नहाय खाय के साथ छठ महोत्सव का आगाज
पहले दिन व्रतियों ने किया छठ माता का आह्वान। नहाय खाय के साथ व्रतियों ने संकल्प लेने के साथ छठ माई का आह्वान किया। छठ पूजा को लेकर रविवार को शहर के बाजारों में भी रौनक रही। मेरठ में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वाचल के लोग रहते हैं।
जासं, मेरठ। छठ महोत्सव का शुभारंभ रविवार को नहाय खाय के साथ हो गया। आस्था के इस पर्व का बुधवार को उगते हुए सूर्य को जल देने के साथ समापन होगा।
चार दिन तक चलने वाले महोत्सव के पहले दिन रविवार को पर्व मनाने वालों में उत्साह दिखाई दिया। प्रात: काल उठने के साथ ही घरों की सफाई, पूजा स्थल की सफाई और छठ माई की वेदी बनाने का कार्य किया गया। नहाय खाय के साथ व्रतियों ने संकल्प लेने के साथ छठ माई का आह्वान किया। शाम को व्रतियों को चने की दाल, कद्दू या लौकी की सब्जी और चावल का भोजन केले के पत्ते पर सहयोगियों के द्वारा कराया गया। इसके साथ ही अगले चौबीस घंटे का व्रत शुरू हो गया। सोमवार शाम को खरना के साथ व्रत समाप्त होगा।
बाजारों में रही रौनक
छठ पूजा को लेकर रविवार को शहर के बाजारों में भी रौनक रही। मेरठ में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वाचल के लोग रहते हैं। परिवारों ने पंचमेवा, घी, दीये, धूपबत्ती, अगरबत्ती, सिंदूर, गागर (लाल कपड़ा) के अलावा विभिन्न प्रकार के फल जैसे सेब, आमरस, चकोतरा, नारियल, केला सहित गन्ना, मूली की खरीदारी की।
गूंजे छठ मइया के गीत
नहाय खाय के साथ ही छठ मइया के भजन गूंजने लगे हैं। पल्लवपुरम उदयसिटी फव्वारा ताल में छठ महोत्सव समिति के संरक्षक कार्तिकेय मैथिल ने बताया कि सुंदरकांड और भजन कीर्तन के कार्यक्रम भी रखे गए हैं। वहीं अन्य स्थानों पर भी महिलाएं भजन-कीर्तन कर छठ मइया का आह्वान कर रही हैं।
शहर में यहां होगा आयोजन
रिठानी सेक्टर एक शताब्दीनगर पानी की टंकी पार्क, परतापुर स्थित गगोल तीर्थ, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, गंगानगर, मोदीपुरम, रामताल वाटिका, जेलचुंगी, प्रभातनगर, कसेरूखेड़ा, पल्लवपुरम फव्वारा ताल आदि स्थानों पर तैयारियां हो गई हैं। साफ-सफाई के साथ छठ मइया की वेदी तैयार की गई हैं। इन स्थानों की शुद्धता के लिए पुरुष रात में पहरा भी दे रहे हैं। इनसेट:
खरना आज, शुरू होगा निर्जला व्रत
पूजा-अर्चना और परंपरागत भोजन के बाद व्रत शुरू हो गया, जो सोमवार की शाम को समाप्त होगा। आराध्य सूर्य की पूजा के बाद व्रतियां प्रसाद ग्रहण कर खरना करेंगे। सहयोगियों को प्रसाद का वितरण किया जाएगा। प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर बनाई जाएगी। मिट्टी के चूल्हे पर व्रतियां यह खीर तैयार करेंगी। खरना के साथ ही अगले 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। यह व्रत सबसे कठिन होता है। इसमें व्रती पानी भी ग्रहण नहीं करती हैं। कुछ पुरुष भी मन्नत के लिए यह व्रत रखते हैं। तीसरे दिन मंगलवार को पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। चौथे दिन बुधवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन होगा। इसके साथ ही निर्जला व्रत समाप्त होगा।