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जय हिंद : भारतीय सेना को ढिकौली ने दिए कई पैराट्रूपर Meerut News

World War 2 से अब तक ढिकौली गांव के दर्जनों अफसर और जवानों ने पैरा ब्रिगेड सहित अन्य रेजिमेंट्स को अपनी वीरता का कायल बनाया है। देश को हमेशा पर इनपर नाज रहेगा।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 10:11 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 10:11 AM (IST)
जय हिंद : भारतीय सेना को ढिकौली ने दिए कई पैराट्रूपर Meerut News
जय हिंद : भारतीय सेना को ढिकौली ने दिए कई पैराट्रूपर Meerut News
मेरठ, [अमित तिवारी]। सेना में सेवा की परंपरा को पीढिय़ों तक संजोने वाले गावों में एक बागपत रोड पर स्थित ढिकौली भी है। गांव के जमींदार कुंवर बलबीर सिंह ढाका सेना में हवलदार रहे। इस गांव के वीर अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही सेना में शामिल होकर देश सेवा कर रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध से अब तक इस गांव के दर्जनों अफसर व जवानों ने पैरा ब्रिगेड सहित अन्य रेजिमेंट्स को अपनी वीरता का कायल बनाया है। 
एक ही परिवार के 10 लोग बने अफसर
इस गांव के स्व. ले. हरबंस सिंह ढाका वर्ष 1921 में कुमाऊं रेजिमेंट का हिस्सा बने। द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा में लड़े। उनके छोटे भाई स्व. हवलदार बलबीर सिंह आजाद हिंद फौज में शामिल होकर सिंगापुर गए। वहां उन्होंने जनरल शाहनवाज की टुकड़ी में शामिल होकर ऑपरेशनों में हिस्सा लिया। आजादी के बाद वह केंद्रीय सशस्त्र बल का हिस्सा रहे। ले. हरबंस सिंह के तीन बेटों ने भी फौज की रास्ता ही चुना। बड़े पुत्र ब्रिगेडियर रनवीर सिंह ढाका, ब्रिगेडियर महेंद्र सिंह ढाका और मेजर जनरल सुरेंद्र सिंह ढाका ने वर्ष 1965, 1971 और कारगिल तक सेवाएं दीं। तीसरी पीढ़ी में ब्रिगेडियर रनवीर सिंह के बड़े बेटे सुनील ढाका नौसेना में कमांडर पद पर कार्यरत रहे। छोटे बेटे कर्नल अनिल कुमार अभी सेवारत हैं। ब्रिगेडियर महेंद्र सिंह ढाका के बेटे अजीत ढाका, उनके भतीजे कर्नल अमित ढाका परिवार के 10वें सेना अफसर हैं।
सेना में जाना ही पहली प्राथमिकता
ढिकौली गांव के युवाओं के लिए सेना में जाना ही पहली प्राथमिकता रही है। बड़ों की राह पर बढऩे के इच्छुक युवाओं को प्रोत्साहन भी खूब मिला। इसी गांव के कैप्टन नाथू सिंह ने भी द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। वह आजादी के बाद तक सेना में कार्यरत रहे। कैप्टन महावीर सिंह आर्टी अफसर, कर्नल कुंवर सिंह पैराट्रूपर, कर्नल बलजोर सिंह जाट रेजिमेंट, कर्नल बीएस ढाका सहित कई लोगों ने सेना में अहम भूमिका निभाई।
वर्ष 1971 में ढाका में की लैंडिंग
कर्नल बीएस ढाका के अनुसार वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण को बाध्य कर दिया था। उस युद्ध में पैराट्रूपर्स आसमान से पैरा लैंडिंग करते हुए बांग्लादेश की धरती पर उतरे थे। उनमें ढिकौली गांव के हवलदार धर्मपाल भी थे। 

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