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धुएं का ही दम घोट देंगे रैपिड रेल-फ्रेट कारिडोर

कार्बन उत्सर्जन व अन्य गैसों की वजह से दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों की हवा में जहर घुल रहा है। इसी चिंता के बीच सुकून भरी बात यह है कि रैपिड रेल परियोजना व डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर यातायात को तो आसान करेंगे ही हवा में घुल रही जहर की मात्रा भी कम करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 09:00 AM (IST)
धुएं का ही दम घोट देंगे रैपिड रेल-फ्रेट कारिडोर
धुएं का ही दम घोट देंगे रैपिड रेल-फ्रेट कारिडोर

मेरठ, जेएनएन। कार्बन उत्सर्जन व अन्य गैसों की वजह से दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों की हवा में जहर घुल रहा है। इसी चिंता के बीच सुकून भरी बात यह है कि रैपिड रेल परियोजना व डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर (डीएफसी) यातायात को तो आसान करेंगे ही, हवा में घुल रही जहर की मात्रा भी कम करेंगे। इन दोनों परियोजनाओं से सड़कों से वाहनों की संख्या में खासी कमी आएगी। एक सर्वे के मुताबिक वायु प्रदूषण में 40 फीसद हिस्सा वाहनों से निकलने वाले धुएं का है। रैपिड रेल संचालित होने से दिल्ली रोड से ही एक लाख वाहन कम हो जाएंगे। इन वाहनों के यात्री रैपिड रेल या मेट्रो की सेवा लेंगे। इसी तरह से डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर बन जाने पर दिल्ली-मुंबई व दिल्ली-कोलकाता सड़क मार्ग से 70 फीसद माल वाहन कम हो जाएंगे। इन मार्गो से लाने-ले जाने वाला सामान डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर से आएगा-जाएगा। पीएम 2.5 घटाएंगे ये प्रोजेक्ट

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पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटे कणह हैं। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। मनुष्य के एक बाल की चौड़ाई पर इसके 40 कण आ सकते हैं। इसलिए इसे रोकने में साधारण मास्क भी कारगर नहीं हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कणों की संख्या बढ़ती जा रही है। हवा में इसे घटाना सबसे बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के एक अध्ययन के अनुसार रैपिड रेल चलने से प्रतिवर्ष पीएम 2.5 कण 60,000 टन कम होंगे। इसके साथ ही नाइट्रोजन आक्साइड 4,75,000 टन, हाइड्रोकार्बन 8,00,000 टन और कार्बन मोनोऑक्साइड 8,00,000 टन कम होगी।

प्रदूषण में वाहन के धुएं का 40 फीसद योगदान

एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिग रिसर्च (एसएएफएआर)के शोश में यह पुष्टि हुई है कि अकेले वाहनों से निकलने वाले धुएं का वायु प्रदूषण में 40 फीसद का योगदान है। औद्योगिक क्षेत्र की इसमें भागीदारी 48 फीसद है। रैपिड रेल चलने से दिल्ली- गाजियाबाद-मेरठ रोड पर सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी 37 फीसदी से बढ़कर 63 प्रतिशत हो जाएगी। एक लाख वाहन कम हो जाएंगे। रैपिड की अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटे व औसत गति 100 किमी प्रति घंटे है। तीन घंटे वाली यात्रा महज एक घंटे में ही पूरी हो जाएगी। 40 फीसद है वाहनों के धुएं का वायु प्रदूषण में भूमिका

1,00,000 वाहन दिल्ली रोड पर हो जाएंगे कम

70 फीसद माल वाहनों को कम कर देगा यह डीएफसी

800000 टन कार्बन मोनोआक्साइड गैस घटेगी प्रति वर्ष

4,75,000 टन प्रति वर्ष कम होगी नाइट्रोजन ऑक्साइड

8,00,000 टन हाइड्रोकार्बन गैस घटेगी रैपिड रेल से

1.5 करोड़ टन कार्बन डाइआक्साइड कम होगी डीएफसी से

36 फीसद माल ही जाता है वर्तमान में मालगाड़ियों से


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