मेरठ में खगोलीय घटना पर बादलों का 'ग्रहण'
मेरठ में 10 साल बाद सूर्य ग्रहण को देखने की उत्सुकता सुबह बादलों की चादर देखने के बाद निराशा में बदल गई। जिला विज्ञान क्लब की ओर से बच्चों को सूर्य ग्रहण दिखाने की व्यवस्था हुई लेकिन बच्चे सीधे सूर्य ग्रहण नहीं देख सके। ऐसी स्थिति में बच्चों को सूर्य ग्रहण की जानकारी दी गई और उपयोगिता के बारे में बताया गया।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ में 10 साल बाद सूर्य ग्रहण को देखने की उत्सुकता सुबह बादलों की चादर देखने के बाद निराशा में बदल गई। जिला विज्ञान क्लब की ओर से बच्चों को सूर्य ग्रहण दिखाने की व्यवस्था हुई, लेकिन बच्चे सीधे सूर्य ग्रहण नहीं देख सके। ऐसी स्थिति में बच्चों को सूर्य ग्रहण की जानकारी दी गई और उपयोगिता के बारे में बताया गया। इसके अलावा कुछ विद्यालयों में टीवी पर सीधा प्रसारण दिखाया गया। कुछ जगहों पर वेबसाइट के जरिए सूर्य ग्रहण का प्रसारण दिखाया गया।
सुबह से तैयार थे बच्चे
जिला विज्ञान क्लब से जुड़े विज्ञान शिक्षक मतीन अंसारी गुरुवार सुबह उच्च प्राथमिक विद्यालय नराहड़ा में सोलर स्कोप से बच्चों को सूर्य ग्रहण दिखाने की तैयारी की थी। बच्चे भी पूरी तरह से उत्साहित दिखे और सुबह आठ बजे से पहले ही स्कूल पहुंचकर सूर्य ग्रहण के दिखने का इंतजार करते रहे। मतीन अंसारी ने बच्चों को इंतजार के दौरान सूर्य ग्रहण की बारीकियों से रूबरू कराया। साथ ही सूर्य ग्रहण क्यों, कैसे और कब-कब लगता है, इसकी जानकारी भी दी।
छात्राओं ने लाइव देखा सूर्य ग्रहण
जिला विज्ञान क्लब की ओर से ही किसान गर्ल्स इंटर कॉलेज में छात्राओं को टीवी पर लाइव सूर्य ग्रहण दिखाने की व्यवस्था हुई। स्कूल की प्रिंसिपल व शिक्षिकाओं ने भी इसमें हिस्सा लिया। इसके साथ ही पीवीएस इंडिया ब्रॉडकास्ट के जरिए जिला समन्वयक दीपक शर्मा ने केरल और मेरठ में शूट किए गए वीडियो को यू-ट्यूब चैनल पर कैमराफाई के जरिए लाइव दिखाया। अलग-अलग तरह के वीडियो में सूर्य ग्रहण को देखने के तरीके भी दिखाए व बताए गए। स्कूल में छात्राओं ने सोलर चश्मा सहित अलग-अलग उपकरणों से सूर्य ग्रहण देखने की तैयारी की थी।