Expressway: गति की अधिक अधिक से छूट का नाम एक्सप्रेस-वे, हाईवे के साथ इसके अंतर को ऐसे समझिए
कुछ लोग हाईवे और एक्सप्रेस-वे का अंतर भी जानने को उत्सुक हैं। हाईवे और एक्सप्रेस-वे में पहला अंतर है गति की अधिकतम सीमा की। खबर में इसी के संबंध में और अधिक जानिए।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ में छह हाईवे और दो एक्सप्रेस-वे का जाल बन रहा है। इससे वाहनों की रफ्तार तो बढ़ेगी ही, गंतव्य तक पहुंचने में समय भी कम लगेगा। जाम का काम तमाम हो जाएगा। कुछ लोग हाईवे और एक्सप्रेस-वे का अंतर भी जानने को उत्सुक हैं। हाईवे और एक्सप्रेस-वे में पहला अंतर है गति की अधिकतम सीमा की। हाईवे यानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़े चौपहिया वाहनों की अधिकतम गति की सीमा 100 किमी प्रति घंटा है। छोटे वाहनों व दोपहिया वाहनों की गति 80 किमी प्रति घंटा है। एक्सप्रेस-वे पर अधिकतम गति सीमा 120 किमी प्रति घंटे की होती है।
गति को रफ्तार
कुछ हाईवे पर 100 की रफ्तार से भी चलना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए गति को रफ्तार देने के लिए एक्सप्रेस-वे बनाए जाते हैं। दूसरा बड़ा अंतर है वाहनों के अनुमति की। हाईवे पर दोपहिया वाहन चलने की छूट है। एक्सप्रेस-वे पर दोपहिया वाहनों को अनुमति नहीं होती। तीसरा अंतर है सड़कों को जोडऩे का। एक्सप्रेस-वे में कोई भी सामान्य सड़क नहीं मिलाई जाती। एक्सप्रेस-वे पर कोई सड़क मिलाई जाती है तो वहीं पर टोल बूथ लगा दिया जाता है। हाईवे में लोनिवि और किसी कालोनी की सड़क का लिंक कर दिया जाता है।
क्या कहते हैं प्रोजेक्ट मैनेजर
एक्सप्रेस-वे में कट नहीं होते जबकि हाईवे में कट की संख्या काफी होती है। हाईवे पार करने के लिए फुट ओवरब्रिज तथा एक्सप्रेस-वे में अंडरपास बनाया जाता है। इसीलिए एक्सप्रेस-वे ऊंचाई पर बनाए जाते हैं। एक्सप्रेस-वे छह लेन से कम नहीं होते। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के डासना से दिल्ली तक के हिस्से पर एक्सप्रेस-वे में 14 लेन हैं। मेरठ-बुलंदशहर हाईवे चार लेन का है। मेरठ-नजीबाबाद हाईवे नवंबर से निर्माण शुरू होगा। यह भी चार लेन का बनेगा। मेरठ से डासना तक निर्माण करने वाली कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर मनोज बैरवा बताते हैं कि एक्सेस कंट्रोल यानी गति की अधिक से अधिक छूट का नाम एक्सप्रेस-वे है।