती है।

...प्रसव के मामलों में जांच का वक्त नहीं मिलता

दंपती डॉ. संकेत और डॉ. श्वेता फ्लू ओपीडी से लेकर महिलाओं के प्रसव व नवजातों के इलाज से जुड़े हैं। प्रसव को इमरजेंसी केस माना जाता है, जिसमें मरीज की 24 घंटे बाद मिलने वाली कोविड रिपोर्ट का इंतजार करने का वक्त नहीं होता है। कई बार ऐसा भी हो चुका है जब ऑपरेशन के बाद महिला पॉजिटिव मिल जाती है। ऐसे में संक्रमित मरीजों के आसपास रहने की वजह से दंपती दो साल के बेटे और माता-पिता से दूर है। डॉ. श्वेता ने एक से 14 मई तक कोरोना वार्ड में भी ड्यूटी की है, और अब तक 60 से ज्यादा सिजेरियन केस हो चुके हैं, जिसमें कई में डॉ. श्वेता शामिल रही हैं। दोनों कैंपस में ही आवास में रहते हैं। 


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