नगर निगम पीपीपी मॉडल पर करें बड़े काम
नगर निकाय यदि सक्रियता दिखाएं तो उनकी आय दोगुनी से ज्यादा हो सकती है। यह बात नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गठित उप्र पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आइएएस राकेश गर्ग ने कही।
मेरठ, जेएनएन। नगर निकाय यदि सक्रियता दिखाएं तो उनकी आय दोगुनी से ज्यादा हो सकती है। यह बात नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गठित उप्र पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आइएएस राकेश गर्ग ने कही। उन्होंने कहा कि मेरठ नगर निगम भी सालाना 100 करोड़ से ज्यादा कमा सकता है। निगम बड़े-बडे़ विकास व अन्य कार्य पीपीपी मॉडल पर करें। शहर में स्वच्छता कर लगाया जा सकता है। साथ ही मॉल में स्थित सिनेमा की प्रति स्क्रीन प्रति शो पर 200 रुपये शो टैक्स लगाने की नियमावली तैयार करके उसे शासन से स्वीकृत करा लिया जाए। इससे निगम की आय पर खासा असर पड़ेगा। ये सभी सिफारिशें विकास बोर्ड अध्यक्ष ने शनिवार को कमिश्नरी सभागार में आयोजित मंडलीय कार्यशाला में मंडल के नगर निगमों, नगर पालिका और नगर पंचायतों के अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान की।
उन्होंने कहा कि नगर निकायों को अपने निर्णय लेने का अधिकार है। शहरी क्षेत्रों में आबादी के साथ जनता की जरूरतें और निकायों से अपेक्षाएं बढ़ती जा रही हैं। इसके लिए आवश्यक है कि निकाय स्वावलंबी हों। हाउस टैक्स आय का सबसे बड़ा स्त्रोत है। भवनों पर सही कर का निर्धारण, स्वकर नीति से कर की गणना और शत प्रतिशत वसूली से हाउस टैक्स की आय दोगुनी से ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि 42 छोटे नगर निकाय संपत्ति कर नहीं लेते थे। आयोग की सिफारिश के बाद 39 ने इसकी वसूली शुरू कर दी। वर्ष 1901 से 2011 तक नगरीय जनसंख्या में 8 गुना की वृद्धि हुई है।
कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने कार्यशाला में कहा कि नगर निकायों की मजबूती उनकी वित्तीय स्थिति से ही आंकी जाती है। लिहाजा, निकायों को खर्च के साथ अपनी आय को लेकर भी सजग होना होगा। इस दौरान निदेशक स्थानीय निकाय शंकर सिंह, नगर आयुक्त अरविंद चौरसिया, अपर नगर आयुक्त श्रृद्धा शांडिलयान के साथ गाजियाबाद नगर निगम और मंडल के अन्य निकायों के अधिकारी मौजूद रहे।
कर निर्धारण अधिकारियों का होगा प्रशिक्षण
गर्ग ने बताया कि हाउस टैक्स के सही निर्धारण व अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए नगर निगमों के कर निर्धारण अधिकारियों के विशेष प्रशिक्षण की योजना भी बनाई जा रही है।