Cyber Crime: 15 लाख की ठगी करने वाले दो साइबर ठग गिरफ्तार, बीमा कंपनी अधिकरी बनकर देते थे झांसा
Cyber crime from Muzaffarnagar बीमा कंपनियों में अधिक धन प्राप्त कराने का झांसा देकर आरोपित ठगी करते थे। नोएडा में साइबर सेल ने गिरफ्तार करके इसका राजफाश किया है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। बीमा पालिसी में अधिक धन प्राप्त कराने का लालच देकर 15 लाख रुपये ठगने वाले साइबर ठग गैंग के दो सदस्यों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया। साइबर सेल की जांच के दौरान प्रकाश में आए दोनो ठगों को नोएडा से दबोचा गया।
शाहपुर थानाक्षेत्र के गांव कुटबा निवासी अरुण कुमार पुत्र ओम सिंह ने ढाई लाख रुपये की बीमा पालिसी करा रखी थी। कुछ माह पूर्व उनसे पालिसी के कागजात खो गए। इसके बाद कुछ लोगों ने उन्हें बीमा कंपनी अधिकारी बताकर फोन किया और बीमा पालिसी से अधिक धन प्राप्त कराने का झांसा दिया। धोखाधड़ी कर विभिन्न खातों में उनसे करीब 15 लाख रुपये ट्रांसफर कराये। अरुण को धोखाधड़ी का अहसास हुआ तो उन्होंने पुलिस को जानकारी दी। 15 मार्च को थाना शाहपुर पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध धोखाधड़ी व आइटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। विवेचना क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर हो गई। साइबर सेल ने कई लोगों को रडार पर लिया।
छापा मारने पर हुए गिरफ्तार
एसएसपी अभिषेक यादव ने बताया कि आरोपितों की सही लोकेशन मिलने पर क्राइम ब्रांच ने नोएडा में एक स्थान पर छापा मारकर दो आरोपितो सुमित उर्फ रवि पुत्र सुरेन्द्र प्रताप सिंह निवासी वीरपुर दशेरा थाना अछलदा जनपद औरेया हाल निवासी न्यू अशोक नगर दिल्ली तथा सिद्धार्थ पुत्र प्रेमदास निवासी मालीवाडा थाना सिहानी गेट जनपद गाजियाबाद हाल निवासी सेक्टर 10 जनपद गौतमबुद्धनगर को गिरफ्तार कर लिया।
एक लाख नकदी, लैपटाप बरामद
क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपितों से एक लाख रुपये नकदी, चार मोबाइल फोन व 12 सिम कार्ड, एक लैपटॉप (डेल कम्पनी) तीन वॉकी फोन व विभिन्न कम्पनियों के फर्जी दस्तावेज बरामद किए।
ऐसे बनाते थे शिकार
एसएसपी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपित जस्ट डायल कम्पनी से मोबाइल नंबर प्राप्त करते थे। इसके बाद लोगों को फोन कर खुद को बीमा कम्पनी का कर्मचारी बताकर उनकी पॉलिसी डिटेल ले लेते थे। बंद पडी/सक्रिय पॉलिसी में अधिक धन प्राप्त होने का लालच देकर बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर कराते थे। उन्होंने बताया कि आरोपितों से ऐसे भी साफ्टवेयर मिले है जिनसे कॉल प्राप्त करने वाले व्यक्ति को टोल फ्री नम्बर दिखायी देता है। जिससे उसे विश्वास हो जाता है कि नम्बर किसी बीमा कम्पनी का ही है।