योगी के तेवर से चढ़ा ध्रुवीकरण का पारा
शामली के कैराना की चुनावी रैली में पलायन और अपराध पर मुख्यमंत्री योगी की दो टूक, कांवड़ मसले पर फेंका धार्मिक कार्ड। मंच पर नजर आई चौ. चरण ¨सह और डॉ. आंबेडकर की फोटो, दीनदयाल व अटल नदारद।
मेरठ। (संतोष शुक्ल) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब माइक संभालते हैं तो सियासत नए रंग में ढलने लगती है। शामली के कैराना की चुनावी रैली में उनका यही अंदाज पार्टी के लिए आक्सीजन का झोंका बन सकता है। चिलचिलाती धूप में जहां आवाम पसीना-पसीना है, वहीं सीएम योगी ने हिन्दुत्व के एजेंडे को धार देते हुए सियासत का पारा चढ़ा दिया। उनका संदेश शीशे की तरह साफ है, जो सियासी पंडितों को 2019 तक पहुंचता नजर आ रहा है। मिजाज के मुताबिक..
योगी आदित्यनाथ वेस्ट उप्र की सियासी तासीर से पूरी तरह वाकिफ हैं। 40 मिनट के संबोधन में सीएम योगी ने ध्रुवीकरण का अंतिम गियर लगा दिया। मुजफ्फरनगर दंगा 2014 और 2017 समेत अन्य चुनावों में मुद्दा बनता रहा है। योगी जानते हैं कि गोरखपुर एवं फूलपुर उपचुनावों से इतर कैराना का समीकरण दूसरा है। उन्होंने कवाल कांड में मारे गए गौरव और सचिन के बहाने पश्चिमी उप्र की आबोहवा में छुपी ¨चगारी को छेड़ दिया। उन्हें अंदाजा है कि इस दांव से न सिर्फ जाट-मुस्लिम समीकरण को भेदा जा सकता है, बल्कि 2019 लोकसभा चुनावों की भी नींव रखी जा सकती है। गौरतलब है कि इस उपचुनाव में चौ. अजित ¨सह और जयंत ने जाट वोटों को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। उधर, गंगानगर की दोनों पटरी के चौड़ीकरण के साथ ही कांवड़ उत्सव में ढोल, शंख, डमरू और अन्य वाद्य बजाने की पैरवी कर धार्मिक कार्ड भी खेला। पलायन का तीर
योगी जब सीएम नहीं थे, तब भी उन्होंने कैराना पलायन को सच बताते हुए सपा पर जमकर हमला बोला था, ¨कतु शामली चुनावी रैली में मौका और दस्तूर दोनों था, लिहाजा उन्होंने पलायन को ध्रुवीकरण के कलेवर में पेश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन और उनके परिवार को पलायन का जिम्मेदार बताया। पश्चिमी उप्र में अपराध नियंत्रण के बहाने भाजपा हार्डकोर सियासत को नई धार रे रही है। योगी ने दो टूक कहा कि तुष्टीकरण नहीं होगा, जिस पर तालियों की गड़गड़ाहट से नई सियासी आहट सुनाई दी। उधर, कैराना में बाबू हुकुम ¨सह की अल्पसंख्यक वोटों में निजी पकड़ से भी पार्टी को उम्मीदें हैं। जातियों पर डोरे
16 लाख से ज्यादा वोटरों वाली कैराना लोकसभा सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की बड़ी तादाद है। इस सीट पर कश्यप और सैनी मतदाताओं की कुल संख्या करीब 2.40 लाख है, जो चुनावी नतीजों में बड़ी भूमिका निभा सकती है। सीएम योगी ने प्रजापति, सैनी व कश्यपों के लिए योजनाओं का एलान कर उन्हें कनेक्ट करने का प्रयास किया। इस सीट पर गुर्जर और जाटों के मतों को मिला दें तो यह संख्या करीब 2.55 लाख तक पहुंचती है, जिसे साधने पर योगी ने खास फोकस किया। मंच पर सभी जाति के चेहरों का संतुलन साधा गया। पार्टी करीब पौने तीन लाख अनुसूचित जाति के वोटों को रिझाने के लिए भी तरकश के तमाम तीर आजमा रही है। इन्हीं समीकरणों के तहत जहां मंच पर डा. अंबेडकर का चित्र सबसे ऊपर नजर आया, वहीं मंच पर अशोक प्रधान और कांता कर्दम जैसे दलित चेहरों को पूरी तवज्जो मिली। किसानों के दिल में उतरने की मंशा
रालोद महासचिव जयंत चौधरी ने हाल में जिन्ना नहीं, गन्ना चलने का शिगूफा छोड़ा था, ऐसे में भाजपा फ्रंटफुट पर आकर घेरना चाह रही है। योगी ने कैराना क्षेत्र की सभी छह गन्ना मिलों द्वारा सपा के 400 करोड़ के मुकाबले अब तक 984.88 करोड़ के भुगतान का आंकड़ा पेश कर किसानों को साधा। सीएम ने बैंकों को आगाह किया कि किसान के घर कोई नोटिस न भेजी जाए। साथ ही 31 मई तक गन्ना बकाया भुगतान का दावा किया तो पंडाल में खड़े किसानों ने इसका जमकर इस्तकबाल किया। उधर, रालोद नेता जयंत अपने तर्कों और पूर्व चौधरी चरण ¨सह की विरासत के आधार पर किसानों को अपने साथ जोड़ने की जुगत में हैं।