Move to Jagran APP

CCSU Campus: बस पीठ थपथपाते रहिए, नेशनल रैकिंग में जगह की बात पर निकलती सिसकियां Meerut News

सीसीएसयू में न ही शिक्षकों की योग्यता पर कोई सवाल उठा सकता है। यहां न तो आधारभूत ढांचे की कमी है न किसी संसाधन की। लेकिन बावजूद इसके रैंकिंग नहीं बन पा रही।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 01:50 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 01:50 PM (IST)
CCSU Campus: बस पीठ थपथपाते रहिए, नेशनल रैकिंग में जगह की बात पर निकलती सिसकियां Meerut News

मेरठ, [विवेक राव]। देश की राजधानी दिल्ली की सीमा तक आपके कॉलेज हैं। मेरठ और सहारनपुर मंडल में एक हजार कॉलेज चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं। सभी कॉलेजों में प्रवेश और परीक्षा दिलाने वाला विश्वविद्यालय खुद में तमाम विशालता लिए हुए है। यहां न तो आधारभूत ढांचे की कमी है, न किसी संसाधन की। न ही शिक्षकों की योग्यता पर कोई सवाल उठा सकता है। सुविधाओं से लैस होकर भी जब भी नेशनल रैकिंग में जगह बनाने की बात आती है तो परिसर सिसकने लगता है। मानव संसाधन मंत्रालय ने अभी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क की रैकिंग जारी की, जहां सीसीएसयू और उससे जुड़े कॉलेजों का कोई अता-पता तक नहीं रहा। परिणाम पर बात होती है तो बहाना बनता है कि हमने प्रतिभाग नहीं किया। कभी प्रतिभाग तो किया लेकिन रैकिंग के मानक पर फिसल गए। आखिर कब हम पीठ थपथपाना छोड़कर इस दौड़ में निकलेंगे?

loksabha election banner

कोई तो आगे आए

मेरठ कहने को एजुकेशन हब है पर माध्यमिक शिक्षा को छोड़ दीजिए तो उच्चशिक्षा में डंवाडोल स्थिति हो रही है। हर साल 12वीं के बाद प्रतिभाशाली छात्र मेरठ छोड़कर दिल्ली और अन्य शहरों में निकल जाते हैं। आखिर वे करें भी तो क्या। कहने को यहां एक कृषि विश्वविद्यालय है, एक राज्य विश्वविद्यालय है, कई प्राइवेट विश्वविद्यालय हैं। कुछ नए प्राइवेट विश्वविद्यालय खुलने वाले हैं, 50 से अधिक तकनीकी कॉलेज हैं। फिर क्या इतने संस्थानों में कोई ऐसा नहीं हैं जो देश के उम्दा शीर्ष 100 स्थानों में अपनी जगह बना पाए। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क के नतीजे मेरठ के उभरते एजुकेशन हब को निराश करने वाले हैं। इस रैंक से छात्र शिक्षण संस्थानों की ओर आकर्षित होते हैं। क्या मेरठ के उच्च शिक्षण संस्थान इस रैंक में आकर मेरठ ही नहीं दूसरे राज्यों के छात्रों को भी अपने से जोड़ पाएंगे, सबको जवाब का इंतजार रहेगा।

अपने बच्चे कहीं पढ़ाएं

अभी कुछ दिन पहले की बात है। डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की वर्चुअल बैठक हुई थी। चर्चा कोविड के बाद की शिक्षा दीक्षा को लेकर रही। मेरठ सहित राज्य के सभी कुलपतियों ने अपनी-अपनी बात रखी। सुनने और समझने के बाद लगा कि इतने विद्वान होने के बाद भी उच्च शिक्षा इतनी असहाय क्यों दिखती है। बैठक में कुछ सुझाव थे तो कुछ शिकायतें। मेरठ सहित पूरे प्रदेश में तकनीकी कॉलेजों की मान्यता देने वाले एकेटीयू के कुलपति ने जब ये सवाल किया कि हममें से कितने लोग अपने शिक्षण संस्थानों में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। इसका जवाब नहीं है तो जब तक हां नहीं होगा बात नहीं बनेगी। यह सच है, जिस प्रोडक्ट को हम तैयार कर रहे हैं, अगर उसका खुद उपयोग नहीं करेंगे, केवल बातों से गुणवत्ता नहीं सुधरने वाली है।

यह भविष्य का सवाल

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने अपने परिसर और कुछ कॉलेजों में नोडल केंद्र बनाकर मूल्यांकन शुरू कर दिया है। कोविड के काल में मूल्यांकन के लिए जो शिक्षक आ रहे हैं, वह बधाई के पात्र हैं लेकिन केंद्रों पर जिस तरह की स्थिति दिख रही है उसमें एडेड कॉलेजों के शिक्षकों की कम उपस्थिति निराश कर रही है। एडेड कॉलेज के पूरे शिक्षक नहीं आ रहे हैं। मजबूरी में सेल्फ फाइनेंस शिक्षक कापियों को जांचने में जुटे हैं। कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्हें छात्रों को पढ़ाए अर्सा हो गया। कापी जांचने में भी उन्हें मुश्किल है। अब छात्र ने गलत जवाब दिया है तो सही गलत की जांच करना एक शिक्षक की जिम्मेदारी है। फिर अगर कोई शिक्षक गलती करे तो फिर से उसे कौन संभालेगा। ऐसे में मूल्यांकन सही हो, जिम्मेदार शिक्षकों को और सतर्क रहना है। आखिर यह छात्रों के भविष्य का सवाल है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.