मौसम बदल रहा है...बीमारियां ताक में हैं, बच्चों को संभालकर रखें
बदलते मौसम और प्रदूषण के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। खासकर बच्चों जुकाम, खांसी और बुखार अधिक परेशान कर रहा है। ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है।
मेरठ (जेएनएन)। मौसम में बदलाव के साथ ही सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है। इन दिनों बच्चे वायरल फीवर की चपेट में हैं। एक साल से अधिक के बच्चों में तेज बुखार के साथ हाथ-पैर और मुंह में छाले निकल रहे हैं। इस बार यह नए लक्षण सामने आए हैं। हालांकि बुखार जानलेवा नहीं है। एक साल से छोटे बच्चों में इसके अलावा निमोनिया, कोल्ड डायरिया और दिमागी बुखार के मामले भी सामने आने शुरू हो गए हैं। नाक बंद होना। सांस लेने में परेशानी, सर्दी-जुकाम और खांसी भी बच्चों को गिरफ्त में ले रही है। वहीं, बड़ों में गले का संक्रमण और एलर्जी की समस्या बढ़ गई है।
प्रदूषण का भी असर
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मौसम के बदलाव और प्रदूषण दोनों का असर है। निमोनिया और कोल्ड वायरस से बचाव संभव है। निमो कोकल और रोटा वायरस की वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में मौजूद है। अगर बच्चों को लगातार खांसी आ रही है या फिर चिकनपॉक्स जैसी समस्या है तो उन्हें स्कूल न भेजें। इससे अन्य बच्चों में भी संक्रमण फैलने का खतरा है।
अधिक ठंड होगी फायदेमंद
अधिक ठंड में गंभीर बीमारियों के लिए जिम्मेदार कई वायरस का प्रभाव अपने आप कम हो जाएगा और मौसम सेहत के लिए फायदेमंद होगा। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। दरअसल, अधिक ठंड में हेपेटाइटिस ए का वायरस, डेंगी व चिकनगुनिया का वायरस, स्वाइन फ्लू, खसरे के वायरस लगभग निष्क्रिय हो जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह स्थिति जनवरी में बनती है।
बचाव के लिए ऐसा हो खानपान और रहन-सहन
- तापमान के अनुकूल पर्याप्त कपड़े पहनें।
- सोने की जगह पर सीलन न हो। कमरे का तापमान संतुलित रखें।
- फास्टफूड और बासी खाने से बचें।
- फ्रिज का पानी, कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम न लें। दही का सेवन भी कम करें।
- मच्छरों से बचाव को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
- प्रोटीन युक्त आहार लें।
- कबूतर, बिल्ली और कुत्तों से इस सीजन में दूरी बनाकर रखें।
प्रदूषण ने बढ़ाई तकलीफ, दमा रोगी रहें सतर्क
दीपावली के बाद वातावरण प्रदूषित हो गया है। धुंध छाई हुई है, जिससे आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, गले में संक्रमण और एलर्जी की समस्या बढ़ गई है। बदलते मौसम में दिल, ब्लड प्रेशर और दमा के रोगियों को सावधान रहने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये रोगी मार्निंग वॉक पर जाने से बचें। धूल और धुएं वाले स्थान से दूर रहें। चिकित्सकों से सलाह लेते रहें। पर्याप्त कपड़े पहने। ठंडा पानी कतई न पीएं। पौष्टिक आहार ही लें। तला-भुना अधिक न खाएं। दिन में धूप जरूर सेंकें। इससे कैल्शियम की कमी दूर होगी और विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में मिलेगी।
ये अपनाएं घरेलू नुस्खे
- तुलसी, काली मिर्च और लौंग का मिश्रित काढ़ा सुबह चाय के स्थान पर पीएं।
- बच्चों को सुबह गुनगुने पानी से नहलाएं। बुजुर्ग भी ऐसा कर सकते हैं।
- बच्चे और बड़े रात में गुनगुने दूध में हल्दी डालकर पीएं तो सर्दी-जुकाम से बचेंगे।
- गले में खराश हो तो नमक के पानी से गरारे करें। यह फार्मूला सभी के लिए लाभकारी है।
इनका कहना है
बदलता मौसम और प्रदूषण दोनों ही सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। इस दौरान हमें थोड़ी सतर्कता रखनी होती है, जो अनेक बीमारियों से बचाती है। बच्चों पर विशेष ध्यान दें। खानपान, रहन-सहन साफ-सुथरा होना चाहिए। धुंध की स्थिति में मास्क का प्रयोग जरूरी है। दमा, दिल के रोगियों को अपने साथ दवाएं रखनी चाहिए। सर्दी और सीलन से बचने की जरूरत है।
-डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य, जनरल फिजीशियन, मेडिकल कॉलेज
मौसम के बदलाव के वक्त बच्चों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। एक समय के बाद जब वातावरण का तापमान एक जैसा हो जाता है तो फिर समस्या नहीं होती है। इस समय वायरल फीवर के केस बढ़ गए हैं। हाथ-पैर में छाले पड़ रहे हैं। वायरल फीवर में यह नए लक्षण हैं। जिन बच्चों को दमा है, वे समय से इनलेहर लें। खानपान का विशेष ध्यान दें। थोड़ी सी सर्तकता से सर्दियों की बीमारियों से बचा जा सकता है।
-डॉ. उमंग अरोड़ा, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
बदलते मौसम और प्रदूषण से बचना है तो वातावरण के अनुकूल ढलना होगा। खासतौर पर छोटे बच्चों का विशेष ध्यान दें। क्योंकि वे माता-पिता पर निर्भर होते हैं। निमोनिया, कोल्ड डायरिया से बचने के लिए बच्चों को इनके टीके लगवाएं। पौष्टिक आहार दें और ठंडी चीजों से दूर रखें।
-डॉ. विकास सेठ, चाइल्ड स्पेशलिस्ट