प्रदूषण अधिनियम के उल्लंघन पर दौराला डिस्टलरी पर 8.10 लाख का जुर्माना Meerut News
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनदेखी करना दौराना डिस्टलरी को खासा महंगा पड़ गया। प्रदूषण अधिनियम के उल्लंघन करने पर डिस्टलरी पर एक लाख अस्सी हजार का जुर्माना लगा
मेरठ, जेएनएन। Daurala distillery प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारियों के निरीक्षण में दौराला शुगर की डिस्टलरी यूनिट जल को (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। इसके बाद बोर्ड ने यूनिट पर 8.10 लाख का जुर्माना लगाते लगा दिया है। पंद्रह दिन में राशि जमा कराते हुए साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। यूनिट 6 जुलाई 2019 से एक अगस्त 2019 के बीच नॉन कंपलायंस पाई गई। 30 हजार प्रतिदिन के हिसाब से 27 दिनों की अवधि तक पर्यावरणीय अधिनियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया गया है।
क्यो न बंद कर दिया जाए उत्पादन
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। इसमे चार बिंदुओं पर में स्पष्टीकरण मांगा गया है। क्यों न बोर्ड की ओर दी गई सहमति जल को खंडित कर दिया जाए। क्यों न डिस्टलरी यूनिट की समस्त उत्पादन/संचालन प्रक्रिया बंद कर दी जाए। क्यों न यूनिट की बिजली व जलापूर्ति बंद कर दी जाए। क्यों न चिरौड़ी व मछरी के कंपोस्टिंग याडरें को प्रतिबंधित कर दिया जाए।
काली नदी व आसपास के नालों में बायोकंपोस्ट लीचेट
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने पाया कि यूनिट में औद्योगिक प्रक्रिया से जनित स्पेंटवॉश के शून्य प्रवाह निस्तारण के लिए व्यवस्था स्थापित है। बायोकंपोस्ट यार्ड में उत्प्रवाह एकत्र पाया गया। प्रदूषित उत्प्रवाह यूनिट की दीवार से रिसता दिखा। यूनिट के पास सरधना रोड पर कई स्थानों पर मैली खुले में एकत्र की गई थी। इससे बरसात में दूषित उत्प्रवाह से भू-जल प्रदूषित होना स्वाभाविक है। हाऊसकीपिंग अत्यंत खराब पाई गई। एक अगस्त को किए गए निरीक्षण में काली नदी (पूर्वी) व आस-पास के नालों में बायोकंपोस्ट लीचेट मिली। काली नदी (पूर्वी) गंगा नदी में मिलती है। चिरौड़ी व मछरी के कंपो¨स्टग यार्ड में भी नियमों का उल्लंघन पाया गया।