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Corruption In Meerut: रोडवेज लिपिक ने ऐसा किया फर्जीवाड़ा कि हक्‍के-बक्‍के रह गए अधिकारी, छानबीन के बाद हुआ खुलासा

Fraud in Meerut मेरठ में रोडवेज लिपिक ने ऐसा फर्जीवाड़ा किया कि यहां अधिकारी भी हक्‍के-बक्‍के रह गए। मामला तब खुला जब तनख्‍वाह कम मिलने की शिकायत पर छानबीन की गई। अधिकारियों ने बताया कि किरायेे को लेकर फर्जीवाड़ा हुआ है।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 05:34 PM (IST)
रोडवेज में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है।

मेरठ, जेएनएन। रोडवेज में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। किराए को लेकर ऐसा फर्जीवाड़ा कर्मचारी ने किया कि अधिकरी हक्‍के-बक्‍के रह गए। भैंसाली डिपो में किराये के रूप में वसूली गई रकम एक माह बाद रोडवेज के खजाने में जब जमा कराई गई। हैरत होने वाली बात यह है कि एक माह बाद जमा कराए गए पैसे की कोई जांच नहीं हुई। इस मामले में लिप्त कर्मचारी रकम पैसे डकार जाते, अगर परिचालक तनख्वाह कम मिलने की शिकायत अधिकारियों से न करता। शिकायत पर मामले की छानबीन की गई, तब मामला पकड़ में आया। इस तरह का मामला सामने आने के बाद उच्च अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। एआरएम के निर्देश पर मामले की जांच शुरू कर दी है।

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यह है मामला

भैंसाली डिपो में तैनात संविदा परिचालक रवि कुमार 10 दिसंबर 2020 को रोडवेज की अनुबंधित बस संख्या यूपी 87टी 1853 लेकर मेरठ बागपत रूट पर गया था। 416 किलोमीटर की दूरी तय कर 12 दिसंबर को उसने डिपो के कार्यालय में टिकटों की बिक्री के रूप में वसूले गए 16,397 रुपये संबंधित/स्पाट लिपिक को जमा करा दिए। दिसंबर की तनख्वाह जब रवि को मिली तो उसमें तीन हजार रुपये कम निकले। उसने अधिकारियों से शिकायत की। मामले की जांच की गई तो पता चला कि 10 से 12 के बीच तो वह अनुपस्थित था।

यह सुनते ही उसके होश उड़ गए। उसने उच्च अधिकारियों से शिकायत की। चूंकि रोडवेज बसों में जीपीएस लगा है, इसलिए बसों के आने-जाने का ब्यौरा रिकार्ड होता है। जब जांच हुई तो पता चला कि उस समय परिचालक द्वारा जमा कराए गए रुपयों की इंट्री रोडवेज के बनाए गए पोर्टल में नहीं हुई है। इसी कारण उस तिथि को अनुपस्थित दिखाया जा रहा है। मामला उजागर होता देख उस समय तैनात कर्मी ने रकम जमा कराई।

तोड़ दिया नियम, बैग स्पाट लिपिक की पत्नी है बस मालिक

बैग/स्पाट लिपिक के रूप में शोकेंद्र सिंह की तैनाती है। नियमानुसार कोई भी रोडवेज कर्मी अपने परिवार या रक्त संबंधी के नाम से बस रोडवेज में अनुबंधित बस के रूप में नहीं संचालित कर सकता। लेकिन शोकेंद्र की पत्नी कविता के नाम से भैंसाली डिपो में उक्त नंबर की अनुबंधित बस चल रही है। बताया जाता है कि उसकी कई बसें अनुबंध पर चल रही हैं। अधिकारियों से की गई शिकायत में रवि ने बताया कि जिस समय वह किराये की रकम जमा कराने पहुंचा, उस समय शोकेंद्र की ड्यूटी थी।

बैग/स्पाट लिपिक की जिम्मेदारी ई वे बिल पर जमा होने वाले कैश की रकम दर्ज कर परिचालक को देना है। जिसके बाद वह रकम कैशियर को जमा करता है। रवि ने बताया कि शोकेंद्र ने उससे कैश ले लिया और कहा कि वह उसे कैशियर को जमा करा देगा। लेकिन 12 दिसंबर को कैश जमा नहीं हुआ। मामला खुला, तब जाकर आठ जनवरी को कैश जमा हुआ। मामले में संचालन प्रभारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

परिचालकों को वाहन एलाटमेंट और उनके द्वारा किराये की रकम जमा कराने का लेखा-जोखा वही रखते हैं। सूत्रों के अनुसार यह मामला परिचालक की शिकायत पर पकड़ में आया। एआरएम राजेश सिंह ने बताया कि लेट डिपाजिट के मामले की जांच की जा रही है। दोषी कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 


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