Chandrayaan 2: दिनभर आशा का सफर, टीवी के आगे टकटकी लगाए बैठे लोग Meerut News
शुक्रवार रात जब चंद्रयान-2 और चंद्रमा के मिलन का वक्त आया तो मेरठ के लोगों की सांसें भी आखिरी क्षण तक थमी रही। टीवी पर टकटकी लगाए बैठे लोगों में उत्सुकता दिखी।
मेरठ, जेएनएन। Chandrayaan 2 हर किसी के चंदा मामा तक देश का प्यार और संदेश लेकर मिलने निकले चंद्रयान-2 के सफर के साथ मेरठ के लोग हर पल बने रहे। करीब 48 दिन पहले चंद्रयान के सफर की शुरुआत के साथ ही स्कूल-कॉलेजों के छात्र इसकी अपडेट लेते रहे। शुक्रवार रात जब चंद्रयान-2 और चंद्रमा के मिलन का वक्त आया तो मेरठ के लोगों की सांसें भी आखिरी क्षण तक थमी रही। शाम से ही टीवी के समाचारों पर टकटकी लगाए बैठे लोगों ने चंद्रयान-2 की लैंडिंग तक उसके साथ बने रहे। अंतिम समय में चंद्रयान से संपर्क टूटने के बाद इसरो वैज्ञानिकों के चेहरे पर बदलते भाव ने मेरठ में भी लोगों को निराश कर दिया। उसी समय पीएम को निकलते देख और वैज्ञानिकों की चर्चा से लोग अंदाजा लगाने लगे कि संभवत : मिशन सफल नहीं हो सका। इसरो की घोषणा के बाद लोगों ने टीवी बंद कर दिया।
करते रहे प्रार्थना और पूजा
चंद्रयान-2 के सफर को सफल बनाने के लिए एक ओर जहां हर घर में प्रार्थना चलती रही वहीं मंदिरों में पूजा-अर्चना भी की गई। पिछले 48 दिनों से इन पल का इंतजार कर रहे लोगों ने इस सफर को अपना व्यक्तिगत सफर मानते हुए देश की तरक्की में सफलता का टीका लगने का हर पल इंतजार किया। शाम के बाद से ही तमाम दुकानों, कार्यालयों और मोहल्लों में चंद्रयान-2 को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई। घर पहुंचने के बाद लोगों ने समाचार चैनलों पर नजरे गड़ाए रखा।
विज्ञान क्लब ने युवाओं को जोड़ा
जिला विज्ञान क्लब की ओर से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं और शहर के लोगों को चंद्रयान-2 के सफर से जोड़ने के लिए टीवी व लैपटॉप पर लाइव कार्यक्रम दिखाया। टीवी पर चल रहे विश्लेषणों के साथ ही युवाओं ने वैज्ञानिकों के साक्षात्कार भी देखे और चंद्रयान के सफर की अहमियत को समझा। वहीं चंद्रशेखर विज्ञान क्लब की ओर से हर मिलाप किशन इंटर कॉलेज प्रहलादनगर में बच्चों और आस-पास के लोगों को लाइव कार्यक्रम दिखाने की व्यवस्था की गई थी।
चंद्रयान-2 क्विज में लिया हिस्सा
स्कूली बच्चों के लिए इसरो की ओर से माइगव वेबसाइट पर ऑनलाइन क्विज आयोजित किया गया। इसमें मेरठ के सैकड़ों स्कूलों से हजारों बच्चों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता के जरिए ही हर प्रदेश से दो बच्चों को प्रधानमंत्री मोदी के साथ इसरो के बेंगलुरू स्पेस सेंटर में चंद्रयान-2 की लैं¨डग लाइव देखने का अवसर मिला। मेरठ के बच्चों में कोई नहीं चुना गया लेकिन बच्चों को क्विज में शामिल होने के लिए ऑनलाइन सर्टिफिकेट जरूर मिला।
चंद्रयान में लगा था मेरठ का सर्किट
अंतरिक्ष को भेदते हुए चंद्रमा की यात्र पर निकले चंद्रयान-2 में मेरठ के तारों का सर्किट लगा है। इसरो ने पॉलीमर तारों के सर्किट का प्रयोग लांच पैड के इलेक्ट्रानिक पैनल में भी किया है। यह तार 300 डिग्री से लेकर -60 डिग्री का तापमान भी सहन कर सकते हैं। इन तारों की उम्र लगभग 200 वर्ष है। इस पर किसी फंगस व रासायनिक विलयन का भी असर नहीं होता।
विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन
स्कूली बच्चों को चंद्रयान-2 के सफर और इसके महत्व को समझाने के लिए जिला विज्ञान क्लब की ओर से शुक्रवार को एनएएस इंटर कॉलेज में एक विशेष व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में विशेष योगदान देने वाले डा. जितेंद्र जटाशंकर रवल ने बच्चों को बताया कि जिस तरह शनि के चारों ओर हमें एक रिंग दिखाई देती है उसी तरह पांच सौ अरब से अधिक ग्रहों को अपने अंदर समेटे आकाश गंगा के चारों ओर भी एक रिंग है।
ताकि अन्य ग्रहों तक जा सके
छात्रों ने पूछा कि आखिर चंद्रयान-2 हमारे लिए जरूरी क्यों? इस पर डा. रवल ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या और कम होती जमीन को देखते हुए दूसरे ग्रहों पर भी जीवन और जीने के संसाधनों की तलाश की जा रही है। जिससे भविष्य में जरूरत के अनुरूप मनुष्य को अन्य ग्रहों पर भी पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में चंद्रमा और मंगल पृथ्वी के विस्तारित विकल्प होंगे। जिला समन्वयक दीपक शर्मा ने बच्चों को विज्ञान के क्षेत्र में डा. रवल की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि डा. जेजे रवल देश के जाने-माने एस्ट्रोफिजिसिस्ट और साइंटिफिक एजुकेटर हैं। उन्होंने सोलर सिस्टम, टोटल सोलर इक्लिप्स, द स्टोरी ऑफ बर्थ ऑफ द प्लानेटोरियम, द वंडरफुल स्काई, साइंटिस्ट ऑफ द मिलेनियम आदि किताबें लिख चुके हैं।
खूब सुनाई चंदा मामा से जुड़ी बचपन की कहानियां
चंद्रयान-2 का सफर शुरू होने के बाद इसरो की ओर से देश के लोगों को जोड़ने के लिए बचपन के चंदा मामा से जुड़ी कहानियों को साझा करने का आग्रह किया गया। मेरठ सहित देश भर के लोगों ने छोटी उम्र में चांद से जुड़ी कहानियों को इसरो के ट्विटर और फेसबुक पेज पर साझा किया। इसरों की ओर से भी लोगों की कहानियों को अपने वाल पर साझा किया गया।