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ड‍िप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, शुकतीर्थ में लाई जाएगी गंगा की अविरल धारा

शुकतीर्थ पहुंचे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बहुत जल्दी शुकतीर्थ में गंगा की अविरल धारा बहती नजर आएगी। कहा कि ओमानंद जी की मांग को सरकार के सामने रखकर जल्दी ही पूरा कर दिया जाएगा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2022 02:18 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2022 02:18 PM (IST)
ड‍िप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, शुकतीर्थ में लाई जाएगी गंगा की अविरल धारा
शुकतीर्थ पहुंचे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य।

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। शुकतीर्थ पहुंचे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बहुत जल्दी शुकतीर्थ में गंगा की अविरल धारा बहती नजर आएगी। कहा कि ओमानंद जी की मांग को सरकार के सामने रखकर जल्दी ही पूरा कर दिया जाएगा।

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वीतराग स्वामी कल्याण देव की पुण्यतिथि पर शुकतीर्थ पहुंचे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आश्रम में स्वागत किया गया। बुलावे को लेकर ओमानंद महाराज का आभार प्रकट करते हुए कहा कि सामाजिक जीवन में दायित्व होने के चलते ज्‍यादा समय नहीं दे पा रहा हूं। ओमानंद महराज से बहुत कुछ अतिरिक्त मिला है। खुद को भक्त बताते हुए कहा कि आपने गंगा को लेकर जो प्रारूप दिया है, इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा।

कहा कि गंगा की धारा को नजदीक लाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के सामने समस्या को रखा जाएगा। कहा कि तीर्थ स्थानों को लेकर देश व प्रदेश की सरकार बहुत कार्य कर रही है। प्रयागराज, अयोध्या, काशी, मथुरा, वृंदावन आदि की तरह ही शुकतीर्थ का विकास किया जाएगा। समाज और सरकार मिलकर सभी तरह के काम करते है।

स्वामी कल्याणदेव के पुरुषार्थ से चमका शुकतीर्थ

मोरना : वीतराग स्वामी कल्याणदेव महाराज के विराट पुरुषार्थ, तप और त्याग की कर्म गाथा अमर हो गई है। 129 वर्ष आयु के दीर्घ जीवन में उन्होंने हर घड़ी को जनसेवा के लिए जिया। सेवाभावी संत के दर्शन और समर्पण से पौराणिक शुकतीर्थ देश के मुख्य धार्मिक तथा आध्यात्मिक केंद्रों में गरिमा से चमक रहा है।महामुनि श्री शुकदेव की तपोभूमि शुकतीर्थ में संत विभूति स्वामी कल्याणदेव 14 जुलाई, 2004 में ब्रह्मलीन हुए थे। प्रति वर्ष भागवत पीठ शुकदेव आश्रम में उनकी पुण्यतिथि श्रद्धा एवं भक्ति से मनाई जाती है। महाभारत कालीन जीर्ण-शीर्ण इस तीर्थ का कैसे वीतराग संत ने जीर्णोद्धार किया, ये अद्भुत है और अकल्पनीय भी। वर्ष 1943-44 की अवधि में प्रयागराज में कुंभ लगा था। देश के शंकराचार्य, संत-महात्माओं ने संगम तट पर गंगाजल हाथ में देकर स्वामी जी से शुकतीर्थ के जीर्णोद्धार का संकल्प लिया। निर्जन जंगल और तीर्थ में वीतराग संत पग पड़े। उन्होंने भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की राय से वृंदावन के विद्वानों से पूरे वर्ष का अखंड भागवत पाठ करा कर अपने संकल्प में आहुति दी। धीरे-धीरे ये तीर्थ भागवत के मर्मज्ञों का कथा केंद्र बन गया।


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